एक साल से कुछ ज़्यादा दिन तक चले किसानों के आंदोलन ने मोदी सरकार को बैकफ़ुट पर धकेल दिया। किसानों ने सरकार को मज़बूर कर दिया कि वह उनकी मांगों को माने। सरकार को अपना अड़ियल रवैया छोड़कर किसानों के आगे हथियार डालने ही पड़े। इस बेहद कठिन और तगड़े संघर्ष के तमाम दिनों को लोग सोशल मीडिया के जरिये याद करते रहेंगे लेकिन आज जब किसानों ने आंदोलन को स्थगित करने का एलान कर दिया है तो ये जानना ज़रूरी है कि यह आंदोलन कैसे शुरू हुआ और इसमें कब क्या हुआ।
वैसे तो आंदोलन के दौरान बहुत कुछ हुआ लेकिन कुछ अहम घटनाक्रमों का जिक्र हम यहां कर रहे हैं। पढ़िए-
5 जून, 2020: कोरोना के कारण देश में लॉकडाउन लगा था। लोग इससे ख़ौफ़जदा थे। लेकिन भारत सरकार ने कृषि सुधार के नाम पर तीन अध्यादेश जारी कर दिए।
जुलाई-अगस्त, 2020: इन अध्यादेशों की ख़बर पंजाब के किसान संगठनों तक पहुंची तो उन्होंने इसके ख़िलाफ़ पंजाब में आंदोलन शुरू कर दिया।
17 सितंबर, 2020: केंद्र सरकार अध्यादेशों को क़ानून में बदलने के लिए विधेयक लेकर आई। हंगामे के बीच इन्हें लोकसभा में पास कर दिया गया।
20 सितंबर, 2020: राज्यसभा में भी शोर-शराबे के बीच इन्हें पास कर दिया गया।
27 सितंबर, 2020: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इन विधेयकों को मंजूरी दे दी और इन्होंने क़ानून की शक्ल ले ली।
5 नवंबर, 2020: किसान संगठनों ने चक्का जाम करने का एलान किया। पंजाब के किसान संगठनों ने 26 नवंबर को दिल्ली चलो का नारा दिया।
26 नवंबर, 2020: पंजाब से किसान चलकर सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर आ डटे। उन्हें रोकने की बहुत कोशिश हरियाणा सरकार ने की लेकिन उसे क़ामयाबी नहीं मिली।
1 दिसंबर, 2020: किसान संगठनों और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के बीच बातचीत हुई। लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला।
8 दिसंबर, 2020: किसानों ने भारत बंद का आह्वान किया। इसका पंजाब हरियाणा में खासा असर दिखाई दिया। दिसंबर और जनवरी में सरकार और किसानों के बीच 11 दौर की वार्ता हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। इसी दौरान यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा।
12 जनवरी, 2021: सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कृषि क़ानूनों के लागू होने पर रोक लगा दी और एक कमेटी बना दी।
21 जनवरी, 2021: इस दिन हुई वार्ता में केंद्र सरकार ने किसानों के सामने कृषि क़ानूनों को डेढ़ साल के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव रखा। लेकिन किसानों ने इसे ठुकरा दिया और कहा कि क़ानून रद्द किये जाने चाहिए।
26 जनवरी, 2021: किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में कई जगहों पर हिंसा हुई और लाल किले पर निशान साहिब फहराया गया।
3 फरवरी, 2021: पॉप स्टार रिहाना, पर्यावरणविद ग्रेटा थनबर्ग, अमेरिकी उप राष्ट्रपति कमला हैरिस की भतीजी मीना हैरिस सहित कई हस्तियों ने किसानों के समर्थन में आवाज़ बुलंद की।
14 फरवरी, 2021: दिल्ली पुलिस ने पर्यावरण के मुद्दों पर काम करने वाली 21 साल की कार्यकर्ता दिशा रवि को किसान आंदोलन से जुड़ा टूलकिट बनाने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया। इससे मोदी सरकार की ख़ासी आलोचना हुई।
18 फरवरी, 2021: संयुक्त किसान मोर्चा ने रेल रोको का आह्वान किया।
जुलाई-अगस्त, 2021: 200 किसानों के जत्थे ने मानसून सत्र के दौरान संसद के ही नजदीक हर दिन किसान संसद का आयोजन किया। इस दौरान संसद में भी किसानों के पक्ष में तमाम विपक्षी दलों ने आवाज़ बुलंद की।
अगस्त-सितंबर 2021: किसानों ने करनाल के एसडीएम आयुष सिन्हा को हटाने की मांग को लेकर आंदोलन छेड़ दिया।
19 नवंबर, 2021: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि क़ानूनों की वापसी का एलान कर दिया।
29 नवंबर, 2021: संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन लोकसभा और राज्यसभा में कृषि कानून वापसी का बिल पेश किया गया और यह दोनों सदनों में पास हो गया।
1 दिसंबर, 2021: राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद तीनों कृषि कानून पूरी तरह रद्द हो गए।
9 दिसंबर, 2021: किसानों ने आंदोलन स्थगित करने का एलान कर दिया।
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