इससे पहले सदन ने बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने का माँग खारिज कर दी। किसान विधेयकों को सेलेक्ट कमिटी में भेजने की माँग बीजू जनता दल ने की थी।
'लोकतंत्र के लिए दुखद दिन'
राज्यसभा में इन दो विधेयकों के पारित होने के बाद भी हंगामा होता रहा, विपक्ष के सदस्य सदन में शोरगुल करते रहे, विरोध प्रदर्शन करते रहे। वे इन विधेयकों को ध्वनि मत से पारित किए जाने का विरोध कर रहे थे और इसे ग़लत बता रहे थे।कांग्रेस सदस्य बाजवा ने सदन के बाहर पत्रकारों से कहा कि यह लोकतंत्र के लिए बहुत ही बुरा दिन है। बीजेपी के पास राज्यभा में बहुमत नहीं है, यह उप सभापति को पता है। उन्होंने ध्वनि मत से विधेयक इसलिए पारित कर दिया कि वे जानते थे कि इस पर मत विभाजन होने से बिल गिर पड़ता और सरकार की बेइज्ज़ती होती।
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'यह अभूतपूर्व है कि सरकार के पास बहुमत नहीं होने पर उप सभापति ने विधेयक को ध्वनि मत से पारित करवा दिया। यह लोकतंत्र के लिए बहुत ही बुरा दिन है। उप सभापति को ऐसा नहीं करना चाहिए था। '
डेरेक ओ ब्रायन, सदस्य, टीएमसी
UPDATE
— Derek O'Brien | ডেরেক ও'ব্রায়েন (@derekobrienmp) September 20, 2020
MPs from opposition parties now sitting in dharna INSIDE Rajya Sabha. The opposition wanted a vote (division) on #FarmBills Govt pushed bills denying Oppn legit right
Here is video #2 pic.twitter.com/GOru0l7oQZ
डेरेक ओ ब्रायन ने उपसभापति के सामने ही रूल बुक फाड़ दी। डेरेक ओ ब्रायन और तृणमूल कांग्रेस के बाकी सांसदों ने आसन के पास जाकर रूल बुक दिखाने की कोशिश की और उसे फाड़ डाला।
सरकार ने किसान बिल को पास करवाने के लिए समर्थन जुटाने की खातिर विपक्षी दलों से भी मोर्चाबंदी शुरू कर दी है। कुल 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है। दो स्थान खाली होने की वजह से फिलहाल बहुमत का आँकड़ा 122 है।
डेथ वारंट?
कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने सदन की बहस में भाग लेते हुए किसान बिल को किसानों की आत्मा पर चोट बताया। उन्होंने कहा, 'इन विधेयकों को समर्थन देने का मतलब किसानों के डेथ वारंट पर दस्तख़त करना। इसलिए उनकी पार्टी इस बिल का विरोध करती है।' कांग्रेस सांसद ने कहा,“
'कांग्रेस पार्टी इस बिल को खारिज करती है... हम किसानों के इस डेथ वारंट पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे।'
प्रताप सिंह बाजवा, सांसद, कांग्रेस
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