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नागपुर की एक अदालत ने सोमवार को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी करने के आरोप में ब्रह्मोस एयरोस्पेस के पूर्व इंजीनियर निशांत अग्रवाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। निशांत को अक्टूबर 2018 में सैन्य खुफिया और उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के आतंकवाद निरोधक दस्तों यानी एटीएस के संयुक्त अभियान में गिरफ्तार किया गया था। उनको पिछले अप्रैल में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने जमानत दी थी।
निशांत अग्रवाल पर 2018 में आरोप लगा था कि उन्होंने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को ब्रह्मोस मिसाइल की जानकारी लीक की थी। वह ब्रह्मोस एयरोस्पेस में वरिष्ठ सिस्टम इंजीनियर थे। यह डीआरडीओ और रूस के सैन्य औद्योगिक संघ के बीच एक साझा पहल है। उन्होंने भारत की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल पर काम किया था। इस मिसाइल को जमीन, हवा, समुद्र और पानी के नीचे से लॉन्च किया जा सकता है।
जाँच के दौरान जासूसी के आरोप में निशांत को दोषी पाया गया और इसलिए उनको 14 वर्ष का कठोर कारावास भी भुगतना होगा। इसके साथ ही 3,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। एचटी की रिपोर्ट के अनुसार अतिरिक्त सत्र न्यायालय के न्यायाधीश एमवी देशपांडे ने आदेश में कहा कि अग्रवाल को आईटी अधिनियम की धारा 66 (एफ) और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया।
2018 में इस मामले ने हलचल मचा दी थी क्योंकि यह ब्रह्मोस एयरोस्पेस से जुड़ा पहला जासूसी घोटाला था। एचटी की रिपोर्ट के अनुसार निशांत अग्रवाल दो फेसबुक अकाउंट- नेहा शर्मा और पूजा रंजन के माध्यम से संदिग्ध पाकिस्तानी खुफिया गुर्गों के संपर्क में थे। इस्लामाबाद से संचालित इन खातों के बारे में माना जाता है कि इन्हें पाकिस्तान के खुफिया गुर्गों द्वारा चलाया जाता है।
मामले की जाँच करने वाले पुलिस ने कहा कि निशांत ने इंटरनेट पर अपने लापरवाह रवैये से खुद आसानी से निशाने पर आ गए थे।
बता दें कि ब्रह्मोस को भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी डीआरडीओ और रूस के फेडरल स्टेट यूनिटरी इंटरप्राइज एनपीओएम के बीच समझौते के तहत विकसित किया गया है। ब्रह्मोस एक मध्यम श्रेणी की स्टील्थ रैमजेट सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है।
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