इंडिया गठबंधन के नेताओं ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) और मतदाता सत्यापित पेपर ऑडिट ट्रेल्स (वीवीपीएटी) के संचालन पर विपक्ष की चिंताओं पर चर्चा करने के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के साथ बैठक के लिए अपना अनुरोध दोहराया है। इस संबंध में कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सीईसी को पत्र लिखा है।
सीईसी को संबोधित पत्र में, वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पार्टी के संचार प्रभारी महासचिव, जयराम रमेश ने 9 अगस्त, 2023 से पहले के लिखे पत्रों के बारे में बताया। उस समय भी राजनीतिक दलों ने ईवीएम से संबंधित चिंताओं को रेखांकित करते हुए आयोग को ज्ञापन दिया था।
जयराम रमेश ने कहा कि बैठक के लिए कई अनुरोधों के बावजूद, विपक्षी दलों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिनिधिमंडल को कोई सुनने या सुनने की अनुमति नहीं दी गई।
कांग्रेस नेता ने कहा कि चुनाव आयोग ने ज्ञापन के जवाब में एक सामान्य स्पष्टीकरण जारी किया, लेकिन राजनीतिक दलों द्वारा उठाई गई खास चिंताओं का समाधान नहीं किया और उनके बार-बार अनुरोध के बावजूद कोई बैठक आयोजित नहीं की गई।
उन्होंने लिखा है- “2 अक्टूबर, 2023 को हमने वकील के माध्यम से एक मेमोरंडम भेजा था। उसमें कुछ महत्वपूर्ण चिंताएँ उठाईं जो 23 अगस्त, 2023 के चुनाव आयोग के स्पष्टीकरण में अनसुनी रह गईं। उस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।”
जयराम रमेश के मुताबिक 20 दिसंबर, 2023 को विपक्ष ने फिर से इंडिया गठबंधन के नेताओं की बैठक में पारित प्रस्ताव के आधार पर "वीवीपीएटीएस पर चर्चा करने और सुझाव देने" के लिए आयोग के साथ बैठक का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि हम इस प्रस्ताव की एक प्रति सौंपने और चर्चा करने के लिए आयोग से मिलने की कोशिश करते रहे लेकिन अब तक ऐसा कर पाने में सफल नहीं हुए।
रमेश ने लिखा- “मैं एक बार फिर इंडिया गठबंधन के नेताओं की 3-4 सदस्यीय टीम को आपसे और आपके सहयोगियों से मिलने और वीवीपैट पर अपना दृष्टिकोण रखने के लिए कुछ मिनट का समय देने का अवसर देने का अनुरोध करता हूं। निश्चित रूप से, यह बिल्कुल उचित और वैध अनुरोध है।“
कई विपक्षी दलों के नेताओं ने ईवीएम के मुद्दे पर विचार-विमर्श किया था, खासकर राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा की हालिया जीत के बाद, और महसूस किया कि पूरे विपक्षी गठबंधन को इस मामले को एकजुट होकर लोगों के सामने उठाना चाहिए।
क्या चाहता है विपक्ष
चुनाव आयोग के अनुसार, लोकसभा के चुनाव के मामले में परिणाम घोषित करने से पहले हर विधानसभा क्षेत्र या हर विधानसभा क्षेत्र के पांच चयनित मतदान केंद्रों की मुद्रित मतदाता-सत्यापित पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) पर्चियों का अनिवार्य सत्यापन किया जाता है। लेकिन विपक्ष चाहता है कि वीवीपैट पर्चियां मतदाताओं को सौंपी जाएं और उसके बाद ही सारे वोटों की गिनती हो। हाल ही में जनता की ओर से राजनीतिक दलों को शिकायतें आई हैं कि वीवीपैट की मशीनों को भी प्रभावित करके नतीजे बदले जा सकते हैं।
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पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने पिछले शुक्रवार को कहा था कि मतगणना प्रक्रिया के तहत शत-प्रतिशत वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) पर्चियों का सत्यापन किया जाना चाहिए। सोशल मीडिया पोस्ट में कुरैशी की टिप्पणी 2024 के लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले आई है। क़ुरैशी ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा, "सभी वीवीपैट पर्चियों को गिनने में एक दिन से अधिक समय नहीं लगेगा। चुनाव की विश्वसनीयता के लिए यह आवश्यक है।”
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने सोशल मीडिया यूजर के सवाल का जवाब दे रहे थे, जिसने पूछा था कि क्या मतदाताओं के लिए मतदान के समय अपनी वीवीपैट पर्चियां मतपेटियों में जमा करना और बाद में डेटा की पुष्टि के लिए इन पर्चियों की गिनती करना प्रेक्टिकल होगा। सोशल मीडिया पर यह मुद्दा इस समय छाया हुआ है। राजनीतिक दलों से ज्यादा आम लोग ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
5 जनवरी को प्रदर्शन
सुप्रीम कोर्ट के वकील महमूद प्राचा ने 5 तारीख को EVM के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि EVM से चुनाव कराना सबसे बड़ा फ्रॉड है और EVM से चुनाव कराना लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है। वकील प्राचा ने इस संबंध में सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। लेकिन उनकी बातों को मीडिया ने जगह नहीं दी। महमूद प्राचा अपने संगठन के जरिए ईवीएम के मुद्दे को लगातार उठा रहे हैं।EVM वोटिंग मशीनों विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट के जानेमाने वकील महमूद प्राचा को ज़रूर सुनिये !pic.twitter.com/ecsSpcoo1X
— Ramesh Mota (@MotaMota88102) January 2, 2024
पांच दिनों पहले कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों पर सवाल उठाते हुए कहा था कि अगर ईवीएम को ठीक नहीं किया गया तो भाजपा 2024 के आम चुनावों में 400 सीटें जीतेगी। सैम पित्रोदा कांग्रेस से जुड़े होने के अलावा जाने-माने टेक्नोक्रेट हैं। जिन्हें पूर्व पीएम राजीव गांधी विदेश से भारत में टेलीकॉम और कंप्यूटर क्रांति के लिए भारत लेकर आए थे। पित्रोदा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मदन लोकुर की अध्यक्षता वाले एनजीओ की मुख्य सिफारिश वीवीपैट प्रणाली के वर्तमान डिजाइन को बदलने की है।
उन्होंने कहा- "मैंने चुनाव आयोग के जवाब का इंतजार किया लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ तो मैंने बोलने का फैसला किया। इसका इस तथ्य से कोई लेना-देना नहीं है कि पांच राज्यों में चुनाव खत्म हो गए हैं और 2024 का चुनाव आ रहा है। मुझे लगता है कि विश्वास की कमी है। चुनाव आयोग को लोगों का विश्वास बहाल करने के लिए जवाब देना चाहिए।" पीटीआई से पित्रोदा ने कहा- "यह देश को तय करना है। अगले चुनाव से पहले ईवीएम को ठीक करने की जरूरत है। अगर ईवीएम ठीक नहीं हुई तो 400 सीट वाली बात सही हो सकती हैं। अगर ईवीएम ठीक हो गई तो 400 सीटें सच नहीं हो सकतीं।'' बहरहाल, केंद्रीय चुनाव आयोग किसी भी संगठन या नेता द्वारा ईवीएम को उठाए जा रहे सवालों को खारिज कर रहा है। उसका दावा है कि ईवीएम से चुनाव सौ फीसदी सही है। हाल ही में सरकार ने चुनाव आयोग में नियुक्तियों का नियम भी बदलने के लिए विधेयक पारित कर दिया है। इससे अब सब कुछ केंद्र सरकार के हाथ में है और चुनाव आयोग को सरकार के इशारे पर अप्रत्यक्ष रूप से काम करना होगा।
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