प्राचा ने अपनी याचिका में कहा है कि "मतपत्रों और मतपेटियों के इस्तेमाल से चुनाव कराने का नियम है... इसलिए, सभी चुनाव कागज वाले मतपत्रों का इस्तेमाल करके होने चाहिए। वोटिंग मशीनों का सहारा लेने पर चुनाव आयोग केवल अलग-अलग मामलों के आधार पर विचार कर सकता है। यानी सिर्फ असाधारण हालात में और वह भी उचित कारणों से ही ईवीएम का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।''
यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के सामने लंबित एक मामले में अंतरिम आवेदन के रूप में दायर की गई है। उस मामले में, शीर्ष अदालत ने चुनावों में वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों की गहन गिनती की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर भारत चुनाव आयोग से जवाब मांगा था। प्राचा ने अपने आवेदन में इस बात पर जोर दिया है कि आरपी अधिनियम के अनुसार कागजी मतपत्रों को ईवीएम द्वारा बदला नहीं किया जा सकता है।
महमूद प्राचा का तर्क है कि ईवीएम के जरिए मतदान पर सबसे बड़ा सवाल पारदर्शिता का है। ईवीएम से मतदाता किसी भी स्तर पर अपने वोट का सत्यापन नहीं कर सकता है। हालांकि इससे बेहतर तो यह है कि मतदाता वीवीपैट की पर्ची को मतपेटी में डाल दे लेकिन इस स्थिति में भी मतदाता सिर्फ चंद सेकंड के लिए अपनी पर्ची को देख सकता है। सही मायने में वीवीपैट भी उचित नहीं है। ऐसे में सबसे बेहतर विकल्प बैलेट पेपर से चुनाव है, जिसके लिए कानून में भी व्यवस्था है।
ईवीएम को लेकर आरोप नए नहीं हैं
पिछले महीने ही ईवीएम को लेकर राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर बड़ा हमला किया है। उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ईवीएम के बिना नहीं जीत सकते हैं। उन्होंने कहा कि 'राजा की आत्मा ईवीएम, ईडी, सीबीआई, सभी संस्थाओं में है'। उन्होंने कहा, 'मैं आपको बता रहा हूँ, ईवीएम के बिना नरेंद्र मोदी चुनाव नहीं जीत सकता है। इलेक्शन कमीशन से हमने कहा कि एक काम कीजिए- विपक्ष की पार्टी को ये मशीनें दिखा दीजिए, खोलकर हमें दिखा दीजिए। ये मशीनें कैसे चलती हैं, हमारे एक्सपर्ट को दिखा दीजिए लेकिन नहीं दिखाया। फिर हमने कहा कि इसमें से कागज निकलता है, वोट मशीन में नहीं है, वोट कागज में है। ठीक है, मशीन चलाइए, कागज की गिनती कर दीजिए। इलेक्शन कमीशन कहता है कि गिनती नहीं होगी। क्यों नहीं होगी? कैसे नहीं होगी? सिस्टम नहीं चाहता है कि ईवीएम की गिनती हो जाए।'
क्या ईवीएम बनाने वाली कंपनी के 4 स्वतंत्र निदेशक भाजपा से जुड़े हैंः आर्थिक मामलों की खबरें देने वाली वेबसाइट मनी लाइफ डॉट इन ने जनवरी 2024 में देश को बताया था कि भारत सरकार में सचिव स्तर के अधिकारी रह चुके रिटायर्ड आईएएस अधिकारी ईएएस शर्मा ने चुनाव आयोग को पत्र लिख कर कहा है कि ईवीएम बनाने वाली कंपनी के 4 स्वतंत्र निदेशक भाजपा से जुड़े हुए हैं। मनी लाइफ डॉट इन की रिपोर्ट में कहा गया ता कि ईएएस शर्मा ने इस मामले पर भारतीय चुनाव आयोग से स्पष्टीकरण देने को कहा है। साथ ही उन्होंने मांग की है कि संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया जाए कि भाजपा से जुड़े इन व्यक्तियों को निदेशक पद से हटाया जाए। उन्होंने मांग की है कि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और इसके द्वारा की गई कार्रवाई का विवरण इस देश के लोगों को देखने के लिए सार्वजनिक डोमेन में रखा जाए। उन्होंने अपने पत्र में पूछा है कि क्या भाजपा से जुड़े पदाधिकारी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स के मामले चला सकते हैं, जो ईवीएम बनाती है। मनी लाइफ डॉट इन की रिपोर्ट कहती है कि ईएएस शर्मा ने मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और दो अन्य चुनाव आयुक्तों को लिखे पत्र में कहा है कि मैंने आपके ध्यान में लाया था कि कैसे कम से कम चार ऐसे लोग जो भाजपा से जुड़े हैं को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के बोर्ड में "स्वतंत्र" निदेशक के रूप में नामित किया गया है। बीईएल इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के लिए सॉफ्टवेयर विकसित करने के अत्यधिक संवेदनशील काम में लगी हुई है। इसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि, इसका तात्पर्य यह है कि एक राजनीतिक दल के रूप में भाजपा की बीईएल के मामलों को चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका है। जिससे यह अपरिहार्य निष्कर्ष निकलता है कि भाजपा बीईएल के कामकाज की निगरानी करती रहती है।
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