क्या यूरोपीय संसद के 27 सदस्यों का कश्मीर दौरा प्रायोजित है? क्या उनकी रिपोर्ट पर भरोसा किया जा सकता है? क्या उनके इस दौरे से कश्मीर को लेकर संदेह और गहरा ही होगा? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि इन 27 में से 22 सांसद अपने-अपने देश की धुर दक्षिणपंथी पार्टियों के हैं। वे प्रवासी विरोधी, इसलाम विरोधी, कट्टरपंथी, फासिस्ट और नात्सी समर्थक विचारों के लिए जाने जाते हैं। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि ये सभी सांसद निजी दौरे पर हैं, वे यूरोपीय संघ या यूरोपीय संसद की ओर से नहीं भेजे गए हैं। इन अलग-अलग देशों की अलग-अलग पार्टियों के 27 नेताओं का एक साथ भारत आना भी कई सवाल खड़े करता है।
बता दें कि यूरोपीय संसद दरअसल यूरोपीय संघ की विधायिका है, जिसमें हर देश से जनसंख्या के आधार पर सांसद चुने जाते हैं। ये सांसद अपने-अपने देश का प्रतिनिधित्व नहीं करते, बल्कि अपनी-अपनी पार्टियों का प्रतिनिधित्व करते हैं और उस इलाक़े के लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जहाँ से ये चुने जाते हैं। ये यूरोपीय संघ से जुड़े तमाम नीतिगत फ़ैसले लेते हैं। इन सांसदों को मेम्बर ऑफ़ यूरोपियन पार्लियामेंट यानी एमईपी कहते हैं। इन नेताओं और उनकी पार्टियों पर एक नज़र डालने से कई बातें साफ़ हो जाएँगी।
इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल हैं पोलैंड के रिसज़र्ड ज़ारनेची, जिन्हें नात्सी समर्थक बयान के लिए फ़रवरी 2018 में यूरोपीय संसद के उपाध्यक्ष पद से हटा दिया गया था। वह राष्ट्रवादी दल लॉ एंड जस्टिस पार्टी के सदस्य हैं, उन्होंने पोलैंड की राजनीति में अपने विरोधी उदारवादी सिविक पार्टी की रोज़ा तन को घनघोर अपमानजनक बातें कही थीं।
फ्रांस से चुनी गई एमईपी टेरी मारियानी ने जुलाई 2015 में क्राइमीया पर रूस के कब्जे का समर्थन किया था और रूसी अधिकारियों के साथ क्राइमीया गई थीं।
कोस्मा ज्लोतोवस्की पोलैंड के हैं। उन्होंने नवंबर 2018 में #WhyNotSvastika हैशटैग का इस्तेमाल करते हुए उस ऑनलाइन प्रचार अभियान का समर्थन किया था, जिसमें कहा गया था कि रूस की चीजों का बॉयकॉट किया जाना चाहिए। दरअसल, यूरोप में स्वस्तिक का चिह्न नात्सीवाद का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि हिटलर ने इसका इस्तेमाल किया था। यूरोप में नात्सीवाद का समर्थन करना क़ानूनी अपराध है।
पोलैंड की एमईपी बोग्दाँ रज़ोचाँ ने 2017 में ट्वीट कर सवाल उठाया था कि होलोकास्ट के बावजूद गर्भपात समर्थकों में इतनी बड़ी तादाद यहूदियों की ही क्यों है? पोलैंड में यहूदियों की बड़ी आबादी है और उन्हें ऐसा लगा था कि यह उन पर हमला है। होलोकास्ट यहूदियों के उस महाविनाश को कहते हैं, जिसके तहत हिटलर के जमाने में तकरीबन 50 लाख यहूदियों को मार दिया गया था।
जोआना कॉपसिंचस्का भी पोलैंड से चुनी गई एमईपी हैं। उन्होंने जनवरी 2018 में पोलैंड की संसद में रखे गए उस प्रस्ताव का समर्थन किया था, जिसमें कहा गया था कि यह कहना ग़ैरक़ानूनी होगा कि नात्सियों के द्वारा किए गए किसी भी अपराध के लिए पोलैंड ज़िम्मेदार है।
ब्रिटेन के नाथन गिल, डेविड रिचर्ड बुल, अलेक्सांद्रा फिलिप और जेम्स वेल्स ब्रेग्ज़िट पार्टी के हैं, बिल न्यूटन डन लिबरल डेमोक्रेट हैं। ये दोनों ही दल दक्षिणपंथी विचारधारा और यूरोपीय संघ के ख़िलाफ़ अभियान के लिए जाने जाते हैं।
This unofficial group is overwhelmingly from ultra-right wing pro-fascist parties having relations with BJP. This explains why our MPs aren’t allowed but Modi welcomes them. 3 ex-CMs and 1000s others are jailed & this group of MEPs is preferred over Indian political parties? https://t.co/fGYdCwj87k
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) October 28, 2019
MPs from Europe are welcome to go on a guided tour of Jammu & #Kashmir while Indian MPs are banned & denied entry.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 28, 2019
There is something very wrong with that.https://t.co/rz0jffrMhJ
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