चुनावी बांड के बारे में सारी सूचनाओं का खुलासा करने के लिए अधिक समय की मांग करने वाली भारतीय स्टेट बैंक की मांग पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने हमला किया है। खड़गे ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर अपने कथित "संदिग्ध लेनदेन" को छिपाने के लिए बैंक की आड़ लेने का आरोप लगाया।
सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए चुनावी बांड के विवरण का खुलासा करने का आदेश 15 फरवरी को दिया था। दो हफ्ते बाद अब एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और जानकारी देने की समय सीमा 30 जून तक बढ़ाने की मांग की। कोर्ट ने बैंक को 6 मार्च तक ब्योरा देने का आदेश दिया था।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने चुनावी बांड योजना को अपारदर्शी और अलोकतांत्रिक बताया। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार बैंक को ढाल की तरह इस्तेमाल कर रही है। खड़गे के शब्द हैं-
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मोदी सरकार चुनावी बांड के माध्यम से अपने संदिग्ध लेनदेन को छिपाने के लिए हमारे देश के सबसे बड़े बैंक को ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रही है।
-मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस अध्यक्ष 5 मार्च 2024 सोर्सः न्यूज एजेंसी
खड़गे ने कहा कि बीजेपी चाहती है कि एसबीआई 30 जून के बाद ब्योरा साझा करे, जब तक लोकसभा चुनाव खत्म हो जाएंगे। खड़गे ने कहा, "लेकिन बीजेपी चाहती है कि यह लोकसभा चुनाव के बाद किया जाए। इस लोकसभा का कार्यकाल 16 जून को खत्म होगा और एसबीआई 30 जून तक डेटा साझा करना चाहता है।" खड़गे ने कहा-
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क्या सरकार आसानी से तमाम संदिग्ध सौदों को नहीं छिपा रही है, जहां राजमार्गों, बंदरगाहों, हवाई अड्डों, बिजली संयंत्रों आदि के कॉन्ट्रैक्ट इन अपारदर्शी चुनावी बांडों के बदले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबियों को सौंपे गए थे।
-मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस अध्यक्ष 5 मार्च 2024 सोर्सः न्यूज एजेंसी
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मोदी सरकार, पीएमओ और वित्त मंत्री ने भाजपा का खजाना भरने के लिए हर संस्थान - आरबीआई, चुनाव आयोग, संसद और विपक्ष को कुचल दिया है।
-मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस अध्यक्ष 5 मार्च 2024 सोर्सः न्यूज एजेंसी
खड़गे ने आरोप लगाया, "कांग्रेस पार्टी बिल्कुल स्पष्ट थी कि चुनावी बांड योजना अपारदर्शी, अलोकतांत्रिक थी और इसने राजनीतिक दलों के लिए समान अवसर को नष्ट कर दिया था। खड़गे ने कहा कि मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नाकाम करने के लिए एसबीआई का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही है।
इस बीच कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को एसबीआई को "चुनावी बांड पर अपनी चालाकी से बच निकलने" की अनुमति नहीं देनी चाहिए। तिवारी ने कहा- "आम चुनाव से पहले लोगों को पता होना चाहिए कि किसने किससे क्या प्राप्त किया और क्या इसमें प्रथम दृष्टया कोई बदले की भावना शामिल थी?"
एसबीआई ने अपनी याचिका में कहा है कि दान को गुमनाम रखा गया है। ऐसे में जानकारी प्राप्त करने में समय लगेगा। बांड जारी करने से संबंधित डेटा और बांड का पैसा लेने से संबंधित डेटा को दो अलग-अलग फाइलो में दर्ज किया गया था। इसके लिए कोई केंद्रीय डेटाबेस नहीं रखा गया है। क्योंकि दानदाताओं की पहचान को छिपाना था। बता दें कि पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह योजना सूचना के अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करती है।
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