आलोचना से तिलमिलाए चुनाव आयोग ने अपने पूर्व प्रमुख पर ज़ोरदार हमला किया है। आयोग ने पूर्व चुनाव आयुक्त एस. वाई. क़ुरैशी पर पलटवार करते हुए कहा है कि उनके कार्यकाल में आचार संहिता का उल्लंघन करने और नफ़रत फैलाने वाला बयानों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। आयोग ने इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए फ़ैसला किया है कि वह बीते 20 साल के दौरान आचार संहिता के तमाम उल्लंघनों पर की गई कार्रवाइयों का संकलन छपवाएगी।
क्या कहा था क़ुरैशी ने?
एस. वाई. क़ुरैशी ने
इंडियन एक्सप्रेस को लिखे एक लेख में कहा था :
नफ़रत भरे बयानों की झड़ी लगने के बाद मुझसे लगातार यह पूछा जाता रहा कि चुनाव आयोग इस पर क्या कर रहा है। मुझसे सवाल किया गया कि आचार चुनाव संहिता क्या दंतविहीन हो गया है, क्या यह अप्रभावी हो गया है और क्या इस तरह के बयान दूसरे क़ानूनों के तहत भी अपराध माने जाते हैं। मेरा जवाब है कि इस तरह के काम जन प्रतिनिधि क़ानून ही नहीं, भारतीय दंड संहिता के भी ख़िलाफ़ है।
चुनाव आयोग ने इसका जवाब देते हुए कहा है कि क़ुरैशी के प्रमुख रहते आचार संहिता का उल्लंघन करने वालों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
चुनाव आयोग ने क़ुरैशी और दूसरे आुयक्तों को निशाने पर लेने के लिए बीते 20 साल में आचार संहिता के उल्लंघन करने वालों के ख़िलाफ़ की गई कार्रवाइयों का संकलन तैयार कर उसे छापने की योजना बनाई है।
चुनाव आयोग का जवाब
वरिष्ठ उपायुक्त संदीप सक्सेना ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि 11 फ़रवरी, 2020 से लेकर उसके 20 साल पहले तक हुए आम चुनावों और विधानसभा चुनावों के दौरान आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों की पूरी सूची तैयार की जाएगी।
संदीप सक्सेना ने क़ुरैशी को निशाने पर लेते हुए कहा, 'जिस दौरान आप मुख्य चुनाव आयुक्त थे, उस दौरान हुए उल्लंघनों और की गई कार्रवाइयों की सूची भी संलग्न है, जो आप देख सकते हैं।'
बात यहीं नहीं रुकी। चुनाव आयोग ने अपने पूर्व प्रमुख पर निजी हमले भी किए। संदीप सक्सेना ने जो चिट्ठी लिखी, उसमें साफ़ शब्दों में आरोप लगाया कि उनके कार्यकाल में किसी के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई ही नहीं की गई। दिलचस्प बात यह भी है कि यह चिट्ठी मीडिया तक पहुँच गई। समझा जाता है कि चिट्ठी जानबूझ कर लीक की गई। संदीप सक्सेना ने लिखा :
“
'यह साफ़ है कि आपके कार्यकाल के दौरान जनप्रतिनिधि क़ानून की धारा 123 के तहत कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह विडंबनापूर्ण है कि अपनी सुविधा से कुछ चीजों के भूल जाने से पाठकों गुमराह हो जाएंगे।'
संदीप सक्सेना, वरिष्ठ उप चनाव आयुक्त
क़ुरैशी ने अपने लेख में जो दो उद्धरण दिए,
वे वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर और सांसद प्रवेश सिंह वर्मा के बयानों से जुड़ हुए हैं।
क्या है मामला?
याद दिला दें कि केंद्रीय मंत्री वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कुछ दिन पहले एक चुनावी जनसभा में मंच से नारा लगाया, ‘देश के गद्दारों को’ और उसके बाद वहाँ मौजूद बीजेपी कार्यकर्ताओं ने इसके जवाब में कहा, ‘गोली मारो सालों को।’ ऐसा एक बार नहीं कई बार हुआ। ठाकुर बजट पेश होने के बाद संसद में अर्थव्यवस्था के सवालों के जवाब देने के लिए खड़े हुए तो 'गोली मारना बंद करो' या 'स्टॉप शूटिंग' के नारे लगे। 30 सांसद सदन के बीचोंबीच आ गए और उन्होंने 'शर्म करो', 'शर्म करो' लिखी तख्तियाँ दिखाईं। बीजेपी सांसदों द्वारा नफ़रत वाले भाषणों को लेकर संसद से वॉकआउट किया। प्रवेश वर्मा चुनाव प्रचार के दौरान केजरीवाल को आतंकवादी बताने के अलावा शाहीन बाग़ के धरने को लेकर, ‘ये लोग आपके घरों में घुसकर रेप करेंगे’ जैसे बयान दे चुके हैं। आयोग ने वर्मा पर 96 घंटे तक चुनाव प्रचार करने पर रोक लगा दी थी।
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