तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा को कथित विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम उल्लंघन मामले में ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय ने 19 फरवरी को तलब किया है। उनको दिल्ली में केंद्रीय एजेंसी के कार्यालय में पेश होने के लिए कहा गया है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार उनके बयान देने के बाद विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम यानी फेमा के प्रावधानों के तहत उनका बयान दर्ज किया जाएगा।
महुआ मोइत्रा के ख़िलाफ़ सीबीआई भी जाँच कर रही है। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने मोइत्रा पर उपहार के बदले बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी के कहने पर अडानी ग्रुप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के लिए लोकसभा में सवाल पूछने का आरोप लगाया था। उन्होंने मोइत्रा पर आर्थिक लाभ के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने का भी आरोप लगाया था। उनके आरोपों पर संसद की एथिक्स कमिटी को पड़ताल करने के लिए कहा गया था।
दिसंबर में लोकसभा ने अपनी आचार समिति की रिपोर्ट के बाद टीएमसी सांसद को निष्कासित कर दिया। महुआ ने लोकसभा से अपने निष्कासन के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। महुआ मोइत्रा ने किसी भी ग़लत काम से इनकार किया है और दावा किया है कि उन्हें निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि उन्होंने अडानी समूह के सौदों पर सवाल उठाए थे।
निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्राई के पत्र का हवाला देते हुए आरोप लगाया है कि महुआ ने व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के कहने पर लोकसभा में सवाल पूछने के लिए रिश्वत ली और अन्य लाभ लिया। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र लिखकर दावा किया था कि महुआ ने हीरानंदानी समूह के हितों की रक्षा के लिए रिश्वत ली।
निशिकांत दुबे ने आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव से आग्रह किया था कि वे लोकसभा के लिए मोइत्रा के लॉग-इन क्रेडेंशियल के आईपी पते की जांच करें ताकि यह जांचा जा सके कि क्या उन तक किसी और की पहुंच थी।
महुआ ने कैश-फॉर-क्वेरी के आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने दावा किया है कि न तो उनके बदले किसी ने सवाल पूछे और न ही नकदी या गिफ्ट लिया गया। लेकिन उन्होंने व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी को अपना संसदीय लॉगइन आईडी पासवर्ड देने की बात स्वीकार की है।
महुआ ने दावा किया है कि उन्होंने सवालों को टाइप करने के लिए हीरानंदानी के कार्यालय को लॉगइन आईडी पासवर्ड दिया था। उन्होंने कहा कि इसके बाद बिना ओटीपी दिए लोकसभा को सवाल सबमिट ही नहीं किए जा सकते हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि अधिकतर सांसद किसी न किसी स्टाफ या सहयोगियों से ही सवाल टाइप कराते हैं और इसके लिए लॉगइन आईडी पासवर्ड का इस्तेमाल करना होता है।
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