यूपी के चर्चित नेता और माफिया के रूप में कुख्यात मुख्तार अंसारी के सांसद भाई अफजाल अंसारी और मुख्तार के विधायक बेटे अब्बास अंसारी व उमर अंसारी से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को दो घंटे तक पूछताछ की। हाल ही में मुख्तार अंसारी ने अपनी जमानत के लिए अर्जी लगाई थी लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनकी अर्जी खारिज कर दी।
मुख्तार अंसारी पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है। उसी सिलसिले में ईडी ने उनके सांसद भाई और बेटों को पूछताछ के लिए बुलाया था।
सूत्रों ने कहा कि एलडीए के उपाध्यक्ष ने अंसारी, उनके परिवार और सहयोगियों से संबंधित संपत्तियों का पता लगाने के लिए एलडीए सचिव पवन गंगवार की अध्यक्षता में एक समिति बनाई थी। उन्होंने कहा कि अंसारी और उसके साथियों से संबंधित 19 संपत्तियों के राज्य की राजधानी में होने का संदेह है।
उन्होंने कहा कि इसमें कुछ इमारतें शामिल हैं जिनका निर्माण एलडीए से बिना नक्शा पास कराए और अन्य की जमीन पर कब्जा किए बिना अवैध रूप से किया गया है।2017 में बीजेपी सरकार के गठन के साथ, यूपी पुलिस ने पिछले कुछ वर्षों में अंसारी और उनके गिरोह से जुड़े लोगों पर शिकंजा कस दिया है।
हालांकि इतनी जबरदस्त घेराबंदी के बावजूद मुख्तार अंसारी परिवार का असर राजनीतिक रूप से कम नहीं हो रहा है। तमाम राजनीतिक दल इस परिवार की जेब में रहते हैं। मुख्तार अंसारी जब तक सक्रिय रहे, वो सांसद और विधायक बनते रहे। बीजेपी सरकार में जब उन्हें जेल भेज दिया गया तो उनके भाई अफजाल अंसारी और दोनों बेटे राजनीतिक रूप से सक्रिय हुए।
अफजाल इस समय गाजीपुर से बीएसपी के सांसद हैं। मऊ से अब्बास अंसारी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के विधायक हैं। तमाम गंभीर आरोपों के बावजूद यह परिवार जनता के बीच अपनी लोकप्रियता बनाए हुए है। गाजीपुर और मऊ के लोग मानते हैं कि मुख्तार अंसारी पर राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई की जा रही है। लेकिन बीजेपी के मुख्तार अंसारी पर गंभीर आरोप हैं।
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