नरेंद्र मोदी भले ही डोनल्ड ट्रंप की खातिरदारी में पलक पाँवड़े बिछा दें और करोड़ों रुपए फूंक दें, अमेरिकी राष्ट्रपति भारत को लज्जित और अपमानित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे। वे ऐसी बातें करने से बाज नहीं आएंगे जिससे भारत को परेशानी हो।
धार्मिक आज़ादी का मुद्दा उठाएंगे ट्रंप?
एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि ट्रंप धार्मिक आज़ादी और लोकतांत्रिक मूल्यों की बात सार्वजनिक रूप से करेंगे और प्रधानमंत्री के साथ बैठक में भी ये मुद्दा उठा सकते हैं। ट्रंप सीएए, एनआरसी, भारत में मुसलिमों की स्थिति पर चिंता जता सकते हैं।
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अमेरिकी अधिकारी ने कहा : राष्ट्रपति ट्रंप लोकतंत्र और धार्मिक आज़ादी जैसे हमारे साझा मूल्यों पर सार्वजनिक रूप से बात करेंगे और निजी बैठकों में भी। वह यह मुद्दा उठाएंगे, ख़ास कर धार्मिक आज़ादी का मुद्दा, जो ट्रंप प्रशासन के लिए बेहद अहम है।
उस अमेरिकी अधिकारी से पूछा गया था कि क्या अमेरिकी राष्ट्रपति भारत में नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी पर भी कुछ बोलेंगे? उन्होंने कहा, 'दोनों ही देश नियम क़ानून जैसे सार्वभौमिक मूल्यों के प्रति समान रूप से समर्पित हैं। हम भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं और संस्थानों का बहुत ही सम्मान करते हैं और भारत को इन मूल्यों को बचाए रखने के लिए उत्साहित करते रहेंगे।'
उठेगा धार्मिक आज़ादी का मुद्दा?
उस अधिकारी ने सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर कहा कि 'आपने जो मुद्दे उठाए हैं, हम उन पर निश्चित रूप से चिंतित हैं।' अमेरिकी अधिकारी ने कहा :'प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव जीतने के बाद पहले भाषण में कहा था कि वह भारत के धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति समावेशी रवैया अपनाएंगे। और निश्चित रूप से दुनिया यह चाहती है कि भारत सभी लोगों के लिए धार्मिक आज़ादी और नियम-क़ानून में बराबरी के सिद्धान्तों पर चले।'
क्या कहा था अमेरिकी आयोग ने?
इसके पहले धार्मिक आज़ादी से जुड़ी अमेरिकी संस्था ने नागरिकता संशोधन क़ानून पर बेहद गंभीर टिप्पणी की थी। संयुक्त राज्य अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने कहा है कि नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी से भारत के मुसलमानों का मताधिकार छिन सकता है। इसने यह भी कहा है कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता में गिरावट आई है।यूएससीआईआरएफ़ ने कहा है, 'इस पर गंभीर चिंता जताई जा रही है कि एनआरसी लागू किए जाने पर ग़ैर-मुसलमानों की रक्षा के लिए सीएए लाया गया है।' इस अमेरिकी संगठन ने कहा :
'सीएए लागू हो जाने के बाद मुसलमानों को एनआरसी के आधार पर बाहर कर दिया जाएगा, वे राज्यविहीन हो सकते हैं, उन्हें देश से बाहर कर दिया जा सकता है या लंबे समय तक उन्हें बंदी डिटेंशन सेंटर में रखा जा सकता है।'
आयोग ने आगे कहा, 'बीजेपी के हिन्दुत्ववादी विचारधारा के बढ़ते प्रभाव के रूप में भी सीएए और एनआरसी को देखा जा सकता है। इस विचारधारा के तहत भारत को हिन्दू राष्ट्र माना जा रहा है और इसमें बौद्ध, जैन और सिख धर्म का जोड़ दिया गया है। इसके मुताबिक़, इसलाम विदेशी और हमलावर धर्म है।'
याद दिला दें कि संसद के दोनों सदनों में नागरिकता संशोधन क़ानून पारित कर दिया गया है। इस क़ानून में यह प्रावधान है कि 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, ईसाई और पारसियों को भारत की नागरिकता दी जा सकती है। इसमें मुसलमानों को छोड़ दिया गया है।
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