डिजीयात्रा ऐप (DigiYatra App) लंबे समय से विवाद में है। लेकिन टीएमसी के राज्यसभा सांसद साकेत गोखलने ने बुधवार को इस ऐप को लेकर कई गंभीर जानकारियां दी हैं। इसके अलावा कई स्वतंत्र पत्रकार लंबे समय से इस ऐप को लेकर लोगों को सोशल मीडिया पर सचेत कर रहे थे। साकेत गोखले ने बुधवार को लिखा है कि डिजीयात्रा ऐप के 30 लाख 30 हजार से अधिक लोगों का व्यक्तिगत डेटा अब एक निजी कंपनी के कब्जे में है। यह कंपनी ईडी मामले का सामना भी कर रही है।
साकेत गोखले ने तमाम सूचनाओं के आधार पर आरोप लगाया है कि अचानक, पिछले महीने, डिजीयात्रा ऐप ने काम करना बंद कर दिया और उपयोगकर्ताओं को एक पूरी तरह से नया ऐप डाउनलोड करने के लिए कहा गया (आमतौर से यूजर्स को तमाम ऐप कंपनियां अपडेट के लिए कहती हैं)। डिजीयात्रा का संचालन 2021 से Dataevolve नामक एक निजी कंपनी द्वारा किया जा रहा था। साकेत गोखले के मुताबिक ईडी ने पिछले साल मनी लॉन्ड्रिंग मामले में डेटावॉल्व के सीईओ पर मामला दर्ज किया था। अब, ऐसा लगता है कि कंपनी डिजीयात्रा ऐप को संभालते समय कथित अपराध में शामिल थी।
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गोखले के मुताबिक DigiYatra ऐप DigiYatra फाउंडेशन के इन्फ्रास्ट्रक्चर (बुनियादी ढांचे) पर नहीं चल रहा था, बल्कि, इसके बजाय, निजी कंपनी Dataevolve द्वारा चलाया जा रहा था। यह सभी डेटा सुरक्षा एवं संरक्षण नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। गोखले ने अपडेट की बजाय नई ऐप डाउनलोड करने के लिए कहने की वजह का खुलासा करते हुए कहा- डिजीयात्रा इंफ्रास्ट्रक्चर से डेटाईवॉल्व को हटाने के लिए, केवल अपडेट जारी करने के बजाय पिछले महीने एक नया ऐप लॉन्च किया गया था। यूजर्स से उसे डाउनलोड करने को कहा गया। यहां फिर से बताना होगा कि ऐप की कंपनिया हमेशा अपडेट के लिए कहती हैं।
सांसद साकेत गोखले का कहना है कि 30 लाख 30 हजार से अधिक भारतीय उपयोगकर्ताओं का डिजीयात्रा डेटा अब दागी निजी कंपनी Dataevolve के कब्जे में है। वही उस डेटा की मालिक है। मोदी सरकार ने हवाई अड्डों पर लाखों लोगों को डिजीयात्रा ऐप के लिए साइन अप करने के लिए मजबूर किया था। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने साकेत गोखले को एक पत्र में आश्वासन दिया था कि डिजीयात्रा ऐप को बिना सहमति डाउनलोड नहीं कराया जाएगा। क्योंकि हवाई अड्डों पर यात्रियों को डिजीयात्रा ऐप डाउनलोड करने के लिए मजबूर किया जा रहा था।
गोखले ने डीजीसीए (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) और मंत्री सिंधिया को टैग करते हुए फिर सवाल पूछा है कि डिजीयात्रा ऐप इस्तेमाल करने वालों का कितना डेटा DigiYatra चलाने वाली कथित निजी दागी कंपनी Dataevolve के पास गया है? डिजीयात्रा को सरकार द्वारा नहीं बल्कि एक निजी कंपनी द्वारा अपने बुनियादी ढांचे पर क्यों चलाया जा रहा था? पिछले महीने पुराने डिजीयात्रा ऐप को अचानक क्यों हटा दिया गया और उपयोगकर्ताओं को एक बिल्कुल नया ऐप डाउनलोड करने के लिए क्यों कहा जा रहा है?
यह 33 लाख से अधिक भारतीयों के अत्यधिक संवेदनशील डेटा की सुरक्षा से संबंधित है और मोदी सरकार को तुरंत स्पष्ट करना चाहिए।
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जनवरी 2024 में भी डिजीयात्रा ऐप को लेकर सवाल उठे थे। उस समय यात्रियों को देश के कुछ एयरपोर्ट पर इस ऐप को डाउनलोड करने के लिए मजबूर किया जा रहा था। सवाल उठने पर जनवरी में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गोखले को लिखा था- डिजीयात्रा हवाई यात्रियों के लिए पूरी तरह से स्वैच्छिक है और हवाईअड्डों पर कर्मियों को केवल यात्रियों की सहमति से ही आवेदन के लिए डेटा एकत्र करने का निर्देश दिया गया है। सिंधिया ने गोखले को लिखा था कि इस मुद्दे की जांच की गई और "हवाई अड्डे के ऑपरेटरों को सहमति लेने की प्रक्रिया पर डिजी मित्रों को जागरूक करने और डिजी यात्रा के उपयोग को पूरी तरह से स्वैच्छिक रखने की सलाह दी गई है।"
गोखले को सिंधिया के जनवरी वाले बयान से यह स्पष्ट है कि उस प्राइवेट कंपनी की ऐप का डेटा जुटाने का कार्य हवाईअड्डों पर सरकारी कर्मचारी कर रहे थे। जिसमें सरकार की सहमति थी। लेकिन मामला उठने पर सरकार ने बड़ी सफाई से किनारा कर लिया। आज भी देश में तमाम जगहों पर प्राइवेट कंपनियां जबरन आधार और पैन की फोटो कॉपी मांगती हैं। उसके जरिए भी तमाम डेटा प्राइवेट कंपनियों की तरफ जा रहा है। प्राइवेट अस्पताल और छोटे छोटे डॉक्टर तक मरीजों से आधार आदि मांगते हैं। हालांकि जिन मरीजों के पास आयुष्मान कार्ड होता है, अस्पताल उनसे भी आधार मांगते हैं।
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