डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम सिंह को एक बार फिर पैरोल मिल गई है। गुरमीत राम रहीम सिंह के परिवार ने उन्हें पैरोल दिए जाने की मांग की थी जिसके बाद उन्हें 40 दिन की पैरोल मिली है। गुरमीत राम रहीम सिंह को पैरोल मिलने को लेकर सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि हरियाणा में आदमपुर सीट पर उपचुनाव होने वाला है और साथ ही राज्य में पंचायत के चुनाव भी होने वाले हैं।
हालांकि डेरे के प्रवक्ता जितेंद्र खुराना ने गुरमीत राम रहीम सिंह को पैरोल मिलने के पीछे किसी तरह की राजनीतिक वजह होने से इनकार किया है।
इससे पहले गुरमीत राम रहीम सिंह को इस साल जून में 1 महीने की पैरोल दी गई थी।
इस साल फरवरी में भी गुरमीत राम रहीम सिंह 21 दिन के लिए जेल से बाहर आया था और तब भी उसके जेल से बाहर आने पर सवाल उठाए गए थे क्योंकि उस दौरान पंजाब और उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होने वाला था। हरियाणा के साथ ही पंजाब में भी गुरमीत राम रहीम सिंह के अनुयायी हैं। पंजाब के मालवा क्षेत्र में बड़ी संख्या में उसके अनुयायी हैं जहां 69 सीटें हैं। उत्तर प्रदेश में भी डेरे के अनुयायी हैं।
एसजीपीसी ने जताया एतराज
गुरमीत राम रहीम सिंह को पैरोल दिए जाने के फैसले पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने एतराज जताया है। एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने शुक्रवार को कहा कि हरियाणा की सरकार सिखों के साथ दोहरे मापदंड अपना रही है। एक ओर वह जघन्य अपराधों में सजा काट रहे गुरमीत राम रहीम सिंह के लिए विशेष कृपा दिखा रही है तो दूसरी ओर तीन दशक से जेलों में बंद सिखों को सजा पूरी होने के बाद भी रिहा नहीं किया जा रहा है। एसजीपीसी के अध्यक्ष ने कहा है कि बड़ी संख्या में ऐसे सिख कैदी हैं जिन्हें पैरोल नहीं दी गई है।
एसजीपीसी के अध्यक्ष ने कहा कि यह हरियाणा सरकार की दोहरी नीति है और इस तरह की तिकड़म अपने राजनीतिक फायदे के लिए अपनाई जाती है लेकिन यह देश के हित में नहीं है।
फरवरी में हरियाणा की खट्टर सरकार ने गुरमीत राम रहीम को जेड प्लस सुरक्षा दी थी। सुरक्षा देने के पीछे खालिस्तान समर्थकों से उसकी जान को खतरा होना बताया गया था।
सुनारिया जेल में है राम रहीम
गुरमीत राम रहीम सिंह वर्तमान में पूर्व पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या और डेरों की दो साध्वियों से बलात्कार के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है। वह रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है। इसके अलावा डेरे के एक मैनेजर रंजीत सिंह की हत्या के मामले में भी उसे दोषी ठहराया जा चुका है और उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी।
डेरा समर्थकों ने मचाया था तांडव
साध्वियों से दुष्कर्म के मामले में सजा सुनाए जाने के बाद साल 2017 में उसके समर्थकों ने जबरदस्त तांडव किया था। उस दौरान पंचकूला समेत कई जगहों पर दंगे, आगजनी और तोड़फोड़ हुई थी और राम रहीम के समर्थकों ने बड़े पैमाने पर हिंसा को अंजाम दिया था।
पंचकूला से शुरू हुई हिंसा पंजाब के बठिंडा, मानसा और मुक्तसर तक फैल गयी थी। एहतियात के तौर पर दिल्ली, पश्चिमी यूपी, उत्तराखंड तक धारा 144 लगानी पड़ी थी। कई जिलों में तमाम स्कूलों व कॉलेजों को बंद करना पड़ा था। खट्टर सरकार इस हिंसा से निपटने में पूरी तरह विफल रही थी। बस और रेल सेवा को भी रोकना पड़ा था।
रामचंद्र ने किया था ख़ुलासा
पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के ज़रिए ही साध्वी यौन शोषण का मामला सामने आया था। इस मामले में छत्रपति ने डेरा से जुड़ी कई ख़बरें अपने अख़बार में प्रकाशित की थीं। मामले में छत्रपति पर पहले काफ़ी दबाव बनाया गया। लेकिन जब वह धमकियों के आगे नहीं झुके तो 24 अक्टूबर 2002 को उन पर हमला कर दिया गया था। 21 नवंबर 2002 को उनकी मौत हो गई थी। सीबीआई ने 2007 में इस मामले में चार्जशीट दाख़िल की थी।
हरियाणा और पंजाब में असर
गुरमीत राम रहीम सिंह के समर्थकों की अच्छी-खासी संख्या है और हरियाणा और पंजाब में तमाम राजनीतिक दल राम रहीम का समर्थन चाहते हैं। कहा जाता है कि बीजेपी को हरियाणा में 2014 के विधानसभा चुनाव में डेरा सच्चा सौदा का साथ मिला था और तब राज्य में उसकी सरकार बनी थी।
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