18वीं लोकसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान, इंडिया गठबंधन के नेता कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पार्टी नेता सोनिया गांधी और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव समेत तमाम सांसद संसद के बाहर धरना देते नजर आए। वे भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के विरोध में संविधान की प्रतियां पकड़े नजर आए।
प्रधानमंत्री मोदी जी ने अपने customary शब्द आज ज़रुरत से ज़्यादा बोले। इसे कहते हैं, रस्सी जल गई, बल नहीं गया।
— Mallikarjun Kharge (@kharge) June 24, 2024
देश को आशा थी कि मोदी जी महत्वपूर्ण मुद्दों पर कुछ बोलेंगे।
🔹NEET व अन्य भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक के बारे में युवाओं के प्रति कुछ सहानुभूति दिखाएंगे, पर… pic.twitter.com/AoPRqoURG5
सभी तीन विपक्षी नेता, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के टीआर बालू, कांग्रेस के के. सुरेश और तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय, जो प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब की सहायता के लिए पैनल में हैं। प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति पर विरोध स्वरूप अपनी कुर्सियों पर नहीं आये। उन्होंने प्रोटेम स्पीकर की कोई मदद भी नहीं की। विपक्ष का आरोप है कि प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति सरकार ने वरिष्ठता क्रम को नजरन्दाज करके की है।
संसद के बाहर मोदी क्या बोले
संसदीय कार्यवाही शुरू होने से पहले पीएम मोदी ने संसद के बाहर मीडिया के सामने अपनी बात कही। लेकिन उनकी बातें दो रंगी थीं। एक तरफ वो संसद को आम राय से चलाने की बात कह रहे थे तो दूसरी तरफ कांग्रेस पर हमला करते हुए इमरजेंसी की याद दिला रहे थे।1975 में आपातकाल के समय को याद करते हुए, पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, “कल (मंगलवार) 25 जून है। 25 जून को भारत के लोकतंत्र पर लगे उस धब्बे के 50 साल पूरे हो रहे हैं। भारत की नई पीढ़ी कभी नहीं भूलेगी कि भारत के संविधान को पूरी तरह से खारिज कर दिया गया था, संविधान के हर हिस्से को फाड़ दिया गया था, देश को जेल में बदल दिया गया था, लोकतंत्र को पूरी तरह से कुचल दिया गया था...।
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