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हिजाब पर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दक्षिण भारत में प्रदर्शन, बंद

हिजाब पर कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले का विरोध शुरू हो गया है। दिल्ली से लेकर चेन्नई, बेंगलुरु, तिरुअनंतपुर वगैरह में धरना, प्रदर्शन, बंद और विचार गोष्ठी आयोजित कर हाईकोर्ट के फैसले को गलत बताया गया। कर्नाटक में कल भी बंद का आह्वान किया गया है। बाबरी मस्जिद मुद्दे पर जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था, तब इतना विरोध नहीं हुआ था, जितना इस मुद्दे पर हो रहा है।चेन्नई के न्यू कॉलेज के बाहर आज छात्रों ने हिजाब पर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ धरना दिया और नारेबाजी की। स्टूडेंट्स का कहना था कि हाईकोर्ट ने सीधे संविधान में दखल दिया है। उसने किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों की गलत व्याख्या की है। हम क्या पहनेंगे, क्या खाएंगे, कहां रहेंगे, इसे तय करने का अधिकार व्यक्ति विशेष को है। वैसे भी इस्लाम में पर्दे की बात कुरान में कही गई है।
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कर्नाटक के भटकल शहर में 16 मार्च को आंशिक बंद रखा गया। तमाम व्यापारियों ने हिजाब मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले पर नाराजगी जताने के लिए अपनी दुकानें नहीं खोली थीं।
मंगलुरु पहुंचने वाली खबरों के मुताबिक, उडुपी-कारवार राष्ट्रीय राजमार्ग 66, बॉम्बे बाजार, चोर बाजार और अन्य इलाकों में कुछ दुकानें बंद रहीं। हासन में छात्राओं औऱ नागरिकों ने प्रदर्शन किए।
हाई कोर्ट ने 15 मार्च को जैसे ही फैसला सुनाया, भटकल के कुछ व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद कर दी थीं। 15 मार्च को कस्बे में एक मीडिया सम्मेलन में, मजलिस-ए-इस्लाह-वा-तंजीम, भटकल में मुसलमानों के एक प्रमुख सामाजिक-राजनीतिक संगठन ने घोषणा की थी कि वह 16 मार्च को अपने कार्यालय को बंद कर देगा और अपनी सभी गतिविधियों को बंद कर देगा। संगठन फैसले से खुश नहीं था। इसका मकसद हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाली लड़कियों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करना था।

 
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हालांकि उस संगठन ने 16 मार्च के बंद का आह्वान नहीं किया था। उसने इसका फैसला व्यापारियों पर छोड़ दिया था। मजलिस-ए-इस्लाह-वा-तंजीम के अध्यक्ष एस. एम. परवेज ने कहा कि संगठन की योजना मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ इस मामले को उठाने और हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की है। भटकल कस्बे में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए धारा 144 लागू कर दी गई है।दिल्ली के प्रेस क्लब में भी आज कुछ स्कॉलर्स ने एक गोष्ठी आयोजित कर हाईकोर्ट के रवैए पर निराशा जताई।
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क़मर वहीद नक़वी
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