देश का साम्प्रदायिक माहौल खराब करने की कोशिशें जारी हैं। विश्व हिन्दू परिषद की दिल्ली रैली में कहा गया - उनको चुन चुन कर मारो। ऐसी भाषा का विहिप के बड़े नेता बचाव भी कर रहे हैं। दिल्ली पुलिस तमाशा देख रही है। एक तरफ यह माहौल बनाया जा रहा है तो दूसरी तरफ आरएसएस चीफ मोहन भागवत मस्जिदों में जाकर मुस्लिम इमामों से मिल रहे हैं। यह अजीबोगरीब विरोधाभास है, जबकि विहिप स्पष्ट रूप से संघ का ही एक संगठन है।
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में विहिप की एक रैली में जगत गुरु योगेश्वर आचार्य ने लोगों से उन पर हमला करने वालों के सिर काटने और उनके हाथ काटने के लिए कहा। कथित आचार्य ने कहा- यदि जरूरी हो, तो उनके हाथ काट दो, उनका सिर काट दो। ज्यादा से ज्यादा जेल जाओगे। लेकिन इन तत्वों को सबक सिखाने का समय आ गया है। इन लोगों को चुन चुन के मारो।
एक अन्य वक्ता, महंत नवल किशोर दास ने लोगों से लाइसेंस के साथ या बिना लाइसेंस के बंदूकें लेने के लिए कहा।
कथित महंत ने कहा बंदूकें प्राप्त करें। लाइसेंस प्राप्त करें। अगर आपको लाइसेंस नहीं मिलता है, तो चिंता न करें। जो लोग तुम्हें मारने आते हैं, क्या उनके पास लाइसेंस है? तो आपको लाइसेंस की आवश्यकता क्यों है? उन्होंने कहा -
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यदि हम सब एकजुट होंगे, तो दिल्ली पुलिस आयुक्त भी हमें चाय की पेशकश करेंगे और हमें वह करने देंगे जो हम चाहते हैं।
- महंत नवल किशोर दास, 9 अक्टूबर विहिप रैली में
इन वक्ताओं की कही गई बातों का बचाव करते हुए विहिप प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा, यह जन आक्रोश रैली थी और संदेश जिहादी तत्वों के प्रति था न कि किसी समुदाय के प्रति। लोग गुस्से में हैं। उनका मतलब यह था कि जरूरत पड़ने पर वे जिहादी तत्वों के खिलाफ आत्मरक्षा में सामने आ सकते हैं।
यह टिप्पणी दिल्ली में कथित रूप से मुस्लिम समुदाय के युवकों द्वारा एक 25 वर्षीय व्यक्ति की हत्या के बाद आई है। हालांकि, पुलिस ने इस हत्या में किसी भी सांप्रदायिक पहलू से इनकार किया है।
पुलिस ने कहा कि पीड़ित मनीष पर दो लोगों के खिलाफ अपना मामला वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा था, जिन्होंने एक साल पहले उसका फोन छीन लिया था। मना करने पर उस पर हमला कर दिया।
पुलिस को शक है कि हत्यारे मोबाइल स्नैचर्स के दोस्त हैं।
बहरहाल, हत्या का यह मामला पूरी तरह साम्प्रदायिक बना दिया गया है। उसी के मद्देनजर यह रैली थी। विहिप की इस रैली के समय पुलिस के तमाम अधिकारी मौजूद थे लेकिन किसी ने न कोई एतराज किया और न केस दर्ज किया। इस तरह के जहरीले भाषण यति नरसिंहानंद ने दिए थे। कोर्ट ने उसको इस शर्त पर जमानत दी थी कि वो इस तरह के भड़काऊ भाषण नहीं देगा, लेकिन उसने उसका भी उल्लंघन किया। दिल्ली पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
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