सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम ने सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट में वापस भेजने का प्रस्ताव जारी किया है। कॉलिजियम की दूसरी बैठक में यह फैसला हो पाया। उनके सरकारी आवास पर बेहिसाब नकदी मिलने के कुछ दिन बाद यह फैसला सुनाया गया। हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (एचसीबीए) ने जस्टिस यशवंत वर्मा के प्रस्तावित तबादले का विरोध करते हुए कहा कि इससे यह गंभीर सवाल उठता है कि क्या इलाहाबाद हाईकोर्ट कूड़ेदान है।
- दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ डी के उपाध्याय ने 21 मार्च 2025 को एक औपचारिक पत्र जस्टिस वर्मा भेजा।
- उनसे मोबाइल फोन और उसमें मौजूद डेटा को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया।
- यह निर्देश भारत के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के आदेश के बाद दिया गया।
- चीफ जस्टिस उपाध्याय ने दिल्ली पुलिस आयुक्त से जस्टिस वर्मा के मोबाइल फोन के पिछले छह महीनों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) और इंटरनेट प्रोटोकॉल डिटेल रिकॉर्ड (आईपीडीआर) उपलब्ध कराने का अनुरोध किया।
“
चीफ जस्टिस ने डीसीपी (सुरक्षा) से जस्टिस वर्मा के आवास पर पिछले छह महीनों में तैनात निजी सुरक्षा अधिकारियों और अन्य सुरक्षा कर्मियों का विवरण मांगा है। इससे पता चलेगा कि जस्टिस वर्मा से मिलने कौन-कौन आता था।
- आग लगने की घटना 14 मार्च 2025 की रात को जस्टिस वर्मा के तुगलक रोड स्थित आवास पर हुई थी।
- आधिकारिक आवास के एक स्टोररूम में जले हुए नोट मिलने की खबर सामने आई थी।
- जस्टिस वर्मा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने की साजिश करार दिया।
- 22 मार्च 2025 को उन्होंने कहा, न तो मैंने और न ही मेरे परिवार के किसी सदस्य ने उस स्टोररूम में कभी कैश रखा। कोई स्टोररूम में कैश रखेगा, अविश्वसनीय और अतिशयोक्तिपूर्ण है।
सूत्रों के अनुसार, दिल्ली पुलिस ने जांच तेज कर दी है और जल्द ही आईपीडीआर के साथ-साथ अन्य संबंधित दस्तावेजों को कोर्ट में पेश करने की तैयारी कर रही है। साथ ही, आग की घटना की फॉरेंसिक जांच भी शुरू की गई है ताकि यह पता लगाया जा सके कि आग लगने का कारण क्या था और क्या यह कोई सुनियोजित घटना थी।
इस मामले ने सोशल मीडिया और समाचार माध्यमों में व्यापक चर्चा छेड़ दी है, जिसमें लोग न्यायिक पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल उठा रहे हैं। हालांकि, जस्टिस वर्मा ने अभी तक इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से कोई और बयान नहीं दिया है।
अपनी राय बतायें