भारत और चीन की सेनाओं के वरिष्ठ अफ़सरों के बीच दो दौर की बातचीत के बावजूद पेगांग त्सो इलाक़े पर भारतीय दावे को चीन ने स्वीकार नहीं किया है।
क्या है मामला?
बता दें कि इस विवादित पेगांग झील के किनारे के इलाक़े में ही 5 मई की रात को दोनों सेनाओं के सैनिकों के बीच गुत्थमगुत्था हुई थी। चीनी सेना इस पूरे इलाक़े पर अपना दावा करती है, और इस बार भी चीन ने ज़्यादातर सैनिकों को इसी इलाक़े में तैनात कर दिया था।इंडियन एक्सप्रेस ने एक ख़बर में कहा है कि हालांकि चीनी सेना ने भारतीय सेना की बातों को गंभीरता से लिया है और ज़्यादातर दावों को मान लिया है। पर पेगांग त्सो इलाक़े पर उसने भारतीय दावों को नहीं माना है।
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सवाल यह है कि क्या भारत चीन से यह इलाक़ा खाली करवा लेगा? देखें वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का क्या कहना है।
फिंगर्स
बता दें कि इस इलाक़े में दो हाथों की भिंची हुई मु्ट्ठियों की तरह का भौगोलिक इलाक़ा है। इसे फिंगर्स कहते हैं।चीनी सेना का दावा है कि इस इलाके की चौथी अंगुली यानी फिंगर फोर तक ही भारतीय इलाक़ा है। भारत का कहना है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा फिंगर 8 तक है। चीनी सेना भारतीय सैनिकों को फिंगर 4 से आगे नहीं जाने दे रही है।
फिंगर 4 और फिंगर 8 के बीच 8 किलोमीटर की दूरी है। यानी मौजूदा स्थिति रही तो भारत का यह 8 किलोमीटर का गलियारा हाथ से निकल गया।
रास्ता बंद
इसके पहले भी दोनों सेनाएं इस इलाक़े का गश्त करती रहती थीं, एक-दूसरे का रास्ता काटती रहती थी, एक दूसरे को रोकती भी रहती थी। पर इस बार चीनी सेना ने फिंगर 4 से फिंगर 8 तक जाने के तमाम रास्ते बंद कर दिए हैं।इसके पहले 6 जून को चुशुल-मोल्दो में लेफ़्टीनेंट जनरल स्तर पर बातचीत हुई थी। भारत के उत्तरी कमान के 14वें कोर के कमांडर लेफ़्टीनेंट जनरल हरिंदर सिंह और चीनी सेना के दक्षिण शिनजियांग सैन्य ज़िले के प्रमुख मेजर जनरल लिउ लिन के बीच दिन भर बातचीत चली थी।
इस बातचीत के बाद दोनों सेनाएं कुछ इलाकों से पीछे हट गईं। इसके बाद बुधवार को डिविज़नल कमांडर के स्तर पर भी बातचीत हुई।
लेकिन चीनी सेना फिंगर 4 से फिंगर 8 के बीच के इलाक़े पर टस से मस नहीं हो रही है।दोनों सेनाओं के बीच अभी कई दौर की बातचीत होनी है। उसमें क्या नतीजा निकलेगा, यह बातचीत के बाद ही मालूम हो सकेगा।
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