पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण शौरी के ख़िलाफ़ सीबीआई की एक विशेष अदालत ने भ्रष्टाचार के एक मामले में केस दर्ज करने के आदेश दिए हैं। यह मामला राजस्थान के उदयपुर में स्थित लक्ष्मी विलास पैलेस होटल के विनिवेश का है। अदालत ने शौरी के अलावा पूर्व नौकरशाह प्रदीप बैजल और होटल व्यवसायी ज्योत्सना सूरी के ख़िलाफ़ भी केस दर्ज करने के लिए कहा है।
सीबीआई ने इस मामले में 13 अगस्त, 2014 को मुक़दमा दर्ज किया था और इसमें आरोप लगाया था कि प्रदीप बैजल ने इस होटल के विनिवेश के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया था।
अदालत ने मामले में इस बात पर ध्यान दिया कि इस होटल को भारी घाटे में सरकार को बेच दिया गया। यह वाक़या 2002 में उस वक्त हुआ था, जब अरूण शौरी अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में विनिवेश मंत्री थे।
अदालत ने कहा कि लक्ष्मी विलास होटल की क़ीमत 252 करोड़ रुपये से ज़्यादा थी लेकिन इसे सिर्फ़ 7.5 करोड़ में ही बेच दिया गया। अदालत चाहती है कि इस होटल को फिर से ख़रीद के लिए खोला जाना चाहिए।
सीबीआई की विशेष अदालत के जज पूरन कुमार शर्मा ने अपने फ़ैसले में यह भी कहा कि लक्ष्मी विलास होटल को राज्य सरकार को सौंप दिया जाए। इस होटल को पहले भारतीय टूरिज्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन चलाता था लेकिन बाद में इसे भारत होटल्स लिमिटेड को बेच दिया गया था, जो अब ललित ग्रुप ऑफ़ होटल्स को चलाता है।
सीबीआई ने इस मामले में 2019 के अंत में क्लोजर रिपोर्ट दाख़िल की थी और कहा था कि इस मामले में कोई सबूत नहीं मिले हैं। लेकिन जोधपुर की विशेष अदालत ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया था और मामले की जांच को आगे बढ़ाने के आदेश दिए थे। अदालत ने क्लोजर रिपोर्ट दायर करने को लेकर पूर्व में सीबीआई की आलोचना भी की थी।
एनडीटीवी के पास मौजूद सीबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक़, इस लग्जरी होटल के विनिवेश से सरकार को 143.48 करोड़ रुपये का नुक़सान हुआ और इस मामले के अभियुक्तों को फ़ायदा हुआ।
लेकिन सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में एक प्राइवेट फ़र्म कांति करमसे और एक कंंपनी को इसका दोष दिया था। इस केंद्रीय जांच एजेंसी का कहना था कि इनके द्वारा होटल की आंकी गई क़ीमत 7.85 करोड़ थी, जो कि बेहद कम थी और इसके आधार पर होटल का रिजर्व प्राइस 6.12 करोड़ रुपये रखा गया था।
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