दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर एलिवेटेड टैक्सी वे बनकर तैयार है। 13 जुलाई को इसका उद्घाटन होगा। एलिवेटेड टैक्सी-वे के बन जाने से किसी विमान को टर्मिनल-3 से टर्मिनल-1 तक ले जाने के दौरान पहले के मुकाबले अब 7 किलोमीटर की कम दूरी तय करनी होगी। इसके कारण विमान से लगभग 350 लीटर एविएशन फ्यूल की बचत होगी। इसके शुरू होने के बाद टर्मिनल-1 और टर्मिनल-3 आपस में जुड़ जाएंगे और ट्रैफिक की समस्या भी कम होगी। इस एयरपोर्ट पर विमानों की संख्या लगातार बढ़ने के कारण अब ट्रैफिक की समस्या आने लगी थी। इसके बनने के बाद विमानों के विलंब होने की समस्या भी खत्म होगी।
इसके साथ ही इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट देश का पहला ऐसा एयरपोर्ट बन गया है जहां पर विमानों को आने-जाने के लिए एलिवेटेड टैक्सी-वे की सुविधा उपलब्ध है। एलिवेटेड टैक्सी-वे पर एक समय में दो ए-380 जैसे बड़े यात्री विमान गुजर सकते हैं। इसकी कुल लंबाई 2.1 किलोमीटर और चौड़ाई 202 मीटर है। दो लेन वाले इस टैक्सी-वे के हर-एक लेन की चाैड़ाई 44 मीटर है। इन दोनों लेन के बीच 47 मीटर की दूरी भी है। इसे इतना चौड़ा बनाया गया है कि इससे बी-777 या बी-747 जैसे विशाल विमान भी गुजर सकते हैं। एलिवेटेड टैक्सी-वे को इस तरह से बनाया गया है कि विमान के इमरजेंसी में होने की स्थिति में फायर ब्रिगेड की गाड़ियों, एंबुलेंस और ट्रैक्टर के पहुंचने के लिए भी लेन बनाए गए हैं।
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भूकंप और विस्फोटकों से भी रहेगा सुरक्षित
इस एलिवेटेड टैक्सी-वे का आधार 156 खंभों पर टिका है। 8 मीटर ऊंचे इस पूल को बनाने में 590 स्टील के गार्डर का इस्तेमाल किया गया है। प्रत्येक गार्डर का वजन 90 मीट्रिक टन है। इसे इस तरह से बनायक गया है कि यह भूकंप के तेज झटकों को झेल सकता है। साथ ही आरडीएक्स जैसे विस्फोटकों से भी यह सुरक्षित है।
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