भारत में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या सोमवार को एक लाख पार कर गई। लेकिन एक अध्ययन में यह पाया गया है कि यदि लॉकडाउन नहीं लगाया गया होता तो तीन हफ़्ते पहले ही यह संख्या हो गई होती। यानी, लॉकडाउन से कोरोना संक्रमण की रफ़्तार धीमी हुई है।
देश में 29 जनवरी को कोरोना संक्रमण का पहला मामला आने के बाद 18 मई यानी सोमवार तक यह संख्या 1,01,139 पहुँची। कोरोना से मरने वालों की संख्या भी 3163 हो गई है। भारत में कोरोना मामलों की मृत्यु दर क़रीब 3.07% रही। दुनिया भर में जहाँ 48 लाख लोग संक्रमित हुए हैं और क़रीब 3 लाख 20 हज़ार लोगों की मौतें हुई हैं वहीं दुनिया भर में मृत्यु दर क़रीब 6.57% है।
देश से और खबरें
कोरोना की रफ़्तार
कोरोना का पहला मामला केरल में 29 जनवरी को आया। कोरोना संक्रमितों की संख्या 1 से 100 होने में 14 दिन लगे। इस संख्या को 100 से 1000 तक पहुँचने में भी 14 दिन ही लगे। लेकिन इसके बाद के 15 दिनों में यह संख्या 10 हज़ार हो गई।यदि कोरोना संक्रमण इसी रफ़्तार से बढ़ता रहता तो अप्रैल के अंत तक इससे प्रभावित लोगों की तादाद 1 लाख हो गई होती।
लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यह 18 मई को यानी लगभग तीन हफ़्ते बाद इस संख्या तक पहुँचा। इसके पहले जो अहम घटना हुई वह थी 24 मार्च को लॉकडाउन लागू करना।
अप्रैल के अंत में जिस समय लॉकडाउन नहीं लगने की स्थिति में कोरोना प्रभावितों की तादाद एक लाख हो सकती थी, उस समय दरअसल यह संख्या 35 हज़ार पर ही थी।
मक़सद पूरा हुआ?
दरअसल लॉकडाउन लागू करने के पीछे यही सोच भी थी-संक्रमण की रफ़्तार को धीमा करना। ऐसा लगता है कि यह मक़सद पूरा हुआ है।पर अब अलग-अलग राज्यों में लॉकडाउन में छूट दी जा रही है, जिससे ऐसा लगता है कि कोरोना संक्रमितों की संख्या एक बार फिर तेज़ी से बढेगी।
लॉकडाउन शुरू होने से एक दिन पहले यानी 23 मार्च तक जहाँ 82 ज़िले में कोरोना संक्रमण के मामले आए थे वे अब 550 से ज़्यादा ज़िले हो गए हैं। शुरुआती दौर में कोरोना वायरस का संक्रमण शहरों तक ही सीमित था लेकिन अब यह गाँवों तक फैल गया है। लॉकडाउन 3.0 के शुरू होने से पहले क़रीब 370 ज़िले कोरोना से प्रभावित थे, लेकिन एक पखवाड़े में क़रीब 550 ज़िले तक यह पहुँच गया। अब इसमें वे ज़िले भी आ गए हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों में हैं।
अपनी राय बतायें