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क्या धुंध, कुहासा और पूअर विज़िबिलिटी के बावजूद उड़ने से हुआ हेलीकॉप्टर हादसा?

सबसे आधुनिक, उन्नत और सबसे सटीक हेलीकॉप्टरों में एक, जिसमें काफी समय से किसी तकनीकी खराबी की कोई रिपोर्ट नहीं थी, सिर्फ 20 मिनट की उड़ान के दौरान कैसे दुर्घटनाग्रस्त हो गया?

यह दुर्घटना भी इतनी भयानक थी कि कुछ सेकंड में ही हेलीकॉप्टर आग के गोले में तब्दील हो गया और एक को छोड़ कोई नहीं बच सका। यह कैसे हुआ? इस तरह के तमाम सवाल रक्षा प्रतिष्ठान में उमड़-घुमड़ रहे हैं। 

तमिलनाडु के कुन्नूर में हुआ यह हादसा, जिसमें चीफ़ ऑफ़ डिफेन्स स्टाफ़ जनरल बिपिन रावत और दूसरे 12 लोगों की मौत हो गई, कई सवाल खड़े करता है। 

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कैसे हुआ हादसा?

हेलीकॉप्टर पहले से तय योजना के मुताबिक उड़ान पर था और इसमें सेना के सबसे बड़े अधिकारी को जाना था, इसलिए किसी तरह की लापरवाही का कोई सवाल नहीं है। 

दुर्घटनाग्रस्त होने के पहले इस हेलीकॉप्टर ने बगैर किसी तकनीकी खराबी के 26 घंटों की उड़ान भरी थी। 

खराब मौसम?

क्या मौसम कारण बना? क्या पहाड़ियों पर छाया धुंध और उसकी वजह से कम दूरी तक दिखना (पूअर विज़िबिलिटी) हादसे का कारण बना?

इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। 

भारतीय मौसम विभाग, चेन्नई, के एरिया साइक्लोन वार्निंग सेंटर के निदेशक एन. पूवियारासन ने 'टाइम्स ऑफ़ इंडिया' से कहा,

हमने हिल स्टेशन्स पर हल्के से सामान्य बारिश की भविष्यवाणी की थी। हमने मैदान के लिए धुंध और कुहासे की चेतावनी दी थी।


एन. पूवियारासन, निदेशक, एरिया साइक्लोन वार्निंग सेंटर, भारतीय मौसम विभाग

वे इसके आगे कहते हैं, "घाटियों और पहाड़ी इलाक़ों के लिए धुंध और कुहासे की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती क्योंकि सैटेलाइट उनकी तसवीरें नहीं ले पाता है। कुहासे को सिर्फ देख कर ही समझा जा सकता है। इसके बाद भी कुहासे और निचले स्तर पर छाए बादल के बीच अंतर करना मुश्किल होता है।" 
coonoor IAF chopper crash with gen bipin rawat due to weather? - Satya Hindi

धुंध-कुहासा

विशेषज्ञों का कहना है कि कुहासा बादलों की तरह ही दिखता है और इससे विज़िबिलटी कम हो जाती है। 

कुहासा तब बनता है जब 100 प्रतिशत या उसके आसपास आर्द्रता हो और तापमान गिरने लगे। 

भारतीय मौसम विभाग का कहना है कि उससे किसी ने स्थानीय स्तर पर मौसम के बारे में जानकारी नहीं माँगी थी, क्योंकि भारतीय वायु सेना की अपनी प्रणाली है जो इन चीजों का पता लगा लेती है।

कम विज़बिलिटी?

विभाग के मुताबिक वायु सेना भी अपनी जानकारियाँ किसी से साझा नहीं करती है। 

स्काइमेट वेदर के मुख्य मौसमविज्ञानी महेश पलावत ने 'टाइम्स ऑफ़ इंडिया' से कहा कि उसने बुधवार को हल्के कुहासे और कम विज़िबिलिटी की आशंका जताई थी। उस दिन सुबह 8.30 से शाम 5.30 बजे तक विज़िबिलिटी नहीं होने की जानकारी थी। 

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आपातकालीन घोषणा नहीं

यह उड़ान कुल 20 मिनट की ही थी और सबकुछ सामान्य चल रहा था। उतरने से पाँच मिनट पहले हेलीकॉप्टर के पायलट ने एटीसी से संपर्क किया था और कहा था कि वह जल्द ही उतरने वाला है। 

कोयंबटूर एटीसी का कहना है का कोई 'मे डे कॉल' नहीं दिया गया था, यानी आपातकालीन घोषणा नहीं की गई थी।

इस तरह की घोषणा वीएचएफ़ फ्रीक्वेंसी पर की जाती है जिसे कोई भी सुन सकता है। लेकिन इस तरह की कोई आपातकालीन घोषणा नहीं हुई थी। 

इस हेलीकॉप्टर को उतरने के 10 मिनट बाद ही लौट भी आना था। इस हेलीकॉप्टर को ट्रैक भी नहीं किया गया था क्योंकि कोयंबटूर में कम ऊँचाई पर उड़ना को ट्रैक करने के उपकरण नहीं है।

तो सवाल एक बार फिर उठता है कि क्या खराब मौसम की वजह से हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया? क्या पूअर विज़िबिलिटी या नो विज़िबिलिटी के बावजूद हेलीकॉप्टर को उड़ने की अनुमति दी गई थी?

हेलीकॉप्टर का ब्लैक बॉक्स मिल गया है, यानी वह उपकरण जिसमें उड़ान के दौरान हर तरह की बातचीत रिकॉर्ड होती रहती है। इसके विश्लेषण से यह उड़ान के अंतिम समय की स्थिति का पता चल सकता है और उसके बाद हादसे की वजह का भी पता लगाया जा सकता है। 

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