loader

जस्टिस मुरलीधर: कांग्रेस बोली- संविधान-न्यायपालिका को कमज़ोर कर रही सरकार

दिल्ली हिंसा में भड़काऊ भाषण देने वाले नेताओं के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करने के आदेश देने वाले हाई कोर्ट के जस्टिस मुरलीधर के तबादले पर कांग्रेस ने बीजेपी पर हमला किया है। कांग्रेस नेता प्रियंका और राहुल गाँधी ने जहाँ ट्विटर से निशाना साधा, वहीं रणदीप सिंह सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस की। उन्होंने बीजेपी पर न्याय को दबाने के प्रयास करने का आरोप लगाया है तो बीजेपी की तरफ़ से कहा गया कि सबकुछ न्यायिक प्रक्रिया के अनुसार हुआ है। 

सुरजेवाला ने कहा, 'रातोंरात आनन-फानन में बीजेपी नेताओं को बचाने के लिए क़ानून मंत्रालय ने जज का ट्रांसफ़र कर दिया। पूरा देश अचंभित है। हमारे देश की न्यायपालिका ने देश के संविधान की रक्षा की है, पहली बार ऐसा हो रहा है कि कोई सरकार सत्ता के नशे में इस कदर चूर है कि वह संविधान और न्यायपालिका को कमज़ोर कर रही है।' कांग्रेस के इन आरोपों पर केंद्रीय क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिर मुरलीधर के तबादले में पूरी प्रक्रिया का पालन किया गया और इस निर्णय में जज की भी सहमति ली गई है।

ताज़ा ख़बरें

कांग्रेस की प्रतिक्रिया इसलिए आई है क्योंकि दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस मुरलीधर का तबादला कर दिया गया है जिन्होंने बुधवार को कहा था कि भड़काऊ भाषण देने वाले नेताओं के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की जानी चाहिए। तब उन्होंने कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के लिए बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और कपिल मिश्रा का नाम भी लिया था। इसी बीच देर शाम को यह ख़बर आ गई कि उन्हें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में ट्रांसफ़र कर दिया गया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजीयम ने 12 फ़रवरी को ही उनके तबादले की सिफ़ारिश की थी जिसपर कल यानी बुधवार शाम को अधिसूचना जारी कर दी गई। 

सुरजेवाला ने कहा कि देश मोदी और अमित शाह से तीन सवाल पूछता है-

  • क्या सरकार को डर था कि बीजेपी नेताओं की स्वतंत्र जाँच हो जाएगी तो दिल्ली के आतंक, हिंसा और षडयंत्र का पर्दाफाश हो जाएगा?
  • न्याय को रोकने के लिए आप और कितने जज का ट्रांसफ़र करेंगे?
  • आपके पास अपने नेताओं के बचाव का कोई और तरीका नहीं था जिसकी वजह से आपने जज का ट्रांसफ़र कर दिया?

सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि बीजेपी नेताओं के भड़काऊ भाषण की वजह से दिल्ली में हिंसा हुई। उन्होंने कहा कि वीडियो के आधार पर उन नेताओं पर कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि लोग सवाल पूछते हैं- क्या बीजेपी नेताओं के खिलाफ निष्पक्ष जाँच होगी? 

इधर, दिल्ली हाई कोर्ट के जज के ट्रांसफ़र किए जाने की कार्रवाई को प्रियंका गाँधी ने ट्वीट कर शर्मनाक बताया। प्रियंका ने ट्वीट किया, 'मौजूदा विवाद को देखते हुए जस्टिस मुरलीधर का आधी रात को तबादला चौंकाने वाला नहीं है, लेकिन यह निश्चित तौर पर दुखद और शर्मनाक है। लाखों भारतीयों को एक न्यायप्रिय और ईमानदार न्यायपालिका में विश्वास है, न्याय को विफल करने और उनके विश्वास को तोड़ने के सरकार के प्रयास दुस्साहसी हैं।'

जस्टिस मुरलीधर के तबादले को लेकर राहुल गाँधी ने भी निशाना साधा। हालाँकि उन्होंने न तो जस्टिस मुरलीधर का नाम लिया और न ही दिल्ली हिंसा में सुनवाई और भड़काऊ बयान देने वाले नेताओं का ज़िक्र किया। उन्होंने सिर्फ़ इतना ही कहा, 'बहादुर जज लोया याद आ रहे हैं जिन्हें तबादला नहीं किया गया था।'

बीजेपी की सफ़ाई

बीजेपी नेता और क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है, 'हम न्यायपालिका की स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं। न्यायपालिका की स्वतंत्रता से समझौता करने में कांग्रेस का रिकॉर्ड, इमरजेंसी के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जजों को भी दबाना, सबको पता है। उन्हें वही निर्णय पसंद आता है जो उनके पक्ष में हो, नहीं तो संस्थानों पर ही सवाल उठाते हैं।’

प्रसाद ने कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पार्टी, जो एक परिवार की निजी संपत्ति है, को आपत्तिजनक भाषणों के बारे में व्याख्यान देने का कोई अधिकार नहीं है।

बता दें कि एक दिन पहले बुधवार को हाई कोर्ट में दिल्ली हिंसा के मामले में सुनवाई के दौरान जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस तलवंत सिंह की बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा था कि वह पुलिस कमिश्नर को सलाह दें कि बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर, प्रवेश सिंह वर्मा और कपिल मिश्रा के कथित नफ़रत वाले बयान पर एफ़आईआर दर्ज की जाए। हाई कोर्ट ने तो यहाँ तक कह दिया कि हम इस देश में एक और 1984 नहीं होने दे सकते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि कम से कम इस कोर्ट के रहते तो ऐसा नहीं हो सकता है। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें