कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे मंगलवार को दिल्ली के लाल किले में स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल नहीं हुए। खड़गे नेता विपक्ष हैं और उनके लिए वहां कुर्सी आरक्षित थी लेकिन वो कुर्सी खाली रही। मीडिया ने उसकी फोटो तक जारी कर दी। हालांकि खड़गे ने वहां न जाने की वजह बताई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को लाल किले पर तिरंगा फहराया और राष्ट्र को संबोधित किया।
खड़गे ने कहा कि उन्हें "उनकी आंख में कुछ समस्या" थीं, साथ ही प्रोटोकॉल और सुरक्षा संबंधी मुद्दे भी थे, जिसके बाद उन्होंने समारोह में शामिल न होने का फैसला किया। लाल किले में वीवीआईपी लाइन में खड़गे के लिए आरक्षित कुर्सी खाली देखी गई। वहां जाने की बजाय उन्होंने यहां अपने आधिकारिक आवास और कांग्रेस मुख्यालय पर तिरंगा फहराया, जहां राहुल गांधी सहित पार्टी के शीर्ष नेता मौजूद थे।
लाल किले पर उनकी गैरमौजूदगी के बारे में पूछे जाने पर, खड़गे ने कहा, "सबसे पहली बात तो यह है कि मेरी आंखों में कुछ दिक्कत है। दूसरी बात, मुझे प्रोटोकॉल के अनुसार सुबह 9.20 बजे अपने आवास पर तिरंगा फहराना था। फिर मुझे आना पड़ा। कांग्रेस कार्यालय पर मैंने राष्ट्रीय ध्वज फहराया। लाल किले पर सुरक्षा बहुत कड़ी है। सुरक्षा इतनी कड़ी है कि वे प्रधानमंत्री और शीर्ष मंत्रियों के जाने के बाद ही दूसरों को जाने देंगे। मुझे लगा कि मैं समय पर यहां नहीं पहुंच पाऊंगा। प्रोटोकॉल और सुरक्षा का ध्यान रखते हुए मैंने वहां न जाना ही बेहतर समझा।''
कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने कहा कि भाजपा इस बात से 'स्पष्ट रूप से परेशान' है कि खड़गे मोदी का भाषण सुनने के लिए लाल किले पर मौजूद नहीं थे। खेड़ा ने कहा कि "क्या प्रधानमंत्री को इस बात का एहसास है कि उनकी रूट व्यवस्था के कारण खड़गे साहब के लिए झंडा फहराने के कार्यक्रम के लिए समय पर पार्टी मुख्यालय तक पहुंचना असंभव हो गया होगा? क्या हमें स्वतंत्रता दिवस पर अपने मुख्यालय में झंडा फहराने की आजादी नहीं है?"
ट्विटर पर कांग्रेस के लोकसभा सचेतक मनिकम टैगोर ने खड़गे के समारोह में शामिल न होने का बचाव किया, लेकिन संकेत दिया कि यह एक विरोध के कारण भी था। उन्होंने कहा- "जब लोकसभा में विपक्ष के नेता को निलंबित कर दिया जाता है...जब सांसदों को अनिश्चित काल के लिए निलंबित कर दिया जाता है...जब हम अडानी का जिक्र करते हैं तो विपक्षी नेताओं के भाषण को हटा दिया जाता है...माइक बंद कर दिए जाते हैं...हम और क्या कर सकते हैं? हमने जनता के साथ आजादी का जश्न मनाया।"
यह हकीकत है कि लाल किले पर इस बार अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था थी। दस हजार पुलिसकर्मी सुरक्षा ड्यूटी पर थे। मोदी सरकार के कई मंत्रियों तक निर्धारित स्थल तक पहुंचने में दिक्कत आई। आमतौर पर स्वतंत्रता दिवस समारोह में लाल किले पर जनता कम ही शामिल हो पाती है। लाल किले को कई दिन पहले एनएसजी अपने कब्जे में ले लेती है। आसपास के रास्तों को पूरी तरह बंद कर दिया जाता है। ऐसे में जनता समारोह स्थल तक नहीं जा पाती। सिर्फ वीवीआईपी वहां भारी सुरक्षा के बीच ले जाए जाते हैं।
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