50 साल के होने जा रहे राहुल गाँधी राजस्थान से अपनी रैलियों की शुरुआत करेंगे। राहुल मंगलवार को जयपुर में आयोजित रैली में देश में बढ़ती बेरोज़गारी को लेकर मोदी सरकार पर हमलावर होंगे।
कांग्रेस का मानना है कि देश भर में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ चल रहे प्रदर्शनों की वजह से अर्थव्यवस्था की ख़राब हालत और आम आदमी से जुड़े अहम मुद्दे पीछे छूट गये हैं। इसलिए राहुल अपनी रैलियों में बेरोज़गारी, अर्थव्यवस्था की स्थिति के साथ ही युवाओं, छात्रों, किसानों, व्यापारियों, आदिवासियों के मुद्दों पर बात करेंगे।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने अंग्रेजी अख़बार ‘इकनॉमिक टाइम्स’ से कहा कि पार्टी स्पष्ट रूप से चाहती है कि राहुल गाँधी ही उसका नेतृत्व करें। उन्होंने कहा, ‘हालांकि राहुल की ओर से अभी तक इस बारे में जवाब नहीं आया है। हम उनके फ़ैसले को लेकर इंतजार कर रहे हैं।’
कांग्रेस ने नागरिकता संशोधन क़ानून का संसद के दोनों सदनों से लेकर सड़क तक पुरजोर विरोध किया है। पार्टी की महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा इस क़ानून के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शनों के दौरान उत्तर प्रदेश में मारे गए लोगों के घरों में दस्तक दे चुकी हैं। कांग्रेस ने इस क़ानून को संविधान के ख़िलाफ़ बताया है और राहुल गाँधी भी अपनी रैलियों में संविधान पर हमले की बात को जोर-शोर से उठा सकते हैं।
वेणुगोपाल ने कहा कि मोदी सरकार और बीजेपी नागरिकता क़ानून, एनआरसी और एनपीआर के जरिये जनता के आम मुद्दों जैसे बेरोज़गारी, खेती-किसानी की समस्याएं, महंगाई से लोगों का ध्यान हटाना चाहती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी और राहुल गाँधी मोदी सरकार की नाकामियों को उजागर करके उनकी इस योजना को फ़ेल कर देंगे।
जयपुर के बाद राहुल 30 जनवरी को नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में अपने संसदीय क्षेत्र वायनाड के कलपेट्टा में एक रैली को संबोधित करेंगे। इसके बाद वह झारखंड का दौरा करेंगे और कांग्रेस शासित राज्यों में रैलियां करेंगे। फिर वह बीजेपी शासित राज्यों और जिन राज्यों में चुनाव होने हैं, वहां रैलियां कर बीजेपी और मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा करेंगे और कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने का काम करेंगे।
लोकसभा चुनाव में क़रारी हार मिलने के बाद निराश कांग्रेस पार्टी को पिछले कुछ समय में संजीवनी मिली है। महाराष्ट्र और झारखंड में उसे सरकार में हिस्सेदारी मिली है तो हरियाणा में उसने बेहतर प्रदर्शन किया है।
अख़बार के मुताबिक़, सोनिया गाँधी ने कई वरिष्ठ नेताओं को बताया है कि वह अंतरिम अध्यक्ष के पद पर बने रहने की इच्छुक नहीं हैं। लोकसभा चुनाव में क़रारी हार के बाद राहुल गाँधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। राहुल को मनाने की कोशिशें की गईं थीं लेकिन वह नहीं माने थे और अंत में सोनिया गाँधी को पार्टी के अंतरिम अध्यक्ष का पद संभालना पड़ा था। इसके अलावा कांग्रेस में इस बात पर भी मंथन चल रहा है कि प्रियंका गाँधी बेहतर नेता साबित हो सकती हैं और उनका दायरा उत्तर प्रदेश से बाहर बढ़ाया जाना चाहिए।
2019 के लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान राहुल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ख़ासे हमलावर रहे थे। राहुल ने रफ़ाल घोटाले को मुद्दा बनाकर नरेंद्र मोदी को घेरा था और चुनावी रैलियों में उन्होंने जनता से ख़ूब नारे लगवाये थे। राहुल ने गुजरात विधानसभा चुनाव में भी ताबड़तोड़ प्रचार किया था और तब ख़ुद प्रधानमंत्री मोदी को प्रचार की कमान संभालनी पड़ी थी।
पिछले महीने दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई ‘भारत बचाओ रैली’ में राहुल गाँधी के विशालकाय कट आउट लगाये गए थे। रैली के रणनीतिकारों ने सोनिया, प्रियंका से ज़्यादा फ़ोकस राहुल गाँधी पर रखा था। रैली के बाद से ही यह माना जा रहा था कि राहुल एक बार फिर कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी संभाल सकते हैं। लेकिन अब यह साफ़ हो गया है कि पहले राहुल कई राज्यों का दौरा करेंगे और कांग्रेस को खड़ा करने की कोशिश करेंगे। उसके बाद वह कांग्रेस अध्यक्ष पद की कुर्सी संभाल सकते हैं। राहुल के फिर से अध्यक्ष बनने से कांग्रेस के बाक़ी फ्रंटल संगठनों के अलावा युवक कांग्रेस और एनएसयूआई के नेता और कार्यकर्ता भी पार्टी में फिर से अहम भूमिका में आ सकते हैं।
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