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कॉलेजियम की आलोचना को सकारात्मक ढंग से लें, सुधार हों: सीजेआई

चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि कॉलेजियम को लेकर हो रही आलोचना को सकारात्मक ढंग से लेना चाहिए और इसमें सुधार के प्रयास किए जाने चाहिए। जस्टिस चंद्रचूड़ ने बुधवार को भारत के 50वें सीजेआई के रूप में शपथ ली है। उन्हें महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू ने शपथ दिलाई। 

सीजेआई चंद्रचूड़ कई संविधान पीठों और ऐतिहासिक फ़ैसलों का हिस्सा रहे हैं। उनके पिता वाईवी चंद्रचूड़ भारत में सबसे लंबे समय तक सीजेआई रहे थे। वह 22 फरवरी, 1978 से 11 जुलाई, 1985 तक इस पद पर रहे।

कौन हैं जस्टिस चंद्रचूड़?

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का पूरा नाम धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ है। दिल्ली के सेंट कोलंबिया स्कूल से अपनी शुरुआती पढ़ाई करने के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से इकनॉमिक्स और मैथमेटिक्स में ऑनर्स किया है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से एलएलबी करने के बाद हावर्ड यूनिवर्सिटी से एलएलबी की डिग्री ली है। इसके साथ ही उन्होंने हावर्ड यूनिवर्सिटी से डॉक्टर ऑफ़ जूरिडिकल साइंसेज की पढ़ाई भी की है।

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जस्टिस चंद्रचूड़ ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि लोकतंत्र में कोई भी संस्थान इस बात का दावा नहीं कर सकता कि वह परफेक्ट है और हम इसमें सुधार ला सकते हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ के मुताबिक यह एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। 

कॉलेजियम व्यवस्था पर सवाल 

याद दिलाना होगा कि केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम व्यवस्था को लेकर सवाल उठाया था और कहा था कि जजों को नियुक्त करने वाली यह व्यवस्था पारदर्शी नहीं है और जवाबदेह भी नहीं है। 

उन्होंने कहा था कि दुनिया में कहीं भी जज ही जजों की नियुक्ति नहीं करते हैं लेकिन भारत में ऐसा होता है। कानून मंत्री ने कहा था कि इस काम में जजों का बहुत सारा वक्त भी लगता है और इसमें राजनीति भी शामिल होती है। 

CJI Chandrachud said Take criticism of Collegium in positive way  - Satya Hindi

क्या है कॉलेजियम?

कॉलेजियम शीर्ष न्यायपालिका में जजों को नियुक्त करने और प्रमोशन करने की सिफ़ारिश करने वाली सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठ जजों की एक समिति है। यह समिति जजों की नियुक्तियों और उनके प्रमोशन की सिफ़ारिशों को केंद्र सरकार को भेजती है और सरकार इसे राष्ट्रपति को भेजती है। राष्ट्रपति के कार्यालय से अनुमति मिलने का नोटिफ़िकेशन जारी होने के बाद ही जजों की नियुक्ति होती है। 

मोदी सरकार ने पहले कार्यकाल में कॉलेजियम को नेशनल जुडिशल अपॉइंटमेंट कमीशन यानी एनजेएसी से रिप्लेस करने की कोशिश की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने 2015 में इस प्रस्ताव को 4-1 से ठुकरा दिया था। तब कहा गया था कि एनजेएसी के जरिए सरकार सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में ख़ुद नियुक्तियां करना चाहती थी और इसके बाद सरकार और न्यायपालिका में टकराव बढ़ गया था।

इस सवाल पर कि कॉलेजियम के द्वारा किया जा रहा काम क्या पारदर्शी नहीं है, सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा न्यायाधीशों की नियुक्ति कैसे होती है, इस बारे में जानना सही है लेकिन हमें बार के ऐसे सदस्यों और हाई कोर्ट के जजों, जिनका नाम विचाराधीन है, उनकी गोपनीयता को भी देखना होता है। 

उन्होंने कहा कि अगर हम अपनी बातचीत से जुड़ी छोटी-छोटी चीजों को भी लोगों के बीच में जाहिर करने लगेंगे तो इसका नतीजा यह होगा कि कई अच्छे लोगों की न्याय मांगने या इसे स्वीकार करने में कोई दिलचस्पी नहीं होगी। चंद्रचूड़ ने कहा कि हालांकि कुछ आलोचनाओं को पूरी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता लेकिन कुछ आलोचनाओं पर इसलिए ध्यान दिया जा सकता है कि हम अपने कामकाज को बेहतर कैसे कर सकते हैं और हम ऐसा करेंगे भी। सीजेआई ने कहा कि लेकिन सभी बदलाव इस तरह से होने चाहिए जिससे स्थिरता को बढ़ावा दिया जा सके। 

खाली पड़े पदों को भरेंगे

अपनी प्राथमिकताओं के बारे में सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता जिला अदालतों से लेकर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में खाली पड़े पदों को भरने की है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में ज्यादा विविधता लाने की जरूरत है। सीजीआई चंद्रचूड़ ने कहा कि जजों को सोशल मीडिया पर होने वाली बेवजह की आलोचना से चिंतित नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब जब सुप्रीम कोर्ट में होने वाली कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग होने लगी है इसलिए यह बेहद अहम है कि हम खुद को और प्रशिक्षित करें। 

जस्टिस चंद्रचूड़ 10 नवंबर, 2024 तक दो साल के लिए सीजेआई के रूप में काम करेंगे। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के जज 65 साल की उम्र में रिटायर होते हैं।

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जस्टिस चंद्रचूड़ 1998 से लेकर 2000 तक भारत सरकार के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रहे हैं। वह जून, 1998 से मार्च 2000 तक मुंबई हाई कोर्ट में सीनियर एडवोकेट रहे हैं। मार्च 2000 से अक्टूबर 2013 तक वह बॉम्बे हाई कोर्ट में जज रहे और अक्टूबर 2013 से मई 2016 तक इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे।

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क़मर वहीद नक़वी
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