विपक्ष के विरोध के बीच नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 मंगलवार को लोकसभा में पास हो गया है। विधेयक के विरोध में कांग्रेस के सदस्यों ने वॉकआउट किया। टीएमसी, सीपीआई (एम), सपा और शिवसेना ने भी विधेयक का विरोध किया। टीएमसी सांसदों ने विधेयक के विरोध में संसद परिसर में प्रदर्शन किया।
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में विपक्ष को बताया कि यह विधेयक संविधान के प्रावधानों के ख़िलाफ़ नहीं है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक तीन पड़ोसी देशों के उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों के लिए राहत लेकर आएगा।
बिल को लेकर आए सवालों का जवाब देते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, उन लोगों के पास रहने के लिए भारत के अलावा कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू व कई अन्य नेता भी पड़ोसी देशों में लंबे समय तक परेशान किए गए उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को भारत में जगह देना चाहते थे।
विधेयक के तहत अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, पारसी, सिख, जैन और ईसाई प्रवासियों को 12 साल के बजाए 6 साल भारत में रहने पर ही यहाँ की नागरिकता मिल जाएगी। इसके लिए उन्हें किसी दस्तावेज़ को दिखाने की ज़रूरत भी नहीं होगी।
इससे पहले सोमवार को बीजेपी को इस मुद्दे पर तगड़ा झटका लगा था। असम में उसके सहयोगी दल असम गण परिषद ने उसका साथ छोड़ दिया था। असम गण परिषद के अध्यक्ष अतुल बोरा ने कहा था, ‘उन्होंने नागरिक संशोधन विधेयक पर केंद्र सरकार को बहुत समझाने की कोशिश की कि वह इस बिल को पास न करे लेकिन सरकार नहीं मानी। इसके बाद गठबंधन में बने रहने का कोई सवाल नहीं उठता है।’ असम गण परिषद का मानना है कि इस विधेयक के क़ानून बनने के बाद बांग्लादेशी हिंदुओं के आने से असम बर्बाद हो जाएगा।
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