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कारोबारी बोले- लॉकडाउन के बजाय कोरोना से सुरक्षा के नियमों का पालन कड़ाई से हो

कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए कई राज्यों ने नाइट कर्फ्यू लगाने सहित कई सख़्त क़दम उठाए हैं। इसकी वजह से होटल, रेस्तरां के कारोबार को तगड़ा झटका लगा है। ऐसे में दूसरी इंडस्ट्रीज से जुड़े तमाम छोटे-बड़े कारोबारी अब लॉकडाउन या आंशिक लॉकडाउन से डरे हुए हैं और उद्योग संगठन कन्फेडरेशन ऑफ़ इंडियन इंडस्ट्रीज (सीआईआई) के द्वारा कराए गए एक सर्वे में भी ये बात सामने आई है।  

सीआईआई ने देश भर की 710 कंपनियों के सीईओ के बीच यह सर्वे कराया है। सर्वे में शामिल 75 फ़ीसदी सीईओ ने कहा कि आंशिक लॉकडाउन की वजह से मजदूरों के साथ ही सामान को भी लाने-ले जाने पर असर पड़ेगा और इससे सीधे तौर पर औद्योगिक उत्पादन प्रभावित होगा। सीईओ ये भी मानते हैं कि सरकार को स्वास्थ्य और सुरक्षा के नियमों को कड़ाई से पालन कराना चाहिए बजाय इसके कि लॉकडाउन लगा दिया जाए। 

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सर्वे में शामिल सीईओ में से 96 फ़ीसदी लोगों का मानना है कि इंडस्ट्री स्वास्थ्य और सुरक्षा के नियमों को पालन कराने के लिए तैयार है जबकि 93 फ़ीसदी लोगों ने कहा कि आंशिक लॉकडाउन लगाने से अच्छा विकल्प है कि कोरोना से सुरक्षा के नियमों का पालन कराया जाए। 

60 फ़ीसदी सीईओ ने कहा कि आंशिक लॉकडाउन के दौरान औद्योगिक उत्पादन पर असर पड़ सकता है जबकि 56 फ़ीसदी ने कहा कि उत्पादन को लेकर 50 फ़ीसदी तक नुक़सान हो सकता है। सर्वे में शामिल सीईओ में से 68 फ़ीसदी एमएसएमई से जुड़े हुए हैं। 

सीआईआई के अध्यक्ष टीवी नरेंद्रन ने कहा कि भीड़-भाड़ को रोकने के लिए उठाए गए क़दम ऐसे नहीं होने चाहिए कि इनसे इंडस्ट्री के कामकाज पर असर पड़े। 

60 फ़ीसदी सीईओ ने कहा कि सरकार को कामगारों पर रोक नहीं लगानी चाहिए और इन्हें हर शिफ़्ट में आने-जाने की अनुमति होनी चाहिए। इसके साथ ही औद्योगिक सामान ला रहे लोगों को भी यह छूट मिलनी चाहिए। 

टीवी नरेंद्रन ने कहा कि सरकार ने पहली लहर के दौरान जिंदगियों और आजीविका को बेहतर ढंग से बचाया और इस बार भी औद्योगिक गतिविधियों को आंशिक लॉकडाउन की सीमा से बाहर रखकर ऐसा किया जा सकता है।

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सीआईआई ने कहा है कि सभी कंपनियां उनके वहां काम करने वाले लोगों के टीकाकरण के लिए तैयार हैं। 67 फ़ीसदी सीईओ ने यह भी कहा कि वे टीकाकरण के कार्यक्रम में सरकार के साथ काम करने के लिए तैयार हैं। 

देश में कोरोना संक्रमण के मामले 1 लाख 68 हज़ार से ज़्यादा पहुंच गए हैं। ऐसे में कई राज्यों की सरकारें लॉकडाउन लगाने की ओर बढ़ रही हैं और केंद्र सरकार भी हालात के ज़्यादा बिगड़ने से पहले कड़े क़दम उठाना चाहती है। लेकिन कारोबारियों की चिंता जायज है क्योंकि उनका पिछला साल बेहद ख़राब बीता है और अगर फिर से लॉकडाउन लगता है तो निश्चित तौर पर यह उनकी मुश्किलों को बढ़ाने वाला ही होगा। 

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क़मर वहीद नक़वी
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