रफ़ाल विमान सौदा एक बार फिर ख़बरों में है। राहुल गाँधी ने रफ़ाल सौदे पर बोलते हुए ग़लत ढंग से सुप्रीम कोर्ट का उल्लेख करने पर ख़ेद जताया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कह दिया था, ‘अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी मान लिया है कि चौकीदार चोर है।’ राहुल ने सोमवार को इस पर सफ़ाई देते हुए कहा कि उन्होंने् चुनाव प्रचार की गहमागहमी में यह कह दिया था। कांग्रेस प्रमुख ने कोर्ट को दिए एक हलफ़नामे में कहा, ‘मैं मीडिया को दिए किसी बयान, भाषण या सार्वजनिक तौर पर की गई टिप्पणी में अदालत का हवाला तब तक नहीं दूंगा जब तक वह अदालत में दर्ज न किया गया हो।’
स्वीकारोक्ति?
बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी की ओर से दिए गए अदालत के अवमानना नोटिस पर सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गाँधी से सफ़ाई देने को कहा था। अदालत में राहुल गाँधी के खेद जताने के बाद मीनाक्षी लेखी ने ट्वीट कर कहा, ‘यह स्वीकारोक्ति है। इसलिए अवमानना है। इस कठिन दौर में अदालत की प्रतिष्ठा बचाए रखना ज़रूरी है। उम्मीद है कि अदालत इस पर कड़ी टिप्पणी करेगी’
लेखी ने अपनी याचिका में कहा था कि राहुल गाँधी ने ‘चौकीदार चोर है’ की अपनी टिप्पणी में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने यह माना है।
चुनाव आयोग से शिकायत
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा था कि उन्होंने ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की है। इसके बाद केंद्रीय क़ानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने चुनाव आयोग से कहा था कि यह आचार संहिता का उल्लंघन है और आयोग को इसका संज्ञान लेना चाहिए। प्रसाद ने एक वीडियो क्लिप रिपोर्टरों को दिखाई, जिसमें राहुल यह कहते हुए देखे जा सकते हैं, ‘अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी मान लिया है कि चौकीदार ने चोरी करवाई है।’
लेखी का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने अदालत से कहा कि कोर्ट ने ऐसा कुछ नहीं कहा था, सिर्फ कुछ काग़ज़ात को सबूत के तौर पर स्वीकार किए जाने पर अपना फैसला दिया था। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘आप सही कह रहे हैं। हमने ऐसा कुछ नहीं कहा था।’
राहुल ने कब क्या कहा था, जिस पर इतना विवाद हुआ और उन्हें खेद जताना पड़ा?
कांग्रेस अध्यक्ष ने अमेठी संसदीय सीट से नामांकन भरने के बाद रफ़ाल को लेकर प्रधानमंत्री पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा कि अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी यह साफ़ कर दिया है कि चौकीदार चोर है।
नामांकन पत्र दाख़िल करने के ठीक बाद मीडिया से बातचीत में राहुल गाँधी ने मोदी को भ्रष्टाचार पर बहस की चुनौती देते हुए कहा कि वह उनके साथ कहीं भी बैठने को तैयार हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद देते हुए कहा कि देश की जनता को उसमें भरोसा है।
राहुल गाँधी सार्वजनिक मंचों से प्रधानमंत्री मोदी पर रफ़ाल डील को लेकर निशाना साधते रहे हैं। राहुल अपनी चुनावी रैलियों में कहते रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने रफ़ाल डील में 30 हज़ार करोड़ रुपये का सीधा फ़ायदा अपने उद्योगपति मित्र अनिल अंबानी को पहुँचाया है। इसका ज़िक्र करने के बाद राहुल गाँधी कार्यकर्ताओं और जनता से ‘चौकीदार चोर है’ का नारा लगवाते हैं।
क्या था फ़ैसला?
वह कौन सा फ़ैसला था, जिसे कांग्रेस अध्यक्ष ने ग़लत ढंग से उद्धृत किया था और इतना बड़ा बवाल मचा?
सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिन पहले रफ़ाल डील पर केंद्र सरकार की सभी आपत्तियों को खारिज करते हुए लीक हुए दस्तावेज़ों की वैधता को मंजूरी दे दी थी। ये दस्तावेज़ रक्षा मंत्रालय से लीक हुए थे।
कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा था कि रफ़ाल मामले में रक्षा मंत्रालय से लीक हुए गोपनीय दस्तावेजों का भी वह परीक्षण करेगा। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यों की बेंच ने सर्वसम्मति से दिए फ़ैसले में कहा था कि जो नए दस्तावेज सामने आए हैं, उस आधार पर मामले में दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई होगी। इस बेंच में सीजेआई के अलावा जस्टिस एस. के. कौल और जस्टिस के. एम. जोसेफ़ शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट इससे पहले रफ़ाल मामले में केंद्र सरकार को क्लीन चिट दे चुका था और उसने रफ़ाल विमान की ख़रीद की प्रक्रिया को सही माना था। इसके बाद वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण, पूर्व केंद्रीय मंत्रियों अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा ने कोर्ट के फ़ैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर की थी।
राहुल गाँधी सार्वजनिक मंचों से प्रधानमंत्री मोदी पर रफ़ाल डील को लेकर निशाना साधते रहे हैं। वह अपनी चुनावी रैलियों में कहते रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने रफ़ाल डील में 30 हज़ार करोड़ रुपये का सीधा फ़ायदा अपने उद्योगपति मित्र अनिल अंबानी को पहुँचाया है। इसका ज़िक्र करने के बाद राहुल गाँधी कार्यकर्ताओं और जनता से ‘चौकीदार चोर है’ का नारा लगवाते हैं।
राहुल गाँधी के खेद जताने का सीधा फ़ायदा बीजेपी को मिलेगा, इसकी पूरी संभावना है। अब वह राहुल गांधी के खेद जताने की बात को अपने ढंग से पेश करते हुए कह सकती है कि राहुल अब तक झूठ बोल रहे थे, उनका झूठ पकड़ा गया। हालाँकि राहुल ने खेद इस पर जताया है कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का नाम लिया था, उन्होंने रफ़ाल पर अपनी पहले की टिप्पणियों को वापस नहीं लिया है। पर बीजेपी इसे इस रूप में प्रचारित कर सकती है कि राहुल रफ़ाल पर झूठ बोल रहे थे।
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