क्या अनुच्छेद 370 में बदलाव कर जम्मू और क़श्मीर को राज्य से केंद्र शासित क्षेत्र बनाने की भारत सरकार की कोशिश और पैंगांग त्सो पर चीनी सेना के जमावड़े में कोई संबंध है? क्या चीन और भारत की वास्तविक नियंत्रण रेखा पर मौजूदा तनाव की रूपरेखा पिछले साल अगस्त-सितंबर में ही बन गई थी? क्या लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर केंद्र-शासित क्षेत्र बनाने के फ़ैसले के बाद से ही पीपल्स लिबरेशन आर्मी की गतिविधियाँ उस इलाक़े में बढ़ गईं?
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ये सवाल अहम हैं क्योकि लद्दाख से जुड़ा विधेयक संसद में 5 अगस्त को पारित हुआ, उसके कुछ दिन बाद ही ही पैंगोंग त्सो झील के किनारे अधिक संख्या में चीनी सैनिक नज़र आने लगे, उनकी गश्त भी बढ़ गई।
सितंबर से ही बढ़ने लगा तनाव
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक ख़बर पर यकीन करें तो सितंबर के शुरू से ही चीनी सैनिक पैंगोंग झील के किनारे के इलाक़े में भारतीय सैनिकों की गश्त में रुकावट डालने लगे, उन्हें जगह-जगह रोकने लगे।झील के किनारे-किनारे फिंगर 4 से फिंगर 8 की ओर गश्त लगा रहे भारतीय सैनिकों को चीनियों ने रोका। इस पर 11 सितंबर को झड़प हुई, जिसमें 10 भारतीय सैनिक घायल हो गए।
क्या हैं ये फिंगर?
बता दें, ये फिंगर दरअसल झील के किनारे के पहाड़ी इलाके हैं जो बीच-बीच में दूर तक घुसे हुए हैं और ऊपर से देखने पर अंगुली की तरह लगते हैं। कुल मिला कर ऐसे 8 इलाके हैं, जिन्हें फिंगर 1 से फिंगर 8 कहते हैं।चीन का कहना है कि फिंगर 4 से वास्तविक नियंत्रण रेखा गुजरती है, जबकि भारत का कहना है कि एलएसी फिंगर 6 से गुजरती है। भारत का कब्जा फिंगर 4 तक है, जहाँ इंडो टिबेटन बॉर्डर पुलिस की एक चौकी भी है। लेकिन चीन फिंगर 2 से फिंगर 8 तक अपना दावा करता है।
पीएलए ने फिंगर 4 से फिंगर 8 तक कब्जा कर रास्ता जाम कर दिया है, भारतीय सैनिक फिंगर 4 से आगे नहीं बढ़ सकते हैं। भारत का कहना है कि चीन पहले फिंगर 4 से फिंगर 8 तक का इलाक़ा खाली करे। चीन इससे इनकार कर रहा है।
15 अगस्त, 2017
इंडियन एक्सप्रेस का कहना है कि उसे एक वीडियो मिला है, जिसमें 15 अगस्त, 2017 को दोनों सेनाओं के बीच झड़प देखी जा सकती है। इसमें आईटीबीपी के 4 सैनिक ज़ख़्मी हो गए थे, कुछ चीनी सैनिक भी घायल हुए थे। यह वही समय था, जब डोकलाम संकट बना हुआ था, जिसमें भारत-चीन-भूटान की साझा सीमा पर दोनों देशों के सैनिक 73 दिन तक आमने-सामने डटे हुए थे।पहले भारतीय और चीनी सैनिक पूरे इलाक़े की गश्त लगाते थे। लद्दाख को अलग केंद्र-शासित क्षेत्र बनाने के फ़ैसले के बाद चीनी सेना के रवैए में बदलाव आया, सख़्ती आई। अब चीनी सैनिक भारतीय सैनिकों का रास्ता रोकने लगे, उन्हें गश्त करने से मना करने लगे। दोनों के बीच 10 सितंबर को इसी कारण झड़प हुई थी।
सैटेलाइट इमेज
मौजूदा तनाव शुरू होने के बाद बीते दो महीने में उस इलाके की स्थिति बिल्कुल बदल गई है। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसारउपग्रह से मिली तसवीरों में साफ़ दिखता है कि पीएलए ने पैंगोंग झील के किनारे-किनारे स्थायी संरचनाएं बना ली हैं। फिंगर 4 के पास चीनी सेना ने बंकर, रहने के लिए घर, छाती की ऊंचाई तक की दीवालें वगैरह खड़ी कर ली हैं।
बार-बार घुसपैठ
पैंगोंग त्सो झील को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद और तनाव पहले भी हुए हैं। इसके पहले भी चीनी सैनिक भारतीय इलाक़े में घुस आए हैं। इंडियन एक्सप्रेस का कहना है कि 2019 में पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने भारतीय इलाक़े में 142 बार घुसपैठ की, 2018 में 72 बार और 2017 में 112 बार चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की है।पर्यवेक्षकों का कहना है कि जब 10 सितंबर को झड़प हुई थी और उसमें भारतीय सैनिक घायल भी हुए थे तो निश्चित तौर पर वह जानकारी रक्षा मंत्रालय को दी गई होगी। सरकार ने उसी समय गंभीरता से यह मामला क्यों नहीं लिया और क्यों नहीं इस मुद्दे को चीन के साथ उठाया?
उसी समय क्यों नहीं उस इलाक़े में भारतीय सैनिकों की गश्त सुनिश्चित करने और उनकी पकड़ को और पुख़्ता करने की कोशिशें की गईं? उस समय की यह लापरवाही बाद में बड़ी चूक का कारण बनी।
जानकारों के मुताबिक़ अनुच्छेद 370 में बदलाव के समय सरकार ने बाद के संभावित परिदृश्य की कल्पना नहीं की, उससे जुड़ी कोई तैयारी नहीं की। उसने चीनी धमक बढ़ने पर भी कुछ नहीं किया और पानी सिर के ऊपर से गुजरने के बाद ही होश में आई।
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