दूसरी लहर?
ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि चीन में संक्रमण का दूसरा दौर शुरू हो चुका है।
जब संक्रमण कम हो जाता है और लोगों को लगने लगता है कि यह ख़त्म हो गया उसके बाद यकायक संक्रमण तेज़ी से बढ़ता है तो उसे 'सेकंड वेव' या 'दूसरी लहर' या 'दूसरा दौर' कहते हैं।
चीन में बीते 24 घंटे में कोरोना के 61 नए मामले सामने आए हैं। यह अप्रैल के बाद से अब तक एक दिन की सबसे बड़ी संख्या है। ये तीन अलग-अलग इलाक़ों में पाए गए हैं।
भारत के लिए चिंता की बात
लेकिन यह भारत के लोगों और यहाँ के स्वास्थ्य मंत्रालय और नीति निर्धारकों के लिए अधिक चिंता की बात है।भारत में अभी पहला चरण ही ख़त्म नहीं हुआ है। तमाम सरकारी आकलन नाकाम हुए हैं, सरकार को यही पता नहीं है कि संक्रमण का चरम कब होगा।
नाकाम हुआ प्रधानमंत्री का दावा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 मार्च से लॉकडाउन का एलान करते हुए कहा था कि कोरोना रोकथाम के लिए उन्हें सिर्फ 21 दिन का समय चाहिए। सरकारी संस्था और कोरोना रोकथाम की नोडल एजेंसी इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च के एक अधिकारी ने मई में कोरोना रुकने का दावा किया था। आईसीएमआर ने बाद में यह समय सीमा बढ़ा कर जुलाई कर दी थी।
इसी तरह दूसरे दौर के बारे भी सरकार के पास कोई साफ़ और ठोस जवाब नहीं है। इसके सितंबर से नवंबर तक आने की बात कई बार अलग-अलग समय में अलग-अलग लोगों ने कही है।
इस बारे में एक चौंकाने वाली रिपोर्ट है, जिस पर किसी को परेशानी हो सकती है।
मशहूर अमेरिकी संस्था मैसाच्यूसेट्स इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते टीका या दवा की इजाद नहीं की गई तो भारत की स्थिति सबसे बुरी होगी और यहाँ संक्रमितों की तादाद 2.87 लाख प्रतिदिन हो सकती है।
तैयार है भारत?
एमआईटी के स्लोअन स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट ने कोरोना संक्रमण के फैलने पर एक शोध किया है। हाज़िर रहमानदाद, टी. वाई. लिम और जॉन स्टर्मन की टीम ने शोध में पाया कि जाड़े के अंत तक 2021 में भारत में कोरोना रोगियों की संख्या सबसे अधिक हो सकती है।
सवाल यह उठता है कि क्या एमआईटी और ऑक्सफर्ड का अनुमान सही साबित होगा? पर उससे अधिक चिंता की बात यह है कि भारत के नीति निर्धारको को इसकी न कोई चिंता है न ही इसकी पूरी और पक्की जानकारी।
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