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मैं इन आरोपों से बेहद दुखी हूँ। यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर गंभीर ख़तरा है, यह अविश्वसनीय है और मुझे नहीं लगता है कि मुझे इस निचले स्तर तक जाकर इसका जवाब देना चाहिए। न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बेहद, बेहद, बेहद गंभीर ख़तरा है और यह न्यायपालिका को अस्थिर करने का एक बड़ा षड्यंत्र है।
रंजन गोगोई, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश
मुख्य न्यायाधीश ने कहा है कि यह आरोप उन पर तब लगे हैं जब वह अगले हफ़्ते सुप्रीम कोर्ट में एक महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई करने जा रहे हैं। जस्टिस गोगोई ने कहा कि मैं इस कुर्सी पर बैठूंगा और बिना डर के अपने न्यायिक कर्तव्यों का निर्वहन करुँगा।
जस्टिस गोगोई ने कहा कि मेरे अकाउंट में 6.8 लाख रुपये हैं, मेरे चपरासी के पास मुझसे ज़्यादा पैसे हैं। 20 साल नौकरी करने के बाद क्या मुख्य न्यायाधीश को यह पुरस्कार दिया गया है?
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इस तरीक़े के हमले हम पर होंगे तो कोई भी जज किसी भी मामले में फ़ैसला नहीं दे पाएगा। प्रतिष्ठा ही हमारी एकमात्र पूँजी है और उस पर भी हमला हुआ है। मैं यह कहना चाहता हूँ कि हर कर्मचारी के साथ निष्पक्ष और तमीज के साथ व्यवहार होता है। यह कर्मचारी सिर्फ़ डेढ़ महीने के लिए वहाँ थी और जो आरोप लगे हैं, मैं उनका जवाब देना उचित नहीं समझता।
रंजन गोगोई, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश
महिला ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि इस घटना के दो महीने के बाद 21 दिसंबर को उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।
अपने हलफ़नामे में महिला ने दावा किया है कि उसकी बर्खास्तगी के जो 3 कारण बताए गए उनमें से 1 कारण यह था कि उसने बिना अनुमति के 1 दिन की कैजुअल लीव ली। वेबसाइट महिला के हलफ़नामे का हवाला देते हुए आगे लिखती है कि बर्खास्तगी के बाद भी महिला की तकलीफ़ें कम नहीं हुईं, यह दावा महिला ने किया है। उसके पति और उसके देवर जो दिल्ली पुलिस में हेड कांस्टेबल के पद पर हैं, उन्हें दिसंबर 2018 में सस्पेंड कर दिया गया और कारण यह बताया गया कि 2012 में जिस कॉलोनी में वह रहते थे, वहाँ उन्होंने कोई झगड़ा किया था। हालाँकि यह झगड़ा आपसी सहमति से सुलझा लिया गया था।
वेबसाइट आगे लिखती है कि 11 जनवरी 2019 को एक पुलिस ऑफ़िसर महिला को लेकर मुख्य न्यायाधीश के घर पर गया जहाँ मुख्य न्यायाधीश की पत्नी ने उससे कहा कि वह ज़मीन पर लेटकर उनके पैरों पर अपनी नाक रगड़े और माफ़ी माँगे। महिला ने ऐसा ही किया। हालाँकि उसका दावा है कि उससे क्यों माफ़ी मंगवाई गई, यह उसे नहीं मालूम।
महिला ने यह भी दावा किया है कि उसके विकलांग देवर को 14 जनवरी को उसके पद से हटा दिया गया। यह देवर सुप्रीम कोर्ट में 9 अक्टूबर को अस्थायी जूनियर कोर्ट अटैंडेंट के पद पर बहाल किया गया था।
हलफ़नामे में यह आरोप भी लगाया गया है कि उन्हें थाने में हथकड़ी लगाकर रखा गया और उन्हें यंत्रणा दी गई। ख़बर में इस बात का भी दावा किया गया है कि हथकड़ी लगा हुआ वीडियो भी हलफ़नामे के साथ सुप्रीम कोर्ट के जजों को भेजा गया है।
सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटी जनरल ने इन आरोपों को झूठा और अपमानजनक बताया है। सेक्रेटी जनरल ने यह भी लिखा है कि हो सकता है कि इस शिकायत के पीछे कुछ शरारती तत्व हों जो सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्था को बदनाम करना चाहते हों।
इन दिनों रफ़ाल का मामला भी काफ़ी गर्माया हुआ है। रफ़ाल के मामले में मोदी सरकार गंभीर आरोपों से घिरी है। ‘द हिंदू’ और ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ और कुछ फ़्रांसीसी अख़बार के ख़ुलासों से सरकार की काफ़ी किरकिरी हो रही है।
हम आपको बता दें कि रफ़ाल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कुछ महीने पहले सरकार को एक तरह से क्लीन चिट दे दी थी लेकिन नए ख़ुलासे सामने आने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले की दोबारा सुनवाई मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में कर रहा है। और इस मामले में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को नए सिरे से नोटिस जारी किया है। चुनाव के मौक़े पर सुप्रीम कोर्ट का इस मामले की नए सिरे से सुनवाई करना सरकार के लिए एक बड़ा झटका है। इस मामले में ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साख पर प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है।
सीजेआई रंजन गोगोई अगले हफ़्ते कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के अदालत की अवमानना करने, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बायोपिक के रिलीज़ होने, मतदाताओं को रिश्वत दिए जाने के आरोप में तमिलनाडु में चुनाव स्थगित कराने के मामले की सुनवाई करने जा रहे हैं।
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