कब्रिस्तान शब्द का जिक्र इस गाने में क्यों किया गया है, इसे भी आसानी से समझा जा सकता है। इस तरह के नफ़रत को बढ़ावा देने वाले गानों को सोशल मीडिया पर एक वर्ग ख़ूब शेयर भी कर रहा है और एक समुदाय विशेष के ख़िलाफ़ जमकर आग भी उगली जा रही है।
उत्तर प्रदेश के गोंडा के एक किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले वरुण ने कहा कि यह गीत उनके मित्र संतोष यादव ने लिखा है। जब वह लखनऊ की म्यूजिक कंपनी ‘जनता म्यूजिक’ के स्टूडियो गए तो वहाँ पर ‘भेज दो पाकिस्तान’ की जगह ‘भेज दो कब्रिस्तान’ कर दिया गया। वरुण बहार ने सफ़ाई दी थी कि यह गाना किसी धर्म को मानने वालों के ख़िलाफ़ नहीं है और लोग और मीडिया बेवजह उसके पीछे पड़े हुए हैं। बताया जाता है कि वरुण अश्लील और उत्तेजक गाने गाते हैं। गाने के विरोध में देश भर के कई शहरों में एफ़आईआर दर्ज की गई हैं।
वरुण ने सफ़ाई देते हुए कहा कि उन्हें देश भर से धमकियाँ मिल रही हैं। उन्होंने कहा कि बजरंग दल, हिंदू युवा वाहिनी से उन्हें मदद की सख़्त ज़रूरत है। वरुण ने कहा कि राम के नाम से जिन लोगों को परेशानी होती है, उनके ख़िलाफ़ यह गाना गाया गया है।
गीतकार संतोष यादव तो यहाँ तक कहते हैं कि उन्होंने यह गाना धर्म की रक्षा के लिए बनाया है और वे लोग बस अपने धर्म का प्रचार कर रहे हैं। वे लोग गाने को लाइक और शेयर करने की भी अपील करते हैं।
झारखंड के तबरेज़ अंसारी की पिटाई वाले वीडियो में भी यह देखा गया कि भीड़ उसे बुरी तरह पीटने के साथ ही ‘जय श्री राम’ और ‘जय हनुमान’ का नारा लगाने के लिए कह रही है। कुछ दिन पहले ही दिल्ली, कोलकाता में मदरसे के टीचर्स के साथ भी ‘जय श्री राम’ बोले जाने को लेकर मारपीट की घटनाएँ हुई थीं।
कुछ महीने पहले ही बिहार के बेगूसराय में एक मुसलिम फेरीवाले को उसका नाम पूछने के बाद उसे गोली मार दी गई थी और उसे पाकिस्तान जाने के लिए कहा गया था। फेरीवाले का नाम मोहम्मद कासिम था।
सोशल मीडिया पर नफ़रत भरे संदेशों की बाढ़ आई हुई है और हम बात कर रहे हैं कि देश को 5 ख़रब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाएँगे। सबसे पहले तो जाँच इस बात की होनी चाहिए कि दिन-रात देश में धार्मिक आधार पर नफ़रत का माहौल क्यों बनाया जा रहा है। आख़िर क्यों इनके ख़िलाफ़ सख़्त से सख़्त कार्रवाई नहीं होती जिससे इनके मंसूबे नाकाम हो सकें। ये आए दिन की बात हो गई है कि देश में सारी चर्चा हिंदू-मुसलमान पर सिमटकर रह गई है।
देश में एक ओर से अर्थव्यवस्था, रोज़गार के मोर्चे पर लगातार निराश करने वाली ख़बर आ रही है। ऑटो इंडस्ट्री से 10 लाख लोगों के नौकरी जाने की ख़बर हाल ही में आई है, बेरोज़गारी 45 साल में सबसे ज़्यादा होने की ख़बर को भी सरकार ने स्वीकार किया है। लेकिन इस पर बात करने के लिए कोई तैयार नहीं है। भारत एक लोकतांत्रिक देश है और सभी को संवैधानिक रूप से समान अधिकार मिले है। कोई किसी धर्म, जाति, भाषा, नस्ल के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने की बात करता है तो क़ानून के हिसाब से सख़्त कार्रवाई किये जाने की ज़रूरत है। लेकिन बावजूद इसके सख़्त कार्रवाई नहीं होती और धार्मिक आधार पर नफ़रत फैलाने का यह नापाक काम जारी है और इससे देश का नाम बदनाम हो रहा है।
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