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चंद्रयान 3ः गिनती शुरू... देश की नजर आज शाम 6.04 पर 

चंद्रयान 3 की बुधवार शाम 6.04 बजे होने वाली लैंडिंग का पूरे देश में सीधा प्रसारण होगा। देशभर में स्कूलों को खोलने का आदेश दिया गया है। अंतरिक्ष प्रेमी इसे क्रिकेट मैच की पार्टी की तरह खाते-पीते सेलिब्रेट करने की तैयारी कर रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसरो के लाइव स्ट्रीमिंग कार्यक्रम में ऑनलाइन शामिल होंगे।

रूस के मिशन लूना-25 को चंद्रयान 3 की लैंडिंग से पहले ही चांद के दक्षिणी छोर पर उतरना था लेकिन किन्हीं वजहों से वो चंद्रमा की सतह से टकराया और खत्म हो गया। लूना 25 की नाकामी की वजह से चंद्रयान 3 को लेकर कौतूहल बढ़ गया है। 2019 में भारत का चंद्रयान -2 मिशन भी दक्षिणी क्षेत्र में सुरक्षित रूप से उतरने में विफल रहा था। चांद का दक्षिणी छोर गड्ढों और गहरी खाइयों से भरा है।

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बहरहाल, अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के वैज्ञानिकों ने विश्वास जताया है कि लैंडिंग बिना किसी रुकावट के होगी, क्योंकि वैज्ञानिकों ने चंद्रयान -2 की विफलता से बहुत कुछ सीखा है। तमाम गलतियों को सुधारा गया है।

कार्यक्रम का सीधा प्रसारण बुधवार शाम 5.20 बजे इसरो की वेबसाइट, यूट्यूब चैनल और डीडी नेशनल पर शुरू होगा। शाम 6.04 बजे विक्रम लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश करेगा।

वैज्ञानिकों ने चांद के साउथ पोल को लैंडिंग के सोच समझकर चुना है। इस क्षेत्र में पानी के निशान मिले हैं। चंद्रमा की सतह पर पानी है, इसका पता 2009 में इसरो के चंद्रयान-1 जांच के दौरान नासा के एक उपकरण द्वारा लगाया गया था। अगर इसकी पुष्टि फिर से हो जाती है तो चांद पर जीवन की कल्पना की जा सकती है, क्योंकि पानी के बिना जीवन असंभव है।

पानी की मौजूदगी भविष्य के चंद्रमा मिशनों के लिए आशा जगाएगी। इसका इस्तेमाल पीने के पानी के स्रोत के रूप में, उपकरणों को ठंडा करने और ऑक्सीजन पैदा करने के लिए किया जा सकता है। इससे महासागरों की उत्पत्ति के बारे में भी सुराग मिल सकते हैं।

अगर बुधवार को लैंडिंग सफलतापूर्वक हो गई तो रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद भारत चंद्रमा पर रोवर उतारने वाला चौथा देश होगा।

इसरो ने मंगलवार को साफ कर दिया कि मिशन तय समय पर है और सिस्टम की नियमित जांच हो रही है। लेकिन अगर उसे लगा कि लैंडिंग में जोखिम है तो लैंडिंग की तारीख आगे बढ़ सकती है। इसरो ने ट्विटर पर लगभग 70 किमी की ऊंचाई से ली गई चंद्रमा की तस्वीरें भी जारी कीं। 

चंद्रमा लैंडर को 14 जुलाई को एलवीएम 3 हेवी-लिफ्ट लॉन्च वाहन पर लॉन्च किया गया था। इसे 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में स्थापित किया गया था। लैंडर विक्रम का नाम विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है, जिन्हें व्यापक रूप से भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक माना जाता है।

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चंद्र मिशन के बाद, इसरो के पास कई परियोजनाएँ हैं - उनमें से एक सूर्य का अध्ययन करने का मिशन, मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, गगनयान है। सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित भारतीय वेधशाला, आदित्य-एल1 प्रक्षेपण के लिए तैयार हो रही है। 

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क़मर वहीद नक़वी
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