A technical snag was observed in launch vehicle system at 1 hour before the launch. As a measure of abundant precaution, #Chandrayaan2 launch has been called off for today. Revised launch date will be announced later.
— ISRO (@isro) July 14, 2019
बताया गया था कि चंद्रयान-2 का लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ दक्षिणी ध्रुव पर उतरेंगे। ऑर्बिटर चंद्रमा के चारों तरफ़ चक्कर लगाते हुए विक्रम और प्रज्ञान से मिले डाटा को इसरो केंद्र को भेजेगा।
परमाणु रिएक्टरों में हीलियम-3 के इस्तेमाल से रेडियोएक्टिव कचरा नहीं पैदा होगा। इससे आने वाले सैकड़ों सालों तक धरती की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा किया जा सकेगा। बताया जाता है कि चंद्रमा पर हीलियम-3 विशाल भंडार मौजूद है।
चंद्रयान 2 को इसरो के वैज्ञानिकों का महत्वाकांक्षी मिशन माना जा रहा है। और ऐसा पहली बार हो रहा है कि इस मिशन में दो महिलाएँ भी शामिल हैं। मुथैया वनिता प्रोजेक्ट डायरेक्टर और रितु कारिधाल मिशन डायरेक्टर के तौर पर इस मिशन के लिए अहम भूमिका निभा चुकी हैं। इतिहास की बात करें तो 20 जुलाई 1969 को मनुष्य पहली बार चाँद पर उतरा था। नासा ने अपने अंतरिक्ष यात्रियों नील आर्मस्ट्रॉन्ग और आल्ड्रिन जूनियर को चाँद पर उतारा था। वायु सेना के पूर्व पायलट राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय थे और कल्पना चावला और भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स भी अंतरिक्ष जा चुकी हैं।
बता दें कि इसी साल मार्च में भारत ने अपने एंटी-सैटेलाइट हथियार का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था। इसके बाद भारत अंतरिक्ष क्षमताओं के मामले में अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की कतार में खड़ा हो गया था। इसरो की कोशिश है कि 2022 तक मिशन गगनयान पूरा हो जाए। इसके तहत तीन यात्रियों को सात दिनों के लिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे लेकर बेहद गंभीर हैं। विश्व भर में अंतरिक्ष में पैर जमाने को लेकर प्रतिस्पर्धा छिड़ी हुई है और ऐसे में भारत भी मजबूती से अपने क़दम इस दिशा में बढ़ा रहा है।
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