जजों की सम्मिलित राय
समझा जाता है कि जस्टिस चंद्रचूड़ की चिट्ठी सिर्फ़ उनकी निजी राय नहीं, बल्कि तमाम जजों का सम्मिलित विचार है। उन्होंने चिट्ठी लिखने से पहले 17 जजों से राय मशविरा किया था। इस समय सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के अलावा 22 जज हैं। इसमें यौन उत्पीड़न जाँच समिति के तीन जजों के अलावा जस्टिस एन. वी. रमण भी हैं।“
लोग हमारे पास इसलिए आते हैं कि उन्हें हम पर भरोसा है और उन्हें लगता है कि हम निष्पक्ष हैं। .... शिकायतकर्ता ने जिन वजहों से जाँच से खुद को अलग कर लिया है, उन्हें दूर किया जाए।
डी. वाई. चंद्रचूड़, सुप्रीम कोर्ट जज
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मैं समिति की जाँच प्रक्रिया का बहिष्कार करने को मजबूर हुई क्योंकि मुझे ऐसा लगा कि समिति के लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कि यह कोई मामूली जाँच नहीं है, बल्कि मौजूदा मुख्य न्यायाधीश पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों की जाँच का मामला है। मैं बेहद असमान स्थितियों में यहाँ हूँ और जाँच समिति को ऐसी प्रक्रिया अपनानी चाहिए जो समानता और निष्पक्षता सुनिश्चित करे।
मुख्य न्यायाधीश पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला
'प्रतिष्ठा का प्रश्न'
जस्टिस चंद्रचूड़ ने शिकायत करने वाली महिला को सुनवाई के दौरान वकील लाने की अनुमति नहीं देने को ‘प्रक्रिया का गंभीर उल्लंघन’ क़रार देते हुए कहा कि ‘यह उनकी प्रतिष्ठा का प्रश्न’ है।एमिकस क्यूरी
चंद्रचूड़ ने समिति के जजों पर भरोसा जताते हुए कहा कि उन्हें एक एमीकस क्यूरी या ऐसा व्यक्ति नियुक्त करना चाहिए जो अदालत की मदद करे। उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट की कोई रिटायर महिला जज एमीकस क्यूरी बनाई जा सकती हैं।बता दें कि भारत की न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार किसी सीजेआई पर यौन शोषण का आरोप लगा है। महिला के मुताबिक़, सीजेआई गोगोई ने अपने निवास कार्यालय पर उसके साथ शारीरिक छेड़छाड़ की और जब उसने इसका विरोध किया तो उसे कई तरह से परेशान किया गया और अंत में उसे नौकरी से भी बर्खास्त कर दिया गया।
इन आरोपों के सामने आने के बाद सीजेआई गोगोई ने कहा था कि वह इन आरोपों से बेहद दुखी हैं। उन्होंने कहा था कि उन्हें नहीं लगता है कि उन्हें निचले स्तर तक जाकर इसका जवाब देना चाहिए।
सीजेआई के ख़िलाफ़ साज़िश?
सुप्रीम कोर्ट के ही एक वकील उत्सव बैंस ने इस मामले में सीजेआई के ख़िलाफ़ साज़िश रचे जाने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि सीजेआई के ख़िलाफ़ एक झूठा केस इसलिये दर्ज़ कराया गया है ताकि वह इस्तीफ़ा दे सकें। उत्सव ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र देकर कहा था कि सीजेआई गोगोई के ख़िलाफ़ आरोप लगाने वाली महिला के पक्ष में प्रेस क्लब में प्रेस कॉन्फ़्रेंस करने के लिए अजय नाम के व्यक्ति ने उन्हें डेढ़ करोड़ रुपये देने की पेशकश की थी।
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