कोरोना वैक्सीन का एक डोज निजी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों पर 250 रुपये में मिलेगा। सरकार ने वैक्सीन की यह क़ीमत तय की है। यानी वैक्सीन के लिए प्रति व्यक्ति को ज़रूरी दो डोज के लिए 500 रुपये से ज़्यादा खर्च नहीं आएगा। इसके साथ ही सरकार ने सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में वैक्सीन को मुफ़्त में लगाए जाने की घोषणा की है।
सरकार की यह घोषणा एक मार्च से शुरू होने वाले कोरोना टीकाकरण अभियान के दूसरे चरण से पहले की गई है। दूसरे चरण में 60 से ज़्यादा उम्र के लोगों और कोमोर्बिडिटीज वाले 45 से ज़्यादा उम्र के लोगों को ही वैक्सीन दी जाएगी। कोमोर्बिडिटीज से मतलब वैसे लोगों से है जो एक साथ कई बीमारियों से जूझ रहे हों और कोरोना जैसे वायरस के प्रति संवेदनशील हों।
#LargestVaccineDrive
— Ministry of Health (@MoHFW_INDIA) February 27, 2021
Private Sector Participation: States can use 10,000 hospitals under AB-PMJAY and 687 hospitals under CGHS as #COVID19 Vaccination Centres (CVCs), who may recover a charge subject to ceiling of ₹250/person/dose.https://t.co/tbkoPvo6cQ pic.twitter.com/bitlCP6wRE
60 वर्ष से अधिक आयु वालों को केवल अपनी उम्र की पहचान दिखानी होगी, जबकि 45 से अधिक आयु के लोगों में कोमोर्बिडिटीज के मामले में एक पंजीकृत डॉक्टर से हस्ताक्षरित एक फॉर्म देना होगा।
कहा जा रहा है कि दूसरे चरण में क़रीब 27 करोड़ लोगों को टीका लगाया जाएगा। इसमें से 60 से ज़्यादा उम्र के क़रीब 10 करोड़ लोगों को टीका लगाया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को कहा था कि 10 हज़ार सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों और 20 हज़ार से ज़्यादा निजी स्वास्थ्य केंद्रों पर टीका लगवाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि 10 हज़ार सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर टीका लगवाने वालों को मुफ़्त में टीका लगाया जाएगा। तब उन्होंने साफ़ कर दिया था कि प्राइवेट अस्पतालों में टीका लगवाने पर शुल्क देना होगा जिसकी घोषणा बाद में की जाएगी।
सरकार ने दो दिन पहले ही शुक्रवार को कहा था कि लोगों को अपनी पसंद के कोरोना वायरस टीकाकरण केंद्रों पर टीका लगवाने की छूट होगी।
ऐसे लोग सरकार के CoWIN 2.0 पोर्टल, आरोग्य सेतु ऐप के माध्यम से पंजीकरण करा सकते हैं, या फिर टीकाकरण केंद्रों में जाकर भी ऐसा कराया जा सकता है।
टीकाकरण अभियान को समन्वित करने में उपयोग किए जाने वाले सॉफ़्टवेयर को अपग्रेड करने के लिए इस सप्ताह के अंत में टीकाकरण रोक दिया गया है। 16 जनवरी के बाद से अब तक क़रीब सवा करोड़ स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंट-लाइन वर्कर्स को टीका लगाया जा चुका है।
कोरोना टीकाकरण अभियान काफ़ी धीमी गति से चली है क्योंकि देश में विकसित कोवैक्सीन शॉट लेने के लिए प्रति अनिच्छा दिखाई गई। यह इसलिए कि कोवैक्सीन के तीसरे चरण के आँकड़े के बिना इसके इस्तेमाल की मंजूरी दी गई। टीकाकरण पा चुके लोगों में से सिर्फ़ 11 फ़ीसदी लोगों ने ही भारत बायोटेक द्वारा विकसित उस वैक्सीन को लगवाना पसंद किया।
बता दें कि जनवरी की शुरुआत में भारत में दो टीके- कोविशील्ड और कोवैक्सीन को आपात मंजूरी मिली थी। तीन जनवरी को ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया यानी डीसीजीआई ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन टीके को मंजूरी दी थी।
जब देश में टीकाकरण अभियान 16 जनवरी से शुरू किया जाने वाला था तब प्रधानमंत्री ने कहा था कि भारत में अगले कुछ महीनों में 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी। पहले चरण में फ्रंटलाइन वर्कर्स को टीका लगाया जाना तय किया गया था। तब समझा गया था कि क़रीब 3 करोड़ लोगों को टीका लगाया जाएगा। 1.21 करोड़ से ज़्यादा लोगों को टीके लगाए जा चुके हैं।
जनवरी की शुरुआत में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि पहले चरण में देश में क़रीब 3 करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स और स्वास्थ्य कर्मियों को वैक्सीन लगाई जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि फिर 60 साल से ज़्यादा उम्र के बुजुर्गों और कोमोर्बिडिटीज वाले लोगों को टीका लगाया जाएगा। एक मार्च से अब टीकाकरण अभियान के इस दूसरे चरण में इन्हें ही टीका लगाया जाएगा।
टीकाकरण अभियान का दूसरा चरण ऐसे वक़्त में शुरू हो रहा है जब देश में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने लगे हैं।
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