वर्मा को हटाने पर कांग्रेस को ऐतराज़
कांग्रेस की तरफ से मोर्चा संभाला पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में उपनेता आनंद शर्मा ने। शर्मा ने कहा कि सिलेक्ट कमेटी में दो एक के बहुमत से लिया गया यह फै़सला न्याय की मूल अवधारणा के एकदम ख़िलाफ़ है। आलोक वर्मा को हटाए जाने से पहले कम से कम उनका पक्ष जानना चाहिए था। कांग्रेस की तरफ से मलिकार्जुन खड़गे ने जो एतराज़ कमेटी के सामने रखे थे उनका जवाब दिया जाना चाहिए था। मलिकार्जुन खड़गे ने कमेटी में मोटे तौर पर दो बातें रखी थीं। एक आलोक वर्मा को उनका कार्यकाल पूरा करने दिया जाए। वो 77 दिन भी उनके कार्यकाल में जोड़े जाएं जिस बीच उन्हें पद से दूर रखा गया और सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई चली। 23 अक्टूबर की रात आलोक वर्मा को अचानक छुट्टी पर भेजे जाने और उनकी जगह नए सीबीआई कार्यकारी डायरेक्टर के पदभार संभालने की घटना की एक निष्पक्ष जांच समिति या आयोग से जांच कराई जाए।

आनंद शर्मा ने कहा कि कांग्रेस के ऐतराज़ का जवाब दिए बग़ैर कमेटी ने आलोक वर्मा को हटाने का फ़ैसला किया। उन्हें हटाने में की गई जल्दबाज़ी से दाल में कुछ काला लगता है।
'वर्मा पर लगे आरोप निराधार'
इसके अलावा आनंद शर्मा ने सीवीसी की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए हैं। दरअसल, कांग्रेस नेता आनंद शर्मा का कहना है कि इस पूरे प्रकरण में सीवीसी ने अपनी विश्वसनीयता पूरी तरह से खो दी है। यह संस्था अब प्रधानमंत्री के इशारे पर काम करने वाली संस्था बनकर रह गई है। उन्होंने कहा कि सीवीसी की जांच में आलोक वर्मा पर लगे 10 आरोपों में से 6 पूरी तरह निराधार पाए गए और 4 आरोपों में कोई सबूत नहीं थे। परिस्थिति जनक सबूतों के लिए आगे की जांच का बहाना बनाकर उन्हें गलत तरीके से सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटाया गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मनपसंद के अधिकारियों को सीबीआई के डायरेक्टर और अन्य महत्वपूर्ण पदों पर बैठाना चाहते हैं।
कांग्रेस का आरोप है कि प्रधानमंत्री सीबीआई में ऊंचे पदों पर अपने लोगों को भरना चाहते हैं ताकि उनके पद से हटने के बाद भी अगले 2 साल तक उनके और उनके सहयोगियों की करतूतों पर पर्दा पड़ा रहे। उनके कार्यकाल में हुए घोटालों की जांच ना हो सके।
'सीबीआई-सीवीसी की विश्वसनीयता पर ख़तरा'
ग़ौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस सीकरी की कमेटी ने आलोक वर्मा को सीबीआई डायरेक्टर पद से हटाने का फ़ैसला 2-1 से किया है। प्रधानमंत्री ने आलोक वर्मा को हटाने का निर्णय किया, जस्टिस सी'करी ने उनका समर्थन किया और खड़गे ने अपना ऐतराज जताया। कांग्रेस के ऐतराज को सुप्रीम कोर्ट के जज के ख़िलाफ़ भी ऐतराज बताया जा रहा है। इस बाबत पूछे गए सवाल को आनंद शर्मा ने यह कह कर टाल दिया कि उनका ऐतराज कमेटी के फ़ैसले पर है किसी व्यक्ति विशेष के ख़िलाफ़ नहीं। हालांकि उन्होंने यह ज़रूर कहा की इस फ़ैसले से सीबीआई और सीवीसी की विश्वसनीयता को जो नुक़सान पहुँचा है उसकी भरपाई बहुत मुश्किल है।
अपनी राय बतायें