loader

पॉक्सो मामले में स्कूल की टीसी पर भरोसा नहीं कर सकते: सुप्रीम कोर्ट 

सुप्रीम कोर्ट ने पॉक्सो से जुड़े एक केस में आरोपी को बरी करने का आदेश देते हुए कहा है कि पॉक्सो मामलों में पीड़िता की उम्र निर्धारित करने के लिए स्कूल के ट्रांसफर सर्टिफिकेट और नामांकन रजिस्टर पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। इस मामले में जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एस रवींद्र भट की खंडपीठ ने कहा है कि जब भी किसी पॉक्सो मामले में पीड़िता की आयु को लेकर विवाद हो, तो ऐसे में कोर्ट को जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 94 में बताए गए कदमों पर विचार करना चाहिए। 
सुप्रीम कोर्ट बुधवार को पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति की अपील पर सुनवाई कर रहा था। याचिकाकर्ता ने कहा था कि इस केस में ट्रायल कोर्ट ने स्कूल ट्रांसफर सर्टिफिकेट पर भरोसा किया। जबकि डॉक्टर के मुताबिक पीड़ित लड़की की उम्र 18 वर्ष से अधिक और 20 वर्ष से कम हो सकती है। ट्रायल कोर्ट से दोषी ठहरा दिए गए इस व्यक्ति की अपील को हाईकोर्ट ने भी खारिज कर दिया था। 
इस केस में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले से असहमति जताते हुए कहा कि पीड़िता की उम्र निर्धारित करने के लिए स्कूल ट्रांसफर सर्टिफिकेट और नामांकन रजिस्टर पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि ऑसिफिकेशन टेस्ट से लड़की की उम्र का पता चल जाएगा। कोर्ट ने माना कि इस केस में अभियोजन पक्ष ये भी सिद्ध नहीं कर पाया है कि आरोपी व्यक्ति ने लड़की के साथ कोई जोर जबरदस्ती की थी या पेनिट्रेटिव सेक्सुअल अपराध हुआ था। 

इस केस में पॉक्सो एक्ट लागू नहीं होगा

पीड़िता ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत जो बयान दिया था उसमें भी उसने कहा था कि वह दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे। इस केस में पीड़िता ने जहर तक खा लिया था। वो दोषी करार दिए गए लड़के के साथ रहना चाहती थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लड़की के दिए बयान से पता चलता है कि उसका यौन उत्पीड़न नहीं हुआ था। इसलिए इस केस में पॉक्सो एक्ट लागू नहीं होगा। कोर्ट ने आरोपी की अपील को स्वीकार करते हुए दोषसिद्धि को रद्द कर दिया है।  

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें