पूरी दुनिया को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले और आज़ादी की लड़ाई के सबसे बड़े नेता महात्मा गाँधी की जयंती पर उनके ही हत्यारे को 'अमर' बताने वाले कौन हैं? वे कौन हैं जो हत्या जैसे जघन्य अपराध को अंजाम देने वाले के साथ खड़ा होना चाहते हैं। यह सवाल इसलिए अहम है कि देश के वातावरण में ज़हर घोला जा रहा है, एक नया नैरेटिव खड़ा करने की कोशिश की जा रही है। यह किसी एक आदमी के दिमाग का फ़ितूर नहीं है, एक सोची समझी रणनीति के तहत ऐसा किया जा रहा है और उसके पीछे एक बड़ी 'साइबर आर्मी' काम कर रही है।
2 अक्टूबर को गाँधी जयंती थी। देश को अंग्रेजों की ग़ुलामी से आज़ादी दिलाने वाले और दुनिया में अहिंसा का संदेश देने वाले बापू को पूरा भारत ही नहीं दुनिया में भी कई जगहों पर याद किया जा रहा था। लोग बापू को याद करके भावुक थे। लेकिन बापू ने जिस धरती से दुनिया को प्यार, मोहब्बत का संदेश दिया, उसी देश में कुछ लोग उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे के सम्मान में कसीदे पढ़ रहे थे। ये लोग गोडसे के लिए ‘गोडसे अमर रहें’ ट्रेंड करा रहे थे।
यह बेहद ही शर्मसार करने वाली बात है क्योंकि जिस बापू से पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन, रंगभेद के ख़िलाफ़ जंग छेड़ने वाले नेल्सन मंडेला से लेकर और न जाने दुनिया के कितने महान नेता प्रभावित रहे, उन्हीं बापू के हत्यारे का देश में महिमामंडन हो रहा है। लेकिन यक्ष प्रश्न यह है कि ये कौन लोग हैं जो गोडसे को महान बता रहे हैं, खुलेआम बता रहे हैं, चीख-चीखकर बता रहे हैं। ट्विटर पर ट्रेंड करा रहे हैं और इनके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं होती।
कुछ ऐसे ही स्क्रीनशॉट्स देखिये जिनमें खुलकर 'गोडसे अमर रहें' को ट्रेंड कराया।
कई ट्वीट में गोडसे को हिंदू हृदय सम्राट बताया गया और साथ ही जय श्री राम भी लिखा गया। ऐसे ही एक ट्वीट का स्क्रीनशॉट देखिये।
इस साल जनवरी में महात्मा गाँधी की पुण्यतिथि पर एक हिंदूवादी संगठन ने बेहद शर्मनाक हरक़त की थी। अलीगढ़ में अखिल भारतीय हिंदू महासभा की राष्ट्रीय सचिव पूजा शकुन पांडेय ने गांधीजी के पुतले को एक नकली बंदूक से एक के बाद एक तीन गोलियां मारीं थीं। गोली लगने के बाद कृत्रिम तौर पर बापू के पुतले से ख़ून बहते हुए भी दिखाया गया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर ख़ासा वायरल हुआ था। पूजा शकुन पांडेय को हालाँकि पुलिस ने गिरफ़्तार किया था लेकिन उनकी इस हरक़त से देश शर्मसार हुआ था।
गाँधीजी के पुतले को गोली मारती पूजा शकुन पांडेय।
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाया है। कांग्रेस ने कहा है कि बीजेपी को बापू के हत्यारे में देशभक्त नजर आ रहा है और मन से माफ़ न करने की बात करने वाले प्रधानमंत्री ने ख़ुद अपने ‘मन-मंदिर’ में गोडसे को बैठा रखा है। कांग्रेस ने बीजेपी पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा है कि यह नौटंकी का अगला स्तर था, जिसे पूरे देश ने देखा।
साध्वी प्रज्ञा, कतील पर कार्रवाई क्यों नहीं?
देश में गोडसे को देशभक्त बताने की चर्चा भी बीजेपी की ही एक सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने की थी। प्रज्ञा ठाकुर ने कहा था, ‘नाथूराम गोडसे देशभक्त थे, हैं और रहेंगे। जो लोग उन्हें आतंकवादी कह रहे हैं, उन्हें अपने गिरेबान में झाँकना चाहिए।’ साध्वी प्रज्ञा के समर्थन में खुलकर सामने आए थे कर्नाटक बीजेपी के नेता नलिन कतील। कतील ने ट्वीट कर कहा था, 'गोडसे ने एक को मारा, कसाब ने 72 को और राजीव ने 17 हज़ार को, अब आप देखिए कौन सबसे ज़्यादा जालिम है।'
इसके अलावा जब साध्वी प्रज्ञा ने गोडसे को देशभक्त बताया था तो ख़ुद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि वह उन्हें दिल से कभी माफ़ नहीं करेंगे। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि वह गोडसे के समर्थन में बयान देने वाले कतील और अन्य बीजेपी नेताओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई करेंगे लेकिन कार्रवाई होने के बजाय नलिन कतील को कर्नाटक बीजेपी का अध्यक्ष बना दिया गया।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री अनंत हेगड़े ने भी साध्वी प्रज्ञा के बयान को सही ठहराते हुए कहा था, ‘मैं खुश हूँ कि क़रीब 7 दशक बाद आज की नई पीढ़ी इस मुद्दे पर चर्चा कर रही है और साध्वी प्रज्ञा को इस पर माफ़ी माँगने की ज़रूरत नहीं है।’
अब सवाल यह है कि ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई क्यों नहीं होती। एक तरफ़ प्रधानमंत्री मोदी सभी से बापू के आदर्शों पर चलने के लिए कहते हैं लेकिन दूसरी ओर उन्हीं की पार्टी के नेता गोडसे का महिमामंडन करते हैं।
‘गोडसे अमर रहें’ ट्रेंड कराने वाले लोग बेख़ौफ़ हैं, बदजुबान हैं, वे किसी से नहीं डरते। उनके पास न जाने कौन सी ताक़त का समर्थन है कि उनके ख़िलाफ़ पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती। लेकिन इससे भारत जैसे लोकतांत्रिक मुल्क की दुनिया भर में छवि ख़राब होती है और साथ ही ऐसे लोग आने वाली पीढ़ियों के मन को भी दूषित कर रहे हैं लेकिन इस सबके बाद भी इनके ख़िलाफ़ कोई एक्शन होता न पहले दिखा है और न ही आगे ऐसी कोई उम्मीद है जो इस बात को साबित करता है कि वास्तव में उन्हें किसी ‘ताक़त’ की शह ज़रूर है।
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