नूंह में कथित अवैध संपत्तियों का गिराने की कार्रवाई शनिवार 5 अगस्त को भी जारी रही। इन संपत्तियों को उन लोगों की बताया जाता है, जिन पर हाल ही नूंह हिंसा में शामिल होने का आरोप है। शनिवार को गिराई गई दुकानों में ज्यादातर मेडिकल स्टोर थे। हालांकि नूंह हिंसा के जिम्मेदार बताए जा रहे मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी पर पुलिस कोई कार्रवाई नहीं, अलबत्ता समुदाय विशेष से जुड़ी संपत्तियों पर नूंह में बुलडोजर चलाए जा रहे हैं।
स्थानीय अधिकारियों ने शनिवार को 45 से अधिक व्यावसायिक दुकानों को अवैध रूप से निर्मित होने का आरोप लगाते हुए बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया। भारी पुलिस तैनाती के बीच नलहर रोड पर एसकेएचएम गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज के पास इन दुकानों को तोड़ दिया गया।
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सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट अश्विनी कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के निर्देश पर कार्रवाई की जा रही है, उन्होंने दावा किया कि कुछ दुकानें नूंह में सांप्रदायिक हिंसा में शामिल लोगों की थीं। एसडीएम ने कहा कि “अतिक्रमण 2.5 एकड़ में फैला हुआ था। यह सब अवैध निर्माण था। यह पाया गया है कि इनमें से कुछ लोगों की हाल की झड़पों में संलिप्तता थी।''
स्थानीय एसडीएम और नगर नियोजन विभाग के अधिकारियों के नेतृत्व में जिला प्रशासन की प्रवर्तन शाखा की एक टीम एसएचकेएम सरकारी मेडिकल कॉलेज के पास शनिवार को बाजार क्षेत्र में पहुंची और कई अर्थ-मूविंग मशीनों और श्रमिकों की मदद से विध्वंस अभियान शुरू किया।
नूंह जिला टाउन प्लानर ने एएनआई से कहा, "नलहर रोड पर अवैध रूप से बनी 45 से अधिक व्यावसायिक दुकानों को ध्वस्त किया जा रहा है।"
नूंह हिंसा में मोनू मानेसर औऱ बिट्टू बजरंगी के नाम प्रमुखता से आए थे। मोनू मानेसर के खिलाफ पहले से ही दोहरी हत्या का केस दर्ज है। नूंह में एक धार्मिक यात्रा के दौरान हिंसा हुई थी। उस धार्मिक यात्रा में तलवार और हथियार ले जाने के आऱोप भाजपा नेताओं ने ही लगाए। लेकिन पुलिस इन मामलों में कार्रवाई के बजाय समुदाय विशेष के लोगों को जिम्मेदार बताकर उनकी संपत्तियों पर कार्रवाई कर रही है। उन्हें बुलडोजर से गिराया जा रहा है। हालांकि अदालत में अभी ऐसे लोगों का दोष साबित होना है। एक तरह से यूपी, एमपी, गुजरात में जिस तरह से बुलडोजर राजनीति की गई, वही हरियाणा में भी की जा रही है।
मुस्लिम बहुल नूंह में सोमवार को विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के जुलूस निकालने के दौरान भारी हिंसा हुई थी। हिंसा की घटनाओं में दो होम गार्ड और समुदाय विशेष के धर्मगुरु सहित छह लोगों की मौत हो गई। बाद में यह हिंसा गुड़गांव और इसके आसपास के इलाकों में फैल गई। हिंसा के दौरान धर्म विशेष के लोगों के धर्मस्थलों को चुन-चुन कर निशाना बनाया गया। अकेले गुड़गांव में ही दो धर्मस्थल फूंक दिए गए।
गुरुवार को, अधिकारियों ने तावड़ू शहर और पड़ोसी नूंह जिले के अन्य क्षेत्रों में अतिक्रमित सरकारी भूमि पर लगभग 250 झोपड़ियों पर बुलडोजर चलाया था। जबकि नूंह के निवर्तमान उपायुक्त प्रशांत पंवार ने इस बात से इनकार किया कि विध्वंस हालिया हिंसा से जुड़ा है, लेकिन बाद में गृह मंत्री अनिल विज ने यह संकेत दिया।
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मंत्री विज ने चंडीगढ़ में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "बुलडोजर से भी इलाज कराया जा रहा है।"
विज ने कहा कि नूंह में सांप्रदायिक झड़पों के सिलसिले में अब तक 202 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 80 को एहतियातन हिरासत में लिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह से पहाड़ियों से गोलियां चलाई गईं और इमारतों की छतों पर पत्थर जमा किए गए, उससे पता चलता है कि नूंह हिंसा पूर्व नियोजित थी।
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