अंतरिम बजट 2024 का भाषण पढ़ते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 1 करोड़ परिवारों को 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली मिलेगी। लेकिन उन्होंने इसके साथ अगर शब्द भी जोड़ा था। उसी अगर को यहां बता रहे हैं। निर्मला सीतारमण ने कहा, "रूफटॉप सोलराइजेशन (घर की छत पर सोलर सिस्टम) के माध्यम से 1 करोड़ परिवार हर महीने 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली प्राप्त कर सकेंगे। मतलब ये है कि अगर आप सोलर एनर्जी सिस्टम अपनाते हैं, तभी आप 300 यूनिट बिजली बचा सकते हैं और सरकार उसी को आपका फायदा बता रही है। सरकार का कहना है कि सोलर वाले घर 15000 से 18000 रुपये तक बचा सकेंगे। उनके सोलर सिस्टम से जो बिजली सरप्लस या अतिरिक्त होगी, उसे वे बिजली कंपनी को बेच देंगे। इस तरह सोलर सिस्टम वाले घर काफी फायदा उठा सकेंगे।
सरकार की नजर यहां है
आने वाले समय में इलेट्रिक वाहनों (ईवी) की संख्या बढ़ने वाली है। लेकिन उसके लिए भारत में चार्जिंज स्टेशन नहीं हैं। सरकार इसमें युवकों के लिए रोजगार देख रही है। ऐसे में सोलर सिस्टम के जरिए जो बिजली बचेगी वो ईवी चार्जिंग स्टेशनों को आपूर्ति की जाएगी। इससे इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग इकोसिस्टम तैयार हो जाएगा। यह युवाओं को अपनी आय बढ़ाने के लिए तकनीकी कौशल प्रदान करेगा जो सौर पैनलों, ईवी चार्जर और आवश्यक उपकरणों के निर्माण, स्थापना और रखरखाव में शामिल होंगे।
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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी को कहा था कि केंद्र देश में छत पर सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए एक नई योजना विकसित करने जा रही है।
राज्य द्वारा संचालित आरईसी योजना की कार्यान्वयन एजेंसी होगीय़ यह छत पर सोलर पैनलों की स्थापना के लिए ₹1.2 ट्रिलियन तक का ऋण देगी।
पिछले महीने मीडिया से बात करते हुए, आरईसी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक (सीएमडी) विवेक कुमार देवांगन ने कहा था कि कंपनी को योजना के लिए कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में नामित किया गया है और इसके निदेशक मंडल ने प्रत्येक के लिए लगभग ₹15,000 करोड़ के ऋण पत्रों को मंजूरी दे दी है। आठ केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम हैं जो राज्यों में छतों पर सोलर पैनल लगाएंगे।
वर्तमान में, सरकार आवासीय सौर छत परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। मकान मालिकों के लिए इसे और अधिक आकर्षक बनाने के लिए, केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने हाल ही में आवासीय सौर छत परियोजनाओं के लिए केंद्रीय वित्तीय सहायता में बदलाव किया है। नए लाभार्थी राष्ट्रीय सोलर रूफटॉप पोर्टल के माध्यम से सब्सिडी योजना के तहत ₹10,000 से ₹22,000 तक की अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
पक्का मकान किसको
वित्त मंत्री ने अपने बजट प्रेजेंटेशन में कहा मध्यम वर्ग के "योग्य" वर्गों के लिए एक योजना शुरू करेगी। यह योजना मध्यम वर्ग को अपना घर बनाने में मदद करेगी, जो वर्तमान में किराए के घरों, झुग्गियों, चॉलों और अनधिकृत कॉलोनियों में रहता है।सीतारमण ने खुलासा किया कि भारत ग्रामीण आवास योजना के तहत तीन करोड़ घरों के अपने लक्ष्य को हासिल करने के करीब है। इसके अतिरिक्त, परिवारों की संख्या में वृद्धि से पैदा होने वाली आवश्यकता को पूरा करने के लिए आने वाले पांच वर्षों में दो करोड़ और घर बनाए जाएंगे।
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दरअसल, सरकार बड़ी-बड़ी निजी कंपनियों को देश के तमाम महानगरों में फैली झुग्गी बस्तियों में पक्के मकान देने के लिए बढ़ावा देने जा रही है। वित्त मंत्री ने अपने भाषण में चॉल शब्द का इस्तेमाल खासतौर पर किया था। चॉल शब्द मुंबई में बोला जाता है। ऐसे घर जो मलिन बस्तियों में बने हैं। यहां पर आपको एक बात उल्लेख के तौर पर बता दें कि मुंबई में एशिया के सबसे बड़े स्लम धारावी में रहने वालों को पक्का मकान देने की योजना पर पहले से ही काम हो रहा है। धारावी के रीडेवलेपमेंट का काम अडानी समूह को दिया गया है। अडानी समूह अब धारावी में रहने वालों को पक्के मकान बनाकर देगा। अकेले धारावी में ही दो लाख से ज्यादा मकान बन जाएंगे। धारावी में अडानी का एक फ्लैट 350 वर्गफुट में होगा। यह उन्हीं को मिलेंगे जो 1 जनवरी 2000 से पहले से रह रहे हैं।
सरकार की पक्का मकान योजना उन राज्यों में आसानी से लागू हो जाएगी लेकिन दिल्ली और बेंगलुरु जैसे महानगर जो विपक्षी दलों द्वारा शासित हैं, उनमें यह योजना आसानी से लागू नहीं हो पाएगी। लेकिन योजना की फंडिंग आकर्षक हुई तो विपक्षी राज्य अपना लेंगे। जैसे उदाहरण के तौर पर घर के छत पर सोलर एनर्जी के लिए केंद्र की योजना को हाथोंहाथ लेने वाला दिल्ली पहला राज्य था। दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने इसे अपनी सरकार की घोषणा बताकर इसका हाल ही में जोरशोर से प्रचार किया था। जबकि सोलर पैनल पर सब्सिडी केंद्र देती रही है, जिसे अब बढ़ा दिया गया है।
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