जब भी कभी काले धन के बारे में बात होती है तो लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस भाषण को याद करते हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि विदेशों में रखा कालाधन अगर वापस आ गया तो सभी भारतीयों के खाते में आसानी से 15-15 लाख रुपये आ जाएँगे। कालेधन का ज़िक्र आने पर स्विस बैंक या स्विट्ज़रलैंड के बैंकों का ज़िक्र भी ज़रूर होता है और जब हमें यह पता चलता है कि भारतीयों का बेशुमार पैसा स्विस बैंकों में रखा हुआ है तो सभी की दिलचस्पी यह जानने की होती है कि आख़िर स्विस बैंकों में भारतीयों का कितना पैसा रखा हुआ है। आज तक इस बारे में हमेशा से ही कयास लगते रहे हैं क्योंकि सरकार के पास इसकी सही जानकारी नहीं थी। लेकिन अब कालेधन के बारे में भारत को जानकारी मिलनी शुरू हो जाएगी। बता दें कि मोदी सरकार विदेशों में रखे कालेधन को भारत वापस लाने की दिशा में कार्रवाई करने की बात कहती रही है।
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आयकर विभाग ने कहा है, ‘भारतीयों के द्वारा स्विटजरलैंड में खोले गये खातों के बारे में जानकारी मिलनी सितंबर से शुरू हो जाएगी। यह सरकार का कालेधन से लड़ने की दिशा में एक बड़ा क़दम होगा क्योंकि अब स्विस बैंक सीक्रेसी का समय ख़त्म हो जाएगा।’ यह घोषणा स्विट्जरलैंड के एक प्रतिनिधिमंडल के भारत दौरे के बाद हुई है। प्रतिनिधिमंडल की अगुआई स्विट्जरलैंड के शीर्ष कर अधिकारी निकोलस मारियो ने की थी। मारियो की भारत के राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय और बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ 29-30 अगस्त तक बैठक हुई थी। इस बैठक में दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा है कि सितंबर से स्विस बैंकों से जुड़ी गोपनीयता का दौर ख़त्म हो जाएगा। सीबीडीटी ने कहा है कि वित्तीय खातों की जानकारी के स्वतः आदान-प्रदान (एईओआई) की शुरुआत सितंबर से हो रही है।
बोर्ड ने यह भी कहा है कि भारत को स्विट्जरलैंड में भारतीय नागरिकों के द्वारा 2018 में बंद किए खातों की भी जानकारी मिल सकेगी। सीबीडीटी आयकर विभाग के लिए नीतियाँ बनाता है।
50 फ़ीसदी बढ़ा था पैसा
2018 में यह ख़बर आई थी कि स्विस बैंकों में जमा भारतीयों का पैसा पिछले तीन सालों से लगातार कम हो रहा था लेकिन साल 2017 में भारतीयों का पैसा 50 फ़ीसदी बढ़ गया था। तब विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर यह कहकर निशाना साधा था कि मोदी सरकार के काले धन के ख़िलाफ़ अभियानों के बावजूद स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा राशि में बढ़ोतरी कैसे हो रही है। पिछले साल भारत और स्विटज़रलैंड के बीच स्विस बैंकों में जमा धन के बारे में जानकारी साझा करने को लेकर बातचीत हुई थी, ताकि भारत यह पता लगा सके कि उसके यहां से कितना काला धन विदेश जा रहा है। मोदी सरकार ने जब 2016 में नोटबंदी की थी तो तब भी इस बात का हवाला दिया था कि इससे कालेधन पर रोक लगेगी।
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बता दें कि स्विटजरलैंड को काले धन को छुपाने के लिए सबसे सुरक्षित जगहों में माना जाता है। मई में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद स्विटजरलैंड ने भी उसके बैंकों में पैसा रखने वाले भारतीयों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। मई 2019 में स्विटजरलैंड ने 11 भारतीयों को इस संबंध में नोटिस थमाया था। स्विट्जरलैंड मार्च से मई तक स्विस बैंकों में पैसा रखने वाले 25 भारतीयों को नोटिस भेज चुका था।
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स्विटजरलैंड के फ़ेडरेल टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा जारी किए गए नोटिसों के बाद यह जानकारी सामने आई थी कि स्विस सरकार उसके बैंकों में पैसा रखने वाले खाताधारकों का नाम कई देशों के साथ साझा कर रही है। इसी प्रक्रिया में भारतीयों को भी नोटिस भेजा गया था। स्विस अधिकारियों ने जिन दो भारतीयों का पूरा नाम लिखा था उनके नाम कृष्ण भगवान रामचंद और कल्पेश हर्षद किनारीवाला हैं। इसके अलावा अन्य नामों के शुरुआती अक्षर भी बताये गये थे। इन नोटिस में कहा गया था कि संबंधित ग्राहक या उनका कोई प्रतिनिधि आवश्यक दस्तावेजों के साथ 30 दिनों के भीतर अपील करने के लिये उपस्थित हो।
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