फ़ेसबुक-बीजेपी के हालिया विवाद के बीच इन दोनों से ही जुड़ी हुई एक और अहम ख़बर सामने आई है। ख़बर यह है कि बीजेपी ने फ़रवरी, 2019 से अब तक (18 महीने में) फ़ेसबुक पर विज्ञापन के लिए सबसे ज़्यादा पैसा ख़र्च किया है। यह पैसा सामाजिक मुद्दों, चुनावों और राजनीतिक विज्ञापनों को लेकर ख़र्च किया गया है। यह रकम 4.61 करोड़ है जबकि कांग्रेस उससे काफ़ी पीछे है और उसने बीते 18 महीनों में 1.84 करोड़ रुपये ख़र्च किए हैं।
यहां ये बात ध्यान में रखी जानी बेहद ज़रूरी है कि इसी दौरान देश में लोकसभा के चुनाव भी हुए थे और इसके साथ ही नागरिकता संशोधन क़ानून, नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस को लेकर भी काफ़ी शोर-शराबा हुआ था। सोशल मीडिया पर खासी एक्टिव रहने वाली बीजेपी फ़ेसबुक पर प्रचार में पैसा ख़र्च करने में इससे पहले भी अव्वल रह चुकी है।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, फ़ेसबुक के खर्च का रिकॉर्ड रखने वाले ट्रैकर से पता चलता है कि ख़र्च करने वाले टॉप 10 विज्ञापनदाताओं में 4 ऐसे हैं जो बीजेपी से ही जुड़े हुए हैं और इनमें से भी तीन ऐसे हैं जिनका पता बीजेपी के दिल्ली स्थित राष्ट्रीय कार्यालय का ही है।
इन 4 विज्ञापनदाताओं में से दो कम्युनिटी पेज- ‘माई फ़र्स्ट वोट फ़ॉर मोदी’ ने 1.39 करोड़ और ‘भारत के मन की बात’ ने 2.24 करोड़ रुपये का विज्ञापन फ़ेसबुक को दिया है। इसके अलावा ‘नेशन विद नमो’ नाम की एक न्यूज़ वेबसाइट ने 1.28 करोड़ का विज्ञापन दिया। ये तीनों ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़ी ख़बरों को प्रमोट करते हैं। इनका पता 6-ए, पंडित दीन दयाल उपाध्याय मार्ग, बाराखंभा, नई दिल्ली है। इसके अलावा बीजेपी नेता और पूर्व सांसद आर.के. सिन्हा ने 0.65 करोड़ का विज्ञापन सोशल मीडिया के इस बड़े प्लेटफ़ॉर्म को दिया।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने अपनी ख़बर में कहा है कि बीजेपी और इनकी ओर से फ़ेसबुक को विज्ञापन देने में किए गए ख़र्च को जोड़ दिया जाए तो यह 10.17 करोड़ रुपये बैठता है जो कि कुल विज्ञापन के ख़र्च का 64 फ़ीसदी है। विज्ञापन पर हुआ कुल ख़र्च 15.81 करोड़ रुपये है। इससे समझा जा सकता है कि बीजेपी और इससे जुड़े फ़ेसबुक पेजों ने प्रचार पर किस तरह धन लुटाया है।
टॉप 10 विज्ञापनदाताओं की सूची में आम आदमी पार्टी भी है, जिसने 18 महीने में फ़ेसबुक को 69 लाख रुपये का विज्ञापन दिया है।
राहुल ने उठाया था सवाल
सोशल मीडिया पर बीजेपी के प्रचार को लेकर पहले भी राजनीतिक घमासान हो चुका है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि टीवी, रेडियो सभी जगह नरेंद्र मोदी का विज्ञापन आता है। राहुल ने सवाल उठाया था कि प्रचार के लिए इतना पैसा कहां से आ रहा है। राहुल ने कहा था, ‘टीवी पर 30 सेकेंड के विज्ञापन के लिए लाखों रुपये ख़र्च होते हैं। अख़बारों में विज्ञापन पर लाखों रुपये खर्च होते हैं।’
राहुल ने पूछा था, ‘हर जगह जो नरेंद्र मोदी की फ़ोटो आ रही है। इसका पैसा कौन दे रहा है। मोदी जी की जेब से तो नहीं आ रहा है, ये पैसा कहां से आ रहा है।’
फ़ेसबुक-हेट स्पीच विवाद
अमेरिकी पत्रिका 'वॉल स्ट्रीट जर्नल' की इस हालिया ख़बर के बाद कि फ़ेसबुक ने बीजेपी से जुड़े लोगों की नफ़रत फ़ैलाने वाली पोस्ट को नहीं हटाया, इसे लेकर भारत में जोरदार सियासी बवाल जारी है। ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ की इस ख़बर में कहा गया है कि फ़ेसबुक इंडिया की डायरेक्टर आँखी दास ने पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को चुनावी मुद्दों पर सहयोग दिया।
ख़बर के अनुसार, आँखी दास की भूमिका उस टीम की निगरानी करने की थी जो यह तय करती है कि फ़ेसबुक पर कौन सी सामग्री की अनुमति दी जाए और कौन सी की नहीं। रिपोर्ट में फ़ेसबुक के पूर्व और वर्तमान कर्मचारियों के हवाले से कहा गया है कि इसी के दम पर दास ने बीजेपी और हिंदुत्व समूहों से जुड़े नेताओं की नफ़रत वाली पोस्ट के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में बाधा डाली।
कुल मिलाकर, सोशल मीडिया पर प्रचार में पैसा खर्च करने को लेकर बीजेपी का कोई मुक़ाबला नहीं है। बीजेपी के तमाम राज्यों से जुड़े फ़ेसबुक पेज और बाकी दक्षिणपंथी सगठनों के पेज भी दिन भर सक्रिय रहते हैं। इनके प्रचार और इन्हें चलाने के लिए दफ़्तर, कर्मचारियों पर जो ख़र्च होता होगा, वह भी अगर जोड़ दिया जाए तो यह रकम और ज़्यादा होगी।
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