महंगे पेट्रोल-डीजल के कारण चौतरफ़ा आलोचनाओं का सामना कर रही मोदी सरकार ने आख़िरकार दिवाली की पूर्व संध्या पर इनकी क़ीमतें कम कर दी। इसकी देखा-देखी बीजेपी और एनडीए शासित 9 राज्यों ने भी ऐसा ही क़दम उठाने का एलान किया है। ताज़ा क़दम से मोदी सरकार पर 1.4 लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।
माना जा रहा है कि ताज़ा उपचुनाव के नतीजों के बाद मोदी सरकार और बीजेपी शासित राज्य पेट्रोल-डीजल की क़ीमत कम करने के लिए मज़बूर हुए हैं।
जिन राज्यों ने केंद्र सरकार के अलावा अतिरिक्त क़ीमत कम करने का एलान किया है, उनमें- असम, त्रिपुरा, मणिपुर, कर्नाटक, गोवा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड शामिल हैं।
इनमें से चार राज्यों- मणिपुर, गोवा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चार महीने के भीतर विधानसभा के चुनाव होने हैं जबकि दो राज्यों- गुजरात और हिमाचल प्रदेश में साल के अंत में चुनाव होंगे।
निश्चित रूप से मोदी सरकार महंगे पेट्रोल-डीजल को लेकर बुरी तरह घिरी हुई थी, चारों ओर यही सवाल पूछा जा रहा था कि क्या सरकार इन्हीं अच्छे दिनों की बात कर रही थी।
लेकिन उपचुनाव के नतीजों ने बीजेपी को बड़ा झटका दिया है। हिमाचल प्रदेश से लेकर राजस्थान और पश्चिम बंगाल तक उसे बुरी हार का सामना करना पड़ा है। मध्य प्रदेश में भी प्रदर्शन जैसी उम्मीद उसने की थी, वैसा नहीं रहा है।
केंद्र सरकार ने बुधवार रात को एलान किया था कि उसने पेट्रोल और डीजल पर क्रमश: 5 और 10 रुपये की एक्साइज ड्यूटी यानी उत्पाद शुल्क घटा दिया है। पेट्रोल और डीजल की नई क़ीमतें गुरूवार रात 12 बजे से लागू हो गईं।
दिल्ली में पेट्रोल की क़ीमत 6.07 रुपये घटकर 103.97 रुपये हो गयी है जबकि डीजल की क़ीमत में 11.75 रुपये की कटौती हुई है और यह 86.67 रुपये हो गया है। जबकि बुधवार को ये 110.04 और 98.42 रुपये प्रति लीटर पर बिके थे।
असम, त्रिपुरा, मणिपुर, कर्नाटक और गोवा ने पेट्रोल और डीजल पर अतिरिक्त 7-7 रुपये की कटौती का एलान किया है। जबकि उत्तराखंड में पेट्रोल पर 2 रुपये वैट कम किया गया है। हिमाचल प्रदेश की बीजेपी सरकार ने भी कहा है कि वह भी पेट्रोल और डीजल पर वैट को घटाएगी।
देश में मचा है हाहाकार
हालांकि केंद्र व राज्यों के इस क़दम के बाद आम लोगों को कुछ राहत ज़रूर मिली है। लेकिन अभी भी आम लोगों के लिए ईंधन काफी महंगा है और इसका सीधा असर उनकी जेब पर पड़ रहा है। देश के चारों महानगरों- दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई के अलावा भी कई शहरों में पेट्रोल कई महीनों तक 100 रुपये के पार बिकता रहा और डीजल भी इससे ज़्यादा पीछे नहीं रहा।
मध्य प्रदेश के अनूपपुर और बालाघाट में तो पेट्रोल 120 रुपये प्रति लीटर को पार कर गया था जबकि डीजल 110 रुपये प्रति लीटर बिक रहा था।
हमलावर थे विपक्षी दल
महंगे पेट्रोल और डीजल को लेकर विपक्षी दल मोदी सरकार पर हमलावर थे। साथ ही सोशल मीडिया पर भी लोग लगातार सरकार पर बरस रहे थे कि इतने महंगे पेट्रोल और डीजल को ख़रीदने की वजह से उनका बजट बिगड़ गया है। लेकिन केंद्र सरकार इसके लिए तैयार नहीं दिखी।
उपचुनाव के नतीजों ने जो जबरदस्त झटका बीजेपी को दिया और मुंह सामने खड़े पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में इसका असर होने की आशंका को देखते हुए ही शायद मोदी सरकार और बीजेपी शासित राज्यों ने यह क़दम उठाया है।
इसके अलावा एलपीजी सिलेंडर भी लगातार महंगा होता जा रहा है और लोग इस वजह से बेहद परेशान हैं। केंद्र व राज्य सरकारों को इस पर भी जनता को राहत देनी चाहिए। तीन दिन पहले ही कमर्शियल गैस सिलेंडर का दाम 266 रुपये बढ़ाया गया है। इसके साथ ही दिल्ली में अब एक सिलेंडर की क़ीमत 2000 रुपये हो गई है।
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