राज्यसभा में बीजेपी के सदस्यों की संख्या चार कम हो गई है। इसके साथ ही ऊपरी सदन में बीजेपी की संख्या घटकर अब 86 हो गई है। और इसके साथ ही एनडीए की संख्या भी अब बहुमत से कम हो गई है। तो सवाल है कि क्या अब मोदी सरकार को ऊपरी सदन में कोई भी बिल पास कराना मुश्किल होगा?
इस सवाल का जवाब बाद में, पहले यह जान लें कि आख़िर बीजेपी की संख्या क्यों घटी है। शनिवार को 4 मनोनीत सदस्यों- राकेश सिन्हा, राम शकल, सोनल मानसिंह और महेश जेठमलानी - ने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया। इन चारों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सत्तारूढ़ पार्टी की सलाह पर गैरदलीय सदस्यों के रूप में चुना था और उसके बाद वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के साथ औपचारिक रूप से जुड़ गए थे। इनके सेवानिवृत्त होने से भाजपा की संख्या घटकर 86 हो गई और पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए की संख्या 101 हो गई। 245 सदस्यीय सदन में मौजूदा सदस्य 226 हैं। 19 पद खाली हैं।
मनोनीत श्रेणी में एक और सदस्य गुलाम अली भाजपा का हिस्सा हैं। वे सितंबर 2028 में सेवानिवृत्त होंगे। राष्ट्रपति सरकार की सिफारिश पर 12 सदस्यों को राज्यसभा में मनोनीत करते हैं। मौजूदा सदन में उनमें से सात ने खुद को गैर राजनीतिक रखा था, लेकिन ऐसे सदस्य हमेशा किसी भी कानून या प्रस्ताव को पारित करने में सत्तारूढ़ दल का पक्ष लेते हैं।
जो 19 सीटें खाली हैं उनमें जम्मू-कश्मीर और मनोनीत श्रेणी से चार-चार और आठ विभिन्न राज्यों (असम, बिहार और महाराष्ट्र से दो-दो और हरियाणा, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, राजस्थान और त्रिपुरा से एक-एक) से हैं। इन 11 सीटों में से दस पिछले महीने लोकसभा सदस्यों के चुनाव के कारण खाली हुई थीं, जबकि एक भारत राष्ट्र समिति के सदस्य के केशव राव के इस्तीफे के कारण खाली हुई थी। राव बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए।
हालाँकि, एनडीए आगामी बजट सत्र के दौरान सात गैर राजनीतिक मनोनीत सदस्यों, दो निर्दलीय और एआईएडीएमके और वाईएसआरसीपी जैसे मित्र दलों के समर्थन से सदन में प्रमुख विधेयक पारित करवा सकता है। मनोनीत श्रेणी के तहत रिक्तियों को जल्द से जल्द भरना गठबंधन सहयोगियों पर निर्भरता को कम करने के लिए महत्वपूर्ण होगा।
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