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मालेगांव बम धमाकों की आरोपी और बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को रक्षा मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति में जगह मिली है। इस समिति के अध्यक्ष रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह हैं। समिति में कुल 21 सदस्य हैं। प्रज्ञा सिंह भोपाल से सांसद हैं और उन्होंने लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को शिकस्त दी थी। साध्वी प्रज्ञा इन दिनों जमानत पर हैं। सवाल यह है कि आतंकवाद की आरोपी प्रज्ञा सिंह को संसद की रक्षा समिति में जगह क्यों दी गई है?
फ़रवरी, 2007 में दिल्ली से पाकिस्तान के अटारी जा रही समझौता एक्सप्रेस के साधारण श्रेणी के डिब्बे में हरियाणा के पानीपत के दिवाना रेलवे स्टेशन के पास विस्फोट हुआ था। पुलिस ने विस्फोट स्थल से दो सूटकेस बम बरामद किए थे। जुलाई 2010 में समझौता ब्लास्ट की जाँच एनआईए को सौंप दी गई थी जिसने जाँच के बाद आठ लोगों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर की थी। इनमें से केवल चार लोगों पर मुक़दमा चला, जिनके नाम- कमल चौहान, राजिंदर चौधरी, लोकेश शर्मा और असीमानंद हैं। इस साल मार्च में एनआईए की विशेष अदालत ने इन सभी को बरी कर दिया था। बाक़ी अभियुक्तों में से एक सुनील जोशी की दिसंबर 2007 में ही हत्या कर दी गई थी जबकि तीन अन्य रामचंद्र कलसांगरा, संदीप डांगे और अमित चौहान फ़रार चल रहे हैं।
असीमानंद को एनआईए ने नवंबर 2010 में गिरफ़्तार किया था और उन्होंने दिसंबर 2010 में मजिस्ट्रेट के सामने इक़बालिया बयान दिया था। असीमानंद ने मालेगाँव, मक्का मसजिद, अजमेर शरीफ़ और समझौता एक्सप्रेस, सभी में शामिल होने की बात क़बूल की थी और इन जगहों पर बम धमाके करने की योजना में मुख्य रूप से आरएसएस के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार, सुनील जोशी, साध्वी प्रज्ञा सिंह के शामिल होने का दावा किया था। हालाँकि एक ही महीने के बाद असीमानंद के वकील ने कोर्ट में दावा किया कि एनआईए ने यह बयान दबाव डालकर दिलवाया है और कुछ समय बाद असीमानंद ने अपना बयान वापस ले लिया था।
अजमेर स्थित ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में अक्टूबर 2007 में बम धमाका हुआ था। इस बम धमाके में साध्वी प्रज्ञा का नाम सामने आया था। मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपी गई थी। अप्रैल 2017 में एनआईए ने प्रज्ञा ठाकुर और अन्य लोगों को क्लीन चिट दे दी थी।
संघ प्रचारक सुनीज जोशी की 29 दिसंबर 2007 को मध्य प्रदेश के देवास ज़िले में उनके घर के पास हत्या कर दी गई थी। इस मामले में भी साध्वी प्रज्ञा का नाम सामने आया था। क़रीब 9 साल तक विभिन्न एजेंसियों द्वारा जाँच की गई लेकिन 2017 में अदालत ने प्रज्ञा समेत सभी अभियुक्तों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि उनके ख़िलाफ़ पर्याप्त सबूत नहीं मिले। यह फ़ैसला तब आया था जबकि एक अभियुक्त लोकेश शर्मा के पास से हत्या में इस्तेमाल किए गए दोनों हथियार तक बरामद हो गए थे।
29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगाँव में बम धमाके हुए थे। मामले में जाँच के बाद साध्वी प्रज्ञा को गिरफ्तार कर लिया गया था और वह लगभग 9 साल तक जेल में रहीं थीं। 2017 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा को सशर्त जमानत दी थी। इन बम धमाकों में 6 लोग मारे गए थे और 101 लोग जख़्मी हुए थे। ये धमाके मोटरसाइकिल के जरिए किये गये थे। यह मोटरसाइकिल साध्वी प्रज्ञा ने अपने एक क़रीबी रामचंद्र उर्फ रामजी कलसांगरा को दिलवाई थी। कलसांगरा पर बाइक में बम लगाने का आरोप है। जाँच में मोटरसाइकिल में लगे रजिस्ट्रेशन नंबर प्लेट में लिखा नंबर एमएच-15पी-4572 भी नक़ली था। अभिनव भारत के सह-संस्थापक लेफ़्टिनेंट कर्नल पुरोहित ने साध्वी प्रज्ञा को ही मालेगाँव धमाकों का ज़िम्मेदार बताया था।
साध्वी प्रज्ञा सिंह को रक्षा मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति में जगह दिये जाने पर कांग्रेस ने तंज कसा है। कांग्रेस ने कहा है कि आख़िरकार मोदी जी ने प्रज्ञा ठाकुर को दिल से माफ़ कर ही दिया। कांग्रेस ने कहा है कि आतंकवादी हमले की आरोपी को रक्षा मंत्रालय की समिति में जगह देना उन वीर जवानों का अपमान है, जो आतंकवादियों से देश को महफ़ूज रखते हैं।
आखिरकार मोदी जी ने प्रज्ञा ठाकुर को दिल से माफ कर ही दिया!
— Congress (@INCIndia) November 21, 2019
आतंकी हमले की आरोपी को रक्षा मंत्रालय की समिति में जगह देना उन वीर जवानों का अपमान है, जो आतंकवादियों से देश को महफ़ूज रखते हैं।https://t.co/wTjeur4Vpy
साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रही हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताया था। उनके इस बयान पर खूब हंगामा हुआ था। इसके बाद बीजेपी ने ख़ुद को साध्वी के बयान से अलग भी कर लिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि प्रज्ञा का बयान घृणा के लायक है और वह इसके लिए उन्हें कभी माफ़ नहीं कर पायेंगे।
साध्वी प्रज्ञा ने मुंबई हमले में शहीद हुए पूर्व एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे के बारे में कहा था कि करकरे को संन्यासियों का शाप लगा था। प्रज्ञा ने कहा था, 'मैंने कहा तेरा (हेमंत करकरे) सर्वनाश होगा। ठीक सवा महीने में सूतक लगता है। जिस दिन मैं गई थी, उस दिन उसे सूतक लग गया था और ठीक सवा महीने में जिस दिन आतंकवादियों ने इसको मारा और उसका अंत हो गया।' करकरे मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकवादी हमले में आतंकवादियों से बहादुरी से लड़ते हुए शहीद हो गये थे।
हेमंत करकरे ने मालेगाँव बम धमाकों के मामले में सबूत इकट्ठे किए थे और इसके बाद साध्वी प्रज्ञा के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाया गया था। साध्वी प्रज्ञा मालेगाँव बम धमाकों के मामले में लंबे समय तक जेल में रह चुकी हैं। हालाँकि इस बयान पर बवाल होने के बाद साध्वी प्रज्ञा ने अपना बयान वापस ले लिया था।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली, सुषमा स्वराज और बाबूलाल गौर के निधन के बाद साध्वी प्रज्ञा ने ऐसा बयान दिया था, जिसकी ख़ूब चर्चा हुई थी। प्रज्ञा ने कहा था कि बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं की एक के बाद एक हो रही मौतों के पीछे विपक्ष का हाथ है और वह कोई ‘मारक शक्ति’ का उपयोग कर रहा है।
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