भारतीय जनता पार्टी के स्टार प्रचारक समझे जाने वाले रहे नरेंद्र मोदी ने जिन जगहों पर प्रचार किया, उनमें से लगभग दो-तिहाई सीटों पर उनकी पार्टी हार गई। एक अध्ययन के मुताबिक़, मोदी ने पाँच राज्यों की 80 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव प्रचार किया, बीजेपी 23 सीटें ही निकाल पाई। उसे 57 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा।
डेटा जर्नलिज़म के क्षेत्र की अग्रणी वेबसाइट इंडियास्पेंड.कॉम ने यह अध्ययन किया है। अध्ययन के अनुसार प्रधानमंत्री ने सबसे ज़्यादा 70 फ़ीसद रैलियाँ मध्य प्रदेश और राजस्थान में कीं। वहाँ उन्होंने 52 सीटों पर पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया, लेकिन बीजेपी 22 सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी। बाक़ी के तीन राज्यों, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिज़ोरम में मोदी का प्रदर्शन बदतर रहा। वहाँ उन्होंने 28 सीटों पर पार्टी के लिए वोट माँगे, लेकिन सिर्फ़ एक सीट पर बीजेपी उम्मीदवार जीत सका।
मोदी की तुलना कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी से करने पर दिलचस्प तस्वीर उभर कर सामने आती है। राहुल का प्रदर्शन प्रधानमंत्री से काफ़ी बेहतर रहा है। राहुल की कामयाबी की दर मोदी से अधिक है।
राजस्थान
राजस्थान में कांग्रेस अध्यक्ष ने 14 रैलियाँ कीं। नरेंद्र मोदी ने 18 रैलियों में सीधे मौजूद होकर या विडियो कॉन्फ्रेंस के ज़रिए भाषण दिया। छह जगहों पर दोनों मौजूद रहे। ये रैलियाँ प्रदेश की 47 विधानसभा क्षेत्रों में हुईं। यहाँ राहुल को 53 फ़ीसद सीटों पर कामयाबी मिली, जबकि मोदी को 27 प्रतिशत सीटों पर सफलता मिली।मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश में राहुल ने 16 और मोदी ने 23 रैलियाँ कीं। ये सभाएँ 56 विधानसभा सीटों पर अलग-अलग जगह हुईं। इस राज्य में राहुल की सफलता की दर 51 प्रतिशत और मोदी की 46 फ़ीसद रही।छत्तीसगढ़
इसी तरह छत्तीसगढ़ की 16 विधानसभा क्षेत्रों में मोदी ने 6 और राहुल ने 14 सभाएँ कीं। इस राज्य में कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार 68 प्रतिशत और बीजेपी के उम्मीदवार 18 फ़ीसद सीटों पर जीतने में कामयाब रहे।
विधानसभा चुनावों के नतीजों से साफ़ है कि नरेंद्र मोदी की अपील अब कम हो रही है। यदि कहीं ऐंटी-इन्कंबंसी हो या उम्मीदवार अलोकप्रिय हो तो अब वे अपने बूते उस उम्मीदवार को नहीं जिता सकते। उधर राहुल की अपील बढ़ रही है लेकिन यह कहना सही नहीं होगा कि तीन राज्यों में कांग्रेस की जीत राहुल के कारण हुई है।
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