पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बीजेपी नेता संगीत सोम ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है। संगीत सोम ने कहा है, "जिस तरह एक वर्ग की आबादी बढ़ती जा रही है, जिस तरह से आतंक फैलता जा रहा है, ऐसे में राजपूत समाज को फिर से शस्त्र उठाने पड़ेंगे।"
बताना होगा कि संगीत सोम साल 2022 के विधानसभा चुनाव में मेरठ की सरधना सीट से चुनाव हार गए थे। संगीत सोम साल 2013 में मुजफ्फरनगर में हुए दंगों के अभियुक्त भी हैं।
संगीत सोम ने यह बयान क्षत्रिय समाज के कार्यक्रम में दिया। यह कार्यक्रम दशहरे के मौके पर शस्त्र पूजन के लिए रखा गया था। संगीत सोम ने पत्रकारों से कहा कि आने वाले वक्त में शस्त्र की जरूरत अवश्य पड़ेगी क्योंकि एक वर्ग की आबादी लगातार बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि राजपूत समाज अगर शस्त्र उठा लेगा तो कोई भी सिर से धड़ को अलग करने की बात नहीं करेगा और ना ही आतंक की बात करेगा।
संगीत सोम के ख़िलाफ़ सहारनपुर के देवबंद, मुजफ्फरनगर के खतौली, कोतवाली, सिखेड़ा, मेरठ के सरधना तथा गौतमबुद्धनगर के थाना बिसाहड़ा में मामले दर्ज हैं। इनमें दंगों के दौरान भीड़ को उकसाने व दंगा भड़काने का आरोप है। मुजफ्फरनगर में 2013 में विवादित वीडियो को प्रसारित करने को लेकर संगीत सोम पर 2013 में आईटी एक्ट के तहत भी मुक़दमा दर्ज किया गया था जबकि सहारनपुर के मिरकपुर में पंचायत को संबोधित करते हुए भड़काऊ भाषण देने का भी मुक़दमा दर्ज है।
होगी कार्रवाई?
उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार है और बीजेपी का अगर कोई पूर्व विधायक इस तरह का बयान दे तो शासन व प्रशासन को निश्चित रूप से उसके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। बीजेपी की निलंबित नेता नूपुर शर्मा के बयान के खिलाफ प्रदेश में जोरदार प्रदर्शन हो चुके हैं और माहौल लंबे वक्त तक तनावपूर्ण रहा था।
संवेदनशील है पश्चिमी उत्तर प्रदेश
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का इलाका वैसे भी बेहद संवेदनशील रहा है। साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले जब यहां पर सांप्रदायिक दंगे हुए थे तो उसमें बड़ी संख्या में हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोगों को जान माल का नुकसान उठाना पड़ा था। मुजफ्फरनगर के सांप्रदायिक दंगों में 60 से अधिक लोग मारे गए थे और लगभग 50000 लोगों को घर छोड़कर दूसरी जगह जाना पड़ा था।
मुजफ्फरनगर दंगे के मामले में संगीत सोम के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार ने मुक़दमा वापस ले लिया था।
दिलीप घोष का बयान
कुछ इसी तरह का बयान पश्चिम बंगाल बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष दिलीप घोष ने दिसंबर 2020 में दिया था। दिलीप घोष ने बंगाल में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था, “हिंदू समाज को हथियार उठाने होंगे, अगर कोई कायर निहत्था कहे, तो तुम उसका गला पकड़ लो। हिंदू समाज कायर नहीं था, हम तलवार, बंदूक, त्रिशूल से सामना करने वाले हैं। हिंदुओं का कोई भी देवी-देवता बिना शस्त्र का नहीं है।’
सवाल यह उठता है कि क्या बीजेपी ने अपने नेताओं को ऐसे बयान देने के लिए खुली छूट दी हुई है।
अपनी राय बतायें