संसद में नोकझोंक
संसद में इस संशोधन विधेयक पर बहस के दौरान दोनों सदनों में सरकार को विपक्ष के तीखे हमलों का सामना करना पड़ा। विपक्षी दलों ख़ास कर कांग्रेस ने इसे पूरी तरह राजनीति से प्रेरित क़रार दिया। कांग्रेस के सदस्यों का आरोप था कि सरकार केवल एक परिवार को एसपीजी सुरक्षा से वंचित करने के लिए यह संशोधन कर रही है। वहीं सत्ता पक्ष का दावा रहा कि संशोधन का मक़सद देश में वीआईपी संस्कृति को समाप्त करना तथा एसपीजी को और ज़्यादा प्रभावी बनाना है। सरकार का तर्क है कि ज़्यादा लोगों को एसपीजी सुरक्षा देने की वजह से इसकी गुणवत्ता से समझौता हो रहा है। लिहाज़ा इसे बनाए रखने के लिए ज़रूरी है कि इसका दायरा कम किया जाए।गृह मंत्री अमित शाह ने इस मुद्दे पर आँकड़ों का हवाला देकर बताया कि सोनिया गाँधी, प्रियंका गाँधी और राहुल गाँधी ने कब और कितनी बार एसपीजी सुरक्षा नियमों की अनदेखी की।
प्रियंका की सुरक्षा में चूक कैसे?
दरअसल 26 नवंबर को दोपहर बाद लगभग दो बजे एक काली स्कॉर्पियो आकर प्रियंका गाँधी के आवास पर आकर रुकी। उस वक़्त उनके दफ़्तर में बैठक चल रही थी। उनका एक सहयोगी बाहर आकर स्कॉर्पियो से उतरे लोगों से पूछा कि वे क्या चाहते हैं। कार से उतरे लोगों में दो पुरुष, तीन महिलाएं और एक बच्चा था। उन्होंने कहा कि वे प्रियंका गाँधी के साथ एक तसवीर खिंचवाना चाहते हैं। उस वक़्त प्रियंका गांधी अपने घर के लॉन में टहल रही थी। उन्होंने इन लोगों के साथ तस्वीर खिंचवाई। तस्वीर खिंचवाकर ये लोग वापिस चल गए। जाँच पड़ताल में पता चला है कि वो काली कार उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले के एक कांग्रेस नेता की थी जो ख़ास तौर से अपने परिवार को प्रियंका गाँधी के साथ फोटो खिंचवाने के लिए ही लाया था।प्रियंका गाँधी के दफ़्तर के कर्मचारियों ने जब वहाँ तैनात केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) से पूछा कि ये लोग अंदर कैसे आ गए, तो जवाब मिला कि आवास की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी दिल्ली पुलिस की है।
आरोप-प्रत्यारोप!
इस पर आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया। हालांकि बाद में इस लापरवाही के लिए सीआरपीएफ़ के तीन जवानों को निलंबित किया गया है। इससे ज़ाहिर होता है कि गृह मंत्रालय ने इस घटना को गंभीरता से लिया है। सरकार ने माना है कि कहीं न कहीं चूक हुई है। ऐसा चूक इन प्रियंका गांधी या फिर उनके परिवारों के अन्य सदस्यों के लिए घातक हो सकती है।राजनीतिक दाँव-पेच!
इसे लेकर कांग्रेस और भाजपा के दो अलग-अलग और परस्पर विरोधी नज़रिए हो सकते हैं। मोदी सरकार और भाजपा उसे लेकर कांग्रेस पर सुरक्षा के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगा रही है। उनका तर्क है कि कांग्रेस इस मुद्दे को सोशल मीडिया पर प्रचारित करके सरकार को बदनाम करने की कोशिश कर रही है। जबकि उसे अगर सुरक्षा की वाक़ई चिंता होती तो वो इसकी शिकायत सीधे गृह मंत्रालय में करती। एक बात साफ है कि सोनिया गांधी परिवार की एसपीजी सुरक्षा हटने से देश भर में यह संदेश तो गया है कि अब इनकी सुरक्षा पहले जैसी चैक चौबंद नहीं रह गई है। इसीलिए कांग्रेस का नेता पुत्र बगैर किसी पूर्व सूचना के अपने परिवार को लेकर मेरठ से सीधा प्रियंका गाँधी के साथ फोटो खिंचवाने दिल्ली आ गया।सोनिया गाँधी परिवार की एसपीजी सुरक्षा हटाने से पहले गृह मंत्रालय की तरफ से कुछ मीडिया संस्थानों को आँकड़े उपलब्ध करवाकर बाक़ायदा ख़बर छपवाई गईं। इन ख़बरों में बताया गया कि विदेश दौरों पर सोनिया, राहुल और प्रियंका अक्सर बग़ैर एसपीजी सुरक्षा के ही जाते रहे हैं।
लीक जानकारियों से ख़तरा
इसके अलावा यह भी बताया गया कि देश मे किन-किन मौकों पर इन्होंने एसपीजी सुरक्षा नियमों की अनदेखी की। ऐसी संवेदनशील जानकारियाँ उन लोगों के हाथों पहुँच सकती हैं जो इन्हें नुक़सान पहुँचा सकते हैं। सरकारी की तरफ से ऐसी जानकारियाँ लीक करना इनकी सुरक्षा से के लिए ख़तरनाक साबित हो सकता है।वक़्त की ज़रूरत?
मोदी सरकार इसे वक़्त की ज़रूरत बता रही है वहीं कांग्रेस का आरोप है कि उनकी अध्यक्ष के परिवार को एसपीजी की सुरक्षा से वंचित करने के लिए सरकार ने यह क़दम उठाया है। राज्यसभा में कांग्रेस के विवेक तनखा ने कहा, ‘इसे आप चाहें तो देश हित कहें... या फिर यह विपक्ष को खत्म करने की बात हो... यह संशोधन केवल एक ही परिवार को लक्ष्य कर लाया गया है। क्या यह विपक्ष की नेता की सुरक्षा छीनना नहीं है? ’तनखा ने कहा :“
कहीं ऐसा न हो कि इस परिवार के साथ एक और हादसा हो जाए और अगर ऐसा होता है तो इसके लिए कौन ज़िम्मेदार होगा? इसके लिए ज़िम्मेदार आप होंगे।’
विवेक तनखा, सांसद, कांग्रेस
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